बाइक व मोपेड से ढ़ोये गये 25 हजार क्विंटल धान और चावल
रांची: पशुपालन घोटाले की तर्ज पर राज्य में धान घोटाला हुआ है. चारा घोटाले में जैसे स्कूटरों से चारा व मवेशी ढ़ोये गये थे, उसी तरह सहकारिता विभाग व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों सहित लैंप्स-पैक्स प्रबंधकों ने किसानों से खरीदा धान राइस मिलों तक पहुंचाने के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया, वह बाइक, […]
रांची: पशुपालन घोटाले की तर्ज पर राज्य में धान घोटाला हुआ है. चारा घोटाले में जैसे स्कूटरों से चारा व मवेशी ढ़ोये गये थे, उसी तरह सहकारिता विभाग व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों सहित लैंप्स-पैक्स प्रबंधकों ने किसानों से खरीदा धान राइस मिलों तक पहुंचाने के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया, वह बाइक, मोपेड, कार, टेंपो, जीप व बस निकले हैं.
आठ जिलों रांची, खूंटी, धनबाद, हजारीबाग, बोकारो, गढ़वा, देवघर व दुमका की महालेखाकार की यह रिपोर्ट प्रभात खबर ने 19 अगस्त 2016 को ही प्रकाशित की थी. एजी ने शनिवार को बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी रिपोर्ट जारी की है. दरअसल धान खरीद व मिलों के चावल में गड़बड़ी संबंधी खबर प्रभात खबर में वर्ष 2009 से ही प्रकाशित होती रही है. गड़बड़ी के ज्यादातर मामले वित्तीय वर्ष 2011-12 तथा 2012-13 से संबंधित हैं.
महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार बाइक, मोपेड व कार जैसे वाहनों से करीब 25 हजार क्विंटल धान-चावल ढ़ोये गये, जिनकी कीमत 3.29 करोड़ रुपये होती है. इस काम में कुल 68 बाइक, दो मोपेड, आठ टेंपो, सात कार, दो जीप, एक जिप्सी, एक वैन तथा एक बस का इस्तेमाल किया गया. बस का इस्तेमाल सिर्फ खूंटी में हुआ है. धनबाद के चैनपुर में एक ही बाइक (जेएच10वी-9422) से करीब तीन हजार क्विंटल धान की ढुलाई हुई है. उसी तरह दुमका के मकरो व आसनसोल धान खरीद क्रय केंद्र ने एक बाइक (जेएच04सी-5641) का 61 दिन तक इस्तेमाल कर चार हजार क्विंटल धान की ढुलाई केंद्र से चावल मिल तक दिखायी है.
हजारीबाग के मेरू में राइस मिल से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के गोदाम तक चावल पहुंचाने कि लिए एक ट्रैक्टर (जेएच13सी-1318) का इस्तेमाल ट्रैक्टर खरीदने से पूर्व (12.3.13 को) ही दिखा दिया गया है. इसी जिले के बेंगावारी धान क्रय केंद्र ने जिस जिप्सी (जेएचएए-4881) का इस्तेमाल दिखाया है, वह आइजी, खूंटी की है. जिप्सी से एक ही दिन (पांच जून 2012 को) दो सौ क्विंटल धान राइस मिल तक पहुंचाया गया है. खूंटी के डोरेया तथा देवघर के सिकतिया में तो स्कूटर, मोपेड (क्रमश: जेएच01वाइ-6144 व जेएच10एच-4933) से भी धान की ढुलाई हुई है. मोपेड पर 250-250 क्विंटल धान लादा गया है. वहीं इस घोटाले में शामिल रैकेट ने एक-एक बाइक से एक ही दिन में नौ से 360 क्विंटल तक धान राइस मिलों में पहुंचाने का कमाल किया है.
एजी की रिपोर्ट के तथ्य
- 2011-15 तक 729.83 करोड़ का चावल एफसीआइ को, पर बिल 694.34 करोड़ का ही. वहीं भुगतान सिर्फ 655.12 करोड़ का (कुल 74.71 करोड़ फंसा है).
- की सफाई व गुणवत्ता के लिए किसी जिले में पावर क्लिनर, मॉयश्चर (आद्रता) मीटर व एनेलिसिस किट नहीं मिला.
- फर्जी किसानों से खरीदा गया धान (चार जिलों के 20 खरीद केंद्रों में ही कुल 200 में से 112 मामले संदेहास्पद).
- हजारीबाग की जिन पांच मिलों पर था 42 करोड़ बकाया, उन्हें फिर से धान दे दिया.
- सर्वाधिक गड़बड़ी खरीफ मौसम 2011 से 2013 तक
- इन दोनों खरीफ मौसम में बाइक, मोपेड व कार से हुआ धान परिवहन
- इस दौरान धान खरीदने के लिए मिला 281 करोड़, पर धान खरीद लिया 286 करोड़ का
- अंधाधुंध तरीके से कुल 1.03 करोड़ चावल बोरे (50 किलो वाले) 38.43 रुपये प्रति बोरा की दर से खरीदे गये. इनमें से 11.35 करोड़ के 29.54 लाख बोरे आज तक बेकार. वहीं मिल मालिकों के पास फंसे 2.85 करोड़ के 7.4 लाख बोरे. उधर, पांच जिलों में 2.46 लाख बोरे (95 लाख कीमत के) खराब हो गये. (इस तरह कुल नुकसान करीब 15 करोड़)
- इस दौरान जांच वाले जिलों में किसानों को एक से सात माह तक विलंब से हुआ भुगतान.
खरीद केंद्र (लैंप्स-पैक्स) का खाता व अंकेक्षण नहीं. केंद्र से 14.48 करोड़ का दावा नहीं किया जा सका. राज्य खाद्य निगम पर पड़ा यह बोझ.
- खरीफ मौसम 2012-13 में 2.8 लाख क्विंटल धान गायब (1250/क्विंटल की दर से 35.02 करोड़ का घाटा).
- खरीफ मौसम 2012-13 में चावल मिल मालिकों ने एफसीआइ को नहीं दिया 152.80 करोड़ का चावल (करीब 71 करोड़ आज भी बकाया).
- इसी खरीफ मौसम में लैंप्स-पैक्स ने 17 करोड़ का धान मिलों को नहीं दिया (इस तरह 17 करोड़ का घाटा)
- 2011-12 में अकेले धनबाद में बगैर जमीन संबंधी कागजात के 52.24 करोड़ की धान खरीद
- 2012-13 में धनबाद व देवघर जिले में तथा 2011 में रांची व हजारीबाग में कुल उत्पादन से अधिक खरीदे गये धान. (इस तरह 7.49 करोड़ की फर्जी खरीद).
- आद्रता, धूल व गंदगी के नाम पर राइस मिलों ने 1.59 लाख क्विंटल धान कम दिखाया (जबकि क्रय केंद्रों ने इसे ठीक ठहरा कर खरीदा था)
- इन दो खरीफ मौसम में चावल मिलों को मिलिंग के लिए टैग करने में भारी गड़बड़ी. उद्योग विभाग में निबंधन के बगैर देवघर की मिलों को टैग किया गया. जमशेदपुर की तीन मिल निरीक्षण के क्रम में बंद मिली. हजारीबाग, गिरिडीह, लोहरदगा व दुमका की कई मिलों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कंसेंट टू अॉपरेट (सीटीओ) तथा कंसेंट यू इस्टैब्लिस (सीटीइ) के बगैर या इसके पहले ही टैग किया गया.
- विभिन्न गड़बड़ियों से सरकार के 259 करोड़ डूबे