एचआरडीसी में साझा कदम का आयोजन, पूर्व आइएएस हर्ष मंदर ने कहा, देश में एक अघोषित डर का माहौल

रांची: स्थानीय जीइएल चर्च कॉम्प्लेक्स स्थित एचआरडीसी में गुरुवार को साझा कदम का आयोजन हुआ. इसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से आये अमन पसंद लोग साझा मंच के बैनर तले एकत्रित हुए. मौके पर जीने के अधिकार पर हमले और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की साजिश पर चर्चा हुई. पूर्व आइएएस हर्षमंदर ने कहा कि देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2017 8:35 AM
रांची: स्थानीय जीइएल चर्च कॉम्प्लेक्स स्थित एचआरडीसी में गुरुवार को साझा कदम का आयोजन हुआ. इसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से आये अमन पसंद लोग साझा मंच के बैनर तले एकत्रित हुए. मौके पर जीने के अधिकार पर हमले और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की साजिश पर चर्चा हुई.
पूर्व आइएएस हर्षमंदर ने कहा कि देश में एक अघोषित डर का माहौल है. अल्पसंख्यक समुदाय का भविष्य अंधकारमय हो गया है. ऐसे माहौल में हमें विश्वास का माहौल पैदा करना होगा. इसके लिए शहर से गांव तक अभियान चलाना होगा. साझा मंच ने अपने कार्यक्रम को नियमित रूप से संचालित करने के लिए दोस्ती का पिटारा नाम से प्रचार सामग्रियों का संकलन तैयार किया है. इसमें इंसानियत और भाईचारा को लेकर गीत, प्रसिद्ध रचनाकारों की कविताएं, लघु फिल्में, प्रसिद्ध फिल्मों के लिंक समाहित हैं.

सामुदायिक संसाधनों पर अधिकार का संघर्ष चुनौती है : स्टेन स्वामी
फादर स्टेन स्वामी ने झारखंड सरकार द्वारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट को वापस लिये जाने को झारखंडी जनता के संघर्ष की जीत बताया. उन्होंने कहा कि यही अंत नहीं अभी सामुदायिक संसाधनों पर अधिकार का संघर्ष और चुनौती भरा है. सरकार ने भूमि बैंक में 20 लाख एकड़ भूमि चिह्नित किया है. यह पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून, समता जजमेंट, वनाधिकार कानून, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 आदि कानूनों का उल्लंघन है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें से 10 लाख एकड़ भूमि औद्योगिक घरानों के लिए आरक्षित रखा गया है. तय किया गया कि ग्रामसभा के प्रतिनिधि, स्थानीय अंचल पदाधिकारी से मिल कर भूमि बैंक के सारे रिकार्ड लेंगे और उन पर ग्रामसभा में सार्वजनिक चर्चा करेंगे. बाद में उसे अंचलाधिकारियों को भेजा जायेगा.
गाय की राजनीति से किसान परेशान : वासवी
महिला आयोग की पूर्व सदस्य वासवी किड़ो ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत खास कर झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में ग्रामीण परिवारों की जीविका महुआ फूल पर निर्भर है. अोड़िशा और छत्तीसगढ़ में महुआ पर कानून पर बना कर उसे प्रतिबंधित किया जा चुका है और अब झारखंड में भी इस दिशा में काम हो रहा. उन्होंने कहा कि गाय की राजनीति के कारण आज झारखंड का किसान हल चलाने के लिए बैल तथा अन्य जानवर नहीं खरीद पा रहे हैं. उन्होंने राज्य व देश के विभिन्न हिस्सों में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की निंदा की.
इस दौरान सबने नर्मदा बचाओ आंदोलन के आंदोलनकारियों पर पुलिसिया और सरकारी जुल्म और प्रताड़ना की निंदा की. इस दौरान रवि भूषण, अहमद सज्जाद, अफजल अनीस, पीपी वर्मा, मौलाना खल्लीलुरहमान नूमानी, पूर्व न्यायाधीश पटेल आदि ने अपने विचार रखे. साझा कदम का यह कार्यक्रम बगइचा, भोजन का अधिकार अभियान, झारखंड, जंगल बचाओ आंदोलन, झारखंड नागरिक प्रयास, अखड़ा, एआइपीएफ, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, एकता परिषद्, यूएमएफ, झारखंड नरेगा वाच, अवामी इंसाफ मंच (झारखंड), जनवादी लेखक संघ (रांची), झारखंड आदर्श महिला मंच, झारखंड जन संस्कृति मंच, महुआ अधिकार मोर्चा, इदान, एपीसीआर झारखंड, अमन बिरादरी, भारत जन आंदोलन आदि संगठनों के साझा प्रयास से किया गया.

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