प्रभात खबर के ‘झारखंड कॉन्क्लेव’ में बोले कृषि मंत्री राधामोहन सिंह : झारखंड विकसित होगा, तभी भारत विकसित होगा
रांची : ‘प्रभात खबर’ के 34वें स्थापना दिवस पर आयोजित दो दिवसीय ‘प्रभात उत्सव’ के पहले दिन रविवारको होटल रेडिशन ब्लू में ‘झारखंड कॉन्क्लेव’ का आगाज हो गया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी और ज्यां द्रेज लोगों को संबोधित कर चुके हैं. जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश कॉन्क्लेव को संबोधित कर […]
रांची : ‘प्रभात खबर’ के 34वें स्थापना दिवस पर आयोजित दो दिवसीय ‘प्रभात उत्सव’ के पहले दिन रविवारको होटल रेडिशन ब्लू में ‘झारखंड कॉन्क्लेव’ का आगाज हो गया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी और ज्यां द्रेज लोगों को संबोधित कर चुके हैं. जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे हैं.
कृषि मंत्री और कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि राधामोहन सिंह ने कहा कि जब भी कोई परियोजना शुरू होती है, तो उसमें भ्रष्टाचार होता है. झारखंड समेत देश भर में 99 परियोजनाएं 25-30 साल से लंबित हैं.इनसभी परियोजनाओं को हम पूरा करेंगे. इस दिशा में सरकार ने कदम उठाया है. उन्होंनेकहा कि योजनाओं का काम शुरू होगा, तो इसमें भ्रष्टाचार भी होगा, उस पर बाद में चर्चा करेंगे. उन्होंने एक बार फिर कहा कि परियोजनाएं चलेंगी, तो उसमें भ्रष्टाचार जरूर होगा, लेकिन इसके लिए परियोजनाओं को बंद नहीं कर सकते.
उन्होंने कहा कि संसद में पिछले दिनों एक बहस हुई थी, जिसमें यह बात सामने आयी कि देश की 99 बड़ी परियोजनाएं 25-30 साल से लंबित हैं. इसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है. यदि ये योजनाएं पूरी हो गयी होतीं, तो 76 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो जाती. इन योजनाओं पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च होने थे. लेकिन, 10 साल तक यूपीए सरकार उन 80 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था नहीं कर पायी. लेकिन हमारी सरकार के एक साल पूरा होते ही हमसे सवाल किये जाने लगे.
उन्होंने मृदा स्वास्थ्य का जिक्र करते हुए कहा कि यह अपनी तरह की अनोखी योजना है. मिट्टी को उसकी जरूरत के अनुरूप खाद मिले, तो उसकी उपज कई गुना बढ़ायी जा सकती है. उन्होंने कहा कि दुनिया के लोग मिट्टी को जमीन का टुकड़ा मानते हैं. हमारे यहां लोग मिट्टी को माता मानते हैं. उस मिट्टी को जिस पोषक तत्व की जरूरत है, वही पोषक तत्व देंगे, हमारा यह उद्देश्य है.
उन्होंने गाय को सांप्रदायिकता से जोड़ने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वोट की लालच में गायको जाति और धर्म से जोड़नेवालों का विरोध होना चाहिए. इसी तरह गाय की रक्षा के नाम पर लोगों की हत्या करनेवालों का भी विरोध हो. उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि 2025 का झारखंड कैसा हो. उन्होंने कहा कि आज संकल्प लेना होगा कि खेत-खलिहानों को बचायेंगे. जातिवाद, भ्रष्टाचार का खात्मा करेंगे. समुदायवाद को भी दूर करना होगा. अगस्त का महीना बहुत महत्वपूर्ण महीना है. सन् 1857 से 1942 के बीच अंग्रेजों की बर्बरता से पूरा देश त्रस्त हो गया. गांधी को भी यह कहना पड़ा कि ‘करो या मरो’.
बापू के इस बयान के बाद पूरा देश उनके पीछे चल पड़ा. लोगों ने सिर्फ संकल्प नहीं लिया. उस पर अमल भी किया. और परिणाम यह हुआ कि 5 साल तक लोगों ने गांधी जी के कदम से कदम मिलाया और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया. राधामोहन सिंह ने कहा कि अंग्रेजों की बर्बरता से देश को उतना नुकसान नहीं हुआ, जितना हमारे देश के लोगों ने भ्रष्टाचार से नुकसान पहुंचाया है. हमारे अपने ही अपनों को लड़ा रहे हैं.
आज हमें संकल्प लेना होगा कि भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, आतंकवाद भारत छोड़ो, उग्रवाद भारत छोड़ो, जातिवाद भारत छोड़ो, संप्रदायवाद भारत छोड़ो. यदि इस संकल्प के साथ हम आगे बढ़ेंगे, तभी 2025 तक संपन्न और समृद्ध भारत बना सकेंगे.
कृषि मंत्री ने कहा कि झारखंड में समस्याएं हैं, तो यहां के लोगों में सामर्थ्य भी है. झारखंड ने मछली पालन में बहुत बढ़िया काम किया है. कुछ वर्षों पहले तक अन्य राज्यों से मछली मंगानेवाला झारखंड आज मछली के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है.
उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों की दशा सुधारने के लिए सरकार प्रयासरत है. सकारात्मक सोच से साथ आगे बढ़ रही है. ‘प्रभात खबर’ और ‘पंचायतनामा’ में गांव-देहात की गतिविधियों को जिस प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया जा रहा है, वह काबिल-ए-तारीफ है. ऐसी ही सोच से कोई राज्य आगे बढ़ता है.
प्रभात खबर के जन्म से लेकर आज तक के सफर के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर आज तीन राज्य के 10 जगहों से प्रकाशित हो रहा है. प्रभात खबर ने एक ऊंचाई हासिल की है. उन्होंने कहा कि अलग झारखंड बनाने में इस अखबार की महती भूमिका रही है. उन्होंने प्रभात खबर के कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां बड़े-बड़े लोगों की व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और बाबा रामदेव जैसे लोगों को अतिथि संपादक बनाया.
उन्होंने झारखंड सरकार को सलाह दी कि आंगनबाड़ी सेविकाअों की मानदेय बढ़ाने की मांग पर सकारात्मक विचार करना चाहिए. उनके मानदेय में वृद्धि की जानी चाहिए. श्री सिन्हा ने अपने भाषण की शुरुअात में प्रभात खबर के 33 साल के सफर की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर ने झारखंड की जो सेवा की है, वह अतुलनीय है. सभी जानते हैं कि प्रभात खबर का नारा है, ‘अखबार नहीं आंदोलन’. इसमें हरिवंश जी का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने पत्रकारिता के जो आदर्श स्थापित किये और जो आंदोलन उन्होंने चलाया, उसके कारण पूरे देश में आज प्रभात खबर को सभी लोग जानते हैं. सब इसकी सराहना करते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रभात खबर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जितना काम किया है, मुझे नहीं लगता कि किसी और अखबार ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए इतना काम किया होगा. झारखंड में प्रभात खबर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो काम किया है, वह प्रशंसनीय है. हम बिहार-झारखंड के लोग हैं. इस अखबार ने विकास का आंदोलन चलाया है. विकास के बारे में प्रभात खबर निरंतर लिखता रहा है. इन्होंने विकास का जो बीड़ा उठाया है, यह प्रशंसनीय है.
उन्होंने कहा कि प्रभात खबर ने निरंतर प्रयास किया है कि भविष्य के बारे में सोचें. झारखंड, बिहार और देश के भविष्य के बारे में सोचने-विचार करने की दिशा में आपने दूरदर्शी सोच दिखायी है, इसके लिए यह अखबार बधाई का पात्र है. उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के जरिये देश का उत्थान करने का मोदीजी की सरकार ने संकल्प लिया है. उन्होंने कहा कि राशन कार्ड को सबके लिए लागू कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि गांवों में शिकायत मिलती है कि गलत लोगों को राशन कार्ड दे दिया गया है. उन्होंने कहा कि राशन कार्ड की सुविधा सभी लोगों को दे दी जाये. इससे सुधार ला सकते हैं.
उन्होंने कहा कि राजस्थान में एक योजना है ‘भामाशाह’. इस योजना के जरिये महिलाअों को सशक्त बनाया जा सकता है. यहां की सरकार उस योजना का अध्ययन कर उस दिशा में काम कर सकती है. शिक्षा की व्यवस्था को सुधारने की दिशा में काम होना चाहिए. जयंत सिन्हा ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविकाअों का मानदेय बढ़ाने की मांग पर सरकार को विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए बड़ी योजना पर काम हो रहा है. एक सेंट्रलाइज्ड किचेन बनेगा, जिसके माध्यम से एक लाख बच्चों को बेहतर भोजन उपलब्ध कराया जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि बरही में बननेवाला कृषि विश्वविद्यालय देश का दूसरा बड़ा संस्थान है, जो किसानों को अनुपम भेंट है. इसके लिए उन्होंने राधामोहन सिंह को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के माध्यम से कई काम होंगे, जिसका राज्य के विकास में अमूल्य योगदान होगा.
ग्रामीण सड़क योजना हो, सिंचाई योजना हो, हम हर दिशा में काम कर रहे हैं. कृषि को बढ़ावा देने के लिए जितने प्रायस हो सकते थे, हम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री का सपना है कि गांवों को सशक्त बनायेंगे. उन्होंने कृषकों की आमदनी दोगुना करने का जो वादा किया है, उसे हर हाल में पूरा किया जायेगा. इसके अलावा भी उन्होंने कई योजनाअों का जिक्र किया. कहा कि उन योजनाअों के माध्यम से प्रदेश को समृद्ध बनाया जायेगा.
श्री सिन्हा ने कहा कि तीन साल पहले रांची से सिर्फ 7 विमान थे, अाज हम एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. छोटे-छोटे शहरों को विमान सेवा से जोड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं. जमशेदपुर, देवघर, हजारीबाग, पलामू जैसे शहरों में हवाई सेवा शुरू करने की कोशिश हो रही है. हम छोटे जहाजों के जरिये पूरे झारखंड को एक सर्किट बनाना चाहते हैं. हम यह करके रहेंगे.
उन्होंने कहा कि हम पंचायत स्तर पर व्यवस्था सुधारना चाहते हैं. गांवों में जाकर लोगों को जागरूक बनाना चाहते हैं. हमारी सरकार ने मुखिया को सक्षम बनाया, ताकि वे छोटी-छोटी योजनाअों जैसे तालाब, चापाकल, सड़क निर्माण आदि का काम वे कर सकें. हमारी सरकार चाहती है कि गांवों के विकास में मुखिया और बीडीअो की अहम भूमिका हो, ताकि अपनी जरूरत के अनुरूप वे विकास का काम कर सकें. इस प्रशासनिक सुधार की दिशा में हम काम कर रहे हैं.
अपने भाषण के अंत में उन्होंने दिनकर का जिक्र किया. कहा, ‘मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है.’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साहसिक और कुशल नेतृत्व के कारण हम पत्थर से सिर्फ पानी नहीं बनायेंगे, झारखंड के पानी से अमृत निकालेंगे.
इससे पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कार्यक्रम को संबोधित करतेहुए कहा कि पत्रकारिता में सच्चाई होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि साढ़े चार में झारखंड में बीपीएल परिवारों का नाम-ओ-निशान नहीं होगा. झारखंड की गोद में गरीबी पल रही है. उसे समाप्त करके ही दम लेंगे. इस दिशा में हमारी सरकार एक टीम के रूप में काम कर रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ’हमारे सहयोगी मंत्री, हमारे अधिकारी गण एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं. झारखंड प्रगति की आेर बढ़ रहा है. मैं दावा नहीं कर रहा कि मैंने सभी समस्याआें का समाधान कर लिया है. झारखंड को हमें विकसित राज्य बनना है. विकसित राज्य बनने के लिए समय कम है. हमारी सरकार प्रधानमंत्री के मागर्दर्शन में 2030 का विजन तो नहीं बन पाया, लेकिन पांच साल का विजन बनाया है. नीति आयोग ने राज्य में गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, भूख से मुक्ति, जवाबदेह प्रशासन आैर वन पयार्वरण, जलवायु परिवर्तन, इस तरह के 15 क्षेत्रों पर फोकस किया है. हमारा इन चार क्षेत्रों पर विशेष ध्यान है. इस पर हमारी सरकार काम कर रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है ‘सबका साथ, सबका विकास’. हमारे बीच कृषि मंत्री बैठे हैं. केंद्र को झारखंड सरकार की आेर से पूर्ण सहयोग मिलेगा. हम 700 करोड़ की लागत से पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा फूड प्रोसेसिंग प्लांट बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. एक बार यह काम पूरा हो जाये, कृषि क्षेत्र में भी विनिवेश होगा. उद्योग में निवेश होगा. हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. जल संचयन के लिए काम किया जा रहा है. जल प्रबंधन पर काम जारी है. झारखंड में बारिश कम नहीं होती. किसानों को पानी देने के लिए प्रबंधन जरूरी है. राज्य गरीब नहीं है, यहां के लोग गरीब हैं.
हमारी सरकार प्रधानमंत्री के मागर्दर्शन में 2030 का विजन तो नहीं बन पाया, लेकिन पांच साल का विजन बनाया है. नीति आयोग के द्वारा गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, भूख से मूुक्ति, जवाबदेह प्रशासन आैर वन पयार्वरण, जलवायु परिवर्तन, इस तरह 15 क्षेत्रों पर फोकस है. चार क्षेत्र पर विशेष ध्यान है आैर इसमें हमारी सरकार काम कर रही है. हमारे प्रधानमंत्री का झारखंड के विकास का सपना है. हमारे बीच कृषि मंत्री बैठे हैं. केंद्र को झारखंड सरकार की आेर से पूर्ण सहयोग मिलेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के पास आने वाले दिनों में पूर्वाेत्तर भारत का पहला फूड प्रोसोसिंग प्लांट होगा. इससे उत्पादित वस्तुआें का विदेशों में व्यापार होगा. इस पर सरकार की आेर से करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से काम चल रहा है. कृषि क्षेत्र में भी विनिवेश होगा, उद्योग में निवेश होगा आैर इससे यहां के हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. सरकार की आेर से जल संचरण के लिए काम किया जा रहा है. जल प्रबंधन पर काम जारी है. झारखंड में बारिश कम नहीं होती. किसानों को जल देने के लिए प्रबंधन जरूरी है आैर सरकार इस पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हमारा राज्य झारखंउ गरीब नहीं है, यहां के लोग गरीब हैं, यहां के लोगों की सोच गरीब है.
उन्होंने कहा कि यहां के लोगों की गरीबी दूर करने के लिए सरकार की आेर से मुर्गी पालन योजना पर काम किया जा रहा है. गरीब परिवार को मुर्गी पालन योजना में शामिल करने के लिए एक लाख रुपये की सहयोग राशि प्रदान की जा रही है. इससे गरीब परिवार का आदमी मुर्गी का शेड बनाकर मुर्गी पालन करेगा. उन्होंने कहा कि इससे पैदा होने वाले अंडों को बेचने के लिए बाजार में जाने की जरूरत नहीं होगी. उसे हम स्कूलों में मिड डे मील में उपयोग करेंगे. हमें मिड मील के लिए दूसरे राज्यों से अंडा मंगाना पड़ता है. इस योजना का अमल में आने के बाद हमारे यहां के ही अंडे का उपयोग बढ़ेगा.
इसके साथ ही कुटीर उद्याेग को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार की आेर से काम किया जा रहा है. हमारी सरकार की आेर से यहां कंबल बनाने की योजना पर भी काम किया जा रहा है. यहां की गरीब महिलाआें को प्रशिक्षण देकर कंबल निर्माण को प्रोत्साहन देने का काम किया जा रहा है. यहां बनने वाले कंबलों आैर तौलियों का उपयोग यहां के अस्पतालों में किया जायेगा. उन्होंने कहा कि यहां के अस्पतालों में अभी दूसरे राज्यों से कंबल मंगाना पड़ रहा है, लेकिन योजना अमल में आने के बाद यहां की महिलाआें की आेर से बनाये गये कंबलों का उपयोग बढ़ेगा. इसके बाद हरियाणा, पानीपत से नहीं आयेगा. उन्होंने यह भी कहा कि यहां की महिलाआें की आेर से कंबल बनाने के लिए आैद्योगिक इकाइयां स्थापित की जायेंगी.
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड प्रकृति की गोद में बसा है. यहां काम करने के काफी अवसर हैं. इसके लिए सरकार की आेर से कदम उठाये गये हैं. यहां के चार हजार से अधिक गांवों के गरीबों को चिह्नित करने के लिए जिला स्तर, ब्लाक स्तर आैर गांवों में कार्डिनेटर काम कर रहे हैं. अब तक एक हजार से एेसे बीपीएल परिवारों को चिह्नित करने का काम किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में झारखंड में बीपीएल का नामोनिशान नहीं होगी. झारखंड आज गरीबी की गोद में पल रहा है, हम उसे समाप्त करेंगे.
उन्होंने हमारे यहां हस्तकरघा उद्योग की काफी संभावनाएं हैं. हमारे भार्इ-बहन उसमें लगे हुए हैं. लाह की खेती हमारे यहां काफी होती है. हम उससे वस्तुआें का निर्माण करेंगे. उसका विदेशी निर्यात करेंगे. इससे किसानों को फायदा होगा. तसर से सिल्क का निर्माण होगा. सिल्क की साड़ियां बनायी जायेंगी. उन्होंने कहा कि लाह की चूड़ियां बनायी जायेंगी. उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि हमारे यहां से लाह से बनी चूड़ियां राजस्थान के जयपुर में बनती हैं. हम अपने यहां की महिलाआें को डिजायन का प्रशिक्षण देकर उसका यहीं निर्माण करेंगे आैर उसका विदेशाें में निर्यात करेंगे. इसके साथ ही सिल्क की साड़ियों का भी विदेशों में निर्यात हो सकेगा.
उन्होंने कहा कि 4000 गांवों में महिलाआें को रोजगार देने का काम किया जा रहा है. विलेज काॅर्डिनेटर इस पर काम कर रहे हैं. पंचायत स्वशासन है. ये राज्य बिचौलियों आैर भ्रष्टाचारियों से परेशान है. रोजमर्रा की जिंदगी में भ्रष्टाचार अभी बना है. इसे समाप्त करने के लिए भी सरकार काम कर रही है. इसे हटाने के लिए विलेज काॅर्डिनेटर काम कर रहे हैं. कौन प्रधानमंत्री आवास बनाना, कौन विधवा का घर बनाना, सबको चिन्हित किया जा रहा है. बिचौलियों को समाप्त करने के लिए पंचायत सरकार शुरू. गरीब बिचौलियों से परेशान है. 15 नवंबर के पहले 2 लाख गरीबों को घर देकर गृह प्रवेश करायेगी सरकार. पंडित दीनदयाल का मंत्र था, देश के हर आदमी के चेहरे पर मुस्कराहट हो. बच्चों को शिक्षा देने के लिए काम किया जा रहा है. 14 बरस में अच्छे शिक्षक भी नहीं हैं. शिक्षकों को नियुक्ति किया जा रहा है. इंटरमीडियेट का रिजल्ट बेहतर है, लेकिन शिक्षक नहीं हैं. हम उच्च शिक्षा पर काम कर रहे हैं. हमने उच्व्च शिक्षा पर अच्छे काम किये. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमारी सरकार कदम बढ़ा चुकी है. हमारी सरकार एेसी व्यवस्था करने जा रही है, जिसके तहत तकनीकी शिक्षण संस्थान बीआर्इटी मेसरा में झारखंड के 50 फीसदी बच्चों का दाखिला हो सकेगा. जल संरक्षण के क्षेत्र में 14 साल में काम नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि सरकार किसी एक वर्ग आैर दल के लिए नहीं है. यह सरकार सबकी सरकार है. इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री ने सबका साथ सबका विकास का मंत्र दिया है. इस पर हम काम कर रहे हैं. हम इस कोशिश में लगे हुए है कि हम प्रधानमंत्री के सपने को झारखंड में साकार कर सकें. झारखंड में दलितों, वंचितों आैर गरीबों का राज्य है. पिछले 14 सालों में इनके विकास के लिए काम नहीं किया गया. हम यहां के दलितों, वंचितों आैर गरीबों के लिए काम कर रहे हैं. इन्हीं दलितों, वंचितों आैर गरीबों का दास मैं रघुवर दास हूं.
कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए झाविमो सुप्रीमो और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि प्रभात खबर ने 33 साल का सफर पूरा किया है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. देश में 10 जगहों से प्रभात खबर प्रकाशित हो रहा है. झारखंड से पैदा हुआ एक अखबार आज झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के 10 जगहों से प्रकाशित हो रहा है. यह अखबार चल नहीं रहा, दौड़ रहा है. यह झारखंड के लिए गौरव की बात है. उन्होंने कहा कि झारखंड में कई और अखबार चल रहे हैं, लेकिन उनकी शुरुअात कहीं और से हुई. प्रभात खबर की उत्पत्ति झारखंड की भूमि से हुई है. आप सभी ने मेहनत के बल पर अाज देश के कोने-कोने में पत्रकारिता के उच्च मानदंड स्थापित किये हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रभात खबर ने निर्भय पत्रकारिता की है, समाज की घटनाअों को निर्भीकता के साथ सामने लाने का काम किया है, उसे आगे भी जारी रखेंगे.
श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड राज्य के निर्माण में भी प्रभात खबर की अहम भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर एकमात्र अखबार है, जिसने सदैव झारखंड की आवाज बुलंद की. उन्होंने कहा कि अखबार के प्रधान संपादक ने जो बातें कहीं, मुझे उससे ज्यादा कुछ और कहने की जरूरत महसूस नहीं होती. उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे काम करके राज्य को विकसित बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि झारखंड की आज की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है. पिछले दिनों प्रभात खबर ने एक सीरीज छापी थी. प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्च शिक्षा तक झारखंड में व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है. स्कूल से कॉलेज तक की हालत खराब है. जिस स्कूल से मैं पढ़-लिख कर निकला हूं, उस स्कूल की दशा भी खराब है. छात्रों की संख्या बढ़ती गयी, लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या नहीं बढ़ी.
उन्होंने कहा कि जब हम कॉलेज में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे, तब मात्र तीन आदिवासी लड़के वहां पढ़ रहे थे. 1983 की घटना है. गिरिडीह कॉलेज की. आज भी मैं उस कॉलेज में जाता हूं, तो 5-6 हजार ट्राइबल बच्चे पढ़ते हैं.
इससे पहले प्रभात खबर के प्रधान संपादक ने कॉन्क्लेव में आये अतिथियों का स्वागत करते हुए झारखंड की संपदा और संभावाओं के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि यहां खनिजकेभंडार तो हैं ही, यहां के किसान भीबहुत मेहनती हैं. यहां फलों और सब्जियों की बहुत अच्छी खेती होती है. हमारी सब्जियां अन्य राज्यों में भेजी जाती हैं. लेकिन, किसानों की मेहनत का फल बिचौलिये खा जाते हैं. उन्होंने कहा कि कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था करनी होगी, ताकि किसानों की फसल बरबाद न हो. उन्होंने कहा कि झारखंड का मौसम बहुत बढ़िया है. अच्छी बारिश के बावजूद पानी नहीं बचता. जल संरक्षण की व्यवस्था नहीं है. तालाबों को पाट दिया गया. इस विषय में गंभीरता से विचार करनाहोगा. उन्होंने कहा कि लाखों पर्यटकझारखंड आते हैं. देश-दुनिया के लोग आते हैं. जैन धर्मावलंबी पारसनाथ आते हैं. यदि पर्यटन को बढ़ावा दिया जाये, तो जम्मू-कश्मीर,हिमाचल और उत्तराखंडकी तरहझारखंडभीबड़ा पर्यटन केंद्र बन सकता है.
प्रभात खबर के प्रधान संपादक ने बेतला नेशनल टाइगर रिजर्वकोसंरक्षित करने की भी जरूरत बतायी. उन्होंनेकहा कि आज यह बहुत बुरी दशा में है. थोड़ा-सा प्रयास हो जाये, तोयह बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकियहां के लोगों को पढ़ाई और चिकित्सा के लिए दिल्ली, बंगाल या दक्षिण के राज्यों में नहीं जाना पड़े. यदि एक व्यवस्थाविकसितहोजाये, तो झारखंड की तसवीर बदल सकती है.
जाने-माने अर्थशास्त्री और समाजसेवी ज्यां द्रेज ने कहा कि गिनीज बुक में जगह बनाने के लिए लोग क्या नहीं करते. कोई एवरेस्ट पर चढ़ जाता है, तो कोई कुछ करता है. कल मैं आंकड़े देख कर कुछ समझने की कोशिश कर रहा था कि झारखंड के नाम कौन-कौन से रिकॉर्ड हैं. झारखंड के जितने भी रिकॉर्ड निकले, सब नकारात्मक मिले. उदाहरण के लिए झारखंड का एक बड़ा रिकॉर्ड है कुपोषण. दुनिया में कुपोषण की राजधानी भारत है और भारत के कुपोषण की राजधानी बिहार और झारखंड है. 2015-16 के सर्वे बताते हैं कि झारखंड के 48 फीसदी बच्चों का वजन सामान्य से कम है. दुनिया के किसी और देश में यह आंकड़ा नहीं मिलेगा.
उन्होंने कहा कि शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण चीज है. इसके बिना विकास नहीं हो सकता, न्याय नहीं हो सकता, स्वास्थ्य नहीं हो सकता और लोकतंत्र भी नहीं हो सकता. 2011 के भारत जनगणना के अनुसार, झारखंड में 15 से 19 साल की उम्र के 15 फीसदी बच्चे अनपढ़ थे. इन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता. अब भी 10 फीसदी ऐसे बच्चे होंगे. इन बच्चों का भविष्य नष्ट किया गया है. इन्हें केवल मजदूरी करके, दो वक्त की रोटी मिलेगी.
स्वास्थ्य के मामले में भी नकारात्मक रिकॉर्ड हैं. स्वच्छता की बात करें, तो झारखंड सबसे पीछे है. यहां करीब 77 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं. स्वच्छ पेयजल के मामले में भारत में जितने राज्य हैं, उसमें सबसे कम लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हैं. 57 फीसदी लोगों के पास ही स्वच्छ पेयजल उपलब्ध है. 2005 में 50 फीसदी लोगों के पास संवाद का कोई माध्यम नहीं था. अाज यह स्थिति बदल चुकी है. 2025 तक संपूर्ण क्रांति नहीं हो सकती. कम से कम गरीबी खत्म करने की कोशिश होनी चाहिए.
झारखंड में नरेगा को लेकर बहुतब ढ़िया काम हो सकता था., लेकिन ठेकेदारों और इंजीनियरों ने मिल कर इस योजना को बरबाद कर दिया. हमने जब भी सोशल ऑडिट के जरिये इसमें गड़बड़ी रोकने की कोशिश की, सभी राजनीतिक दलों के नेताअों ने उन्हें बचाना शुरू कर दिया. गांव की छोटी मछलियों को पकड़ा गया, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार लोगों को राजनीतिक शक्तियां बचाती हैं. उन्होंने लातेहार का उदाहरण देते हुए कहा कि मनिका ब्लॉक के अधिकारी को पकड़ा गया, तो उसे बचाने के लिए तमाम राजनीतिक शक्तियां एकजुट हो गयीं. यह बड़ा क्राइम है.
उन्होंने कहा क झारखंड विधानसभा में 2009 में लोकसभा के 57 सांसदों का आपराधिक रिकॉर्ड था. विधानसभा की स्थिति यह थी कि तब 73 फीसदी सदस्यों के क्रिमिनल रिकॉर्ड थे. उन्होंने कहा कि अपराध की बड़ी मछलियां जब विधानसभा और लोकसभा में बैठेंगी, तो अपराध को रोकना बेहद मुश्किल काम है.
उन्होंने राज्य में सांप्रदायिकता को उन्होंने गंभीर और खतरनाक बताया. कहा कि बजरंग दल और आइएसआइएस ही खतरा नहीं हैं. धर्म के नाम पर लोगों को बांटनेवाले भी सांप्रदायिक हैं और ये ज्यादा खतरनाक हैं.
नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने अपने भाषण की शुरुअात में प्रभात खबर के 33 साल के सफर की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर ने झारखंड की जो सेवा की है, वह अतुलनीय है. सभी जानते हैं कि प्रभात खबर का नारा है, ‘अखबार नहीं आंदोलन’. इसमें हरिवंश जी का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने पत्रकारिता के जो आदर्श स्थापित किये और जो आंदोलन उन्होंने चलाया, उसके कारण पूरे देश में आज प्रभात खबर को सभी लोग जानते हैं. सब इसकी सराहना करते हैं.
प्रभात खबर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जितना काम किया है, मुझे नहीं लगता कि किसी और अखबार ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए इतना काम किया होगा. झारखंड में प्रभात खबर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो काम किया है, वह प्रशंसनीय है. हम बिहार-झारखंड के लोग हैं. इस अखबार ने विकास का आंदोलन चलाया है. विकास के बारे में प्रभात खबर निरंतर लिखता रहा है. इन्होंने विकास का जो बीड़ा उठाया है, यह प्रशंसनीय है.
उन्होंने कहा कि प्रभात खबर ने निरंतर प्रयास किया है कि भविष्य के बारे में सोचें. झारखंड, बिहार और देश के भविष्य के बारे में सोचने-विचार करने की दिशा में आपने दूरदर्शी सोच दिखायी है, इसके लिए यह अखबार बधाई का पात्र है.
जदयू के वरिष्ठ सांसद हरिवंश ने कहा कि पलामू के जिन गांवों में कभी सरकारी अधिकारी और नेता नहीं जाते थे, वहां जाकर गरीबों के लिए ज्यां द्रेज ने काम किया. उन्होंने कहा कि हमारे देश में ईश्वर को माननेवाले और ईश्वर को न माननेवाले दोनों तरह के लोग हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने नौकरी कई बड़े समाचार समूहों में की. लेकिन, पैशन की पत्रकारिता सिर्फ प्रभात खबर में ही की.’ उन्होंने कहा कि प्रभात खबर हर साल विशेषांक निकालता था, जिसमें देश के बड़े अफसरों और चिंतकों के लेख छपते थे. यह ऐसा अंक होता था, जिसमें भ्रष्टाचार पर गहराई से अध्ययन होता था. प्रभात खबर के विशेषांकों में प्रकाशित चीजों को विवेक देबरॉय ने अपनी पुस्तक में कोट किया है.
उन्होंने विभिन्न रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी मामले में झारखंड की स्थिति राष्ट्रीय औसत के समान नहीं होगी. उन्होंने कहा कि 2005-2011 में 1.17 करोड़ लोगों के पास झारखंड में रोजगार था. इसमें सिर्फ 2 लाख लोगों को शहरी क्षेत्र में नौकरी मिली. यदि हालात नहीं बदले, तो आनेवाले दिनों में शहरों में लोगों को रोजगार मिलने की दर घटेगी.
हरिवंश ने कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधन अवैधतरीके से नष्ट किये जा रहे हैं और सरकार कुछनहीं कर पा रही. दुमका के ऐसे पहाड़ों को काट डाला गया, जो फॉसिल में तब्दील हो चुके थे. ये अमूल्य प्राकृतिक संपदा हैं, लेकिन उसे बचाया नहीं जा रहा. ये सरकार नहीं कर रही. सरकार के आदेशसे भी नहीं हो रहा, लेकिन इसे रोकने की दिशा में जो प्रयास होने चाहिए थे, वे भी नहीं हुए. नदियां सूख रही हैं. खेतों को पानी कैसे मिलेगा?
उन्होंने कहा कि 2025 में झारखंड में युवाअों को रोजगार देना सबसे बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग नौकरी करने के लिए अपने घर से ढाई हजार किलोमीटर दूर केरल जा रहे हैं, यह चिंता की बात है. उन्होंने कई आंकड़ों के जरिये बताया कि झारखंड जिस गति से चल रहा है, उस गति से 2025 तक उसके उद्देश्यों की पूर्ति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि विकसित झारखंड बनाने के लिए गंभीरता से और पूरी ईमानदारी से काम करना होगा. लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जनता को सक्षम बनाना होगा. विकास का माहौल बनाना होगा.
उन्होंने कहा कि सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, बड़े-बड़े वादे करती है, लेकिन धरातल पर नाममात्र की चीजें उतर पाती हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को अपने विधायक, अपनी सरकार से यह पूछना शुरू करना होगा कि उन्होंने जो बातें की थी, उस पर वह कितना आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग यदि अपने किये हुए वादे से मुकर जायें, तो यह गंभीर स्थिति है. ऐसी स्थिति में कोई देश या राज्य आगे नहीं बढ़ सकता.
उन्होंने कहा कि हमारा आदिवासी समाज कम चीजों के साथ रहता है, लेकिन खुश रहता है. उन्होंने कहा कि किसी राज्य को आगे ले जाने के लिए पहली शर्त है कि उसके नेता के पास विजन हो. इसके लिए विश्व के बड़े संस्थानों में पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है. इसके लिए कैरेक्टर और कनविक्शन सबसे ज्यादा जरूरी है. कामराज बहुत पढ़े-लिखे नेता नहीं थे. वह भाषा नहीं पढ़ पाते थे. लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी जैसा प्रधानमंत्री कामराज ने दिया. उन्हें पीएम बनाने की बात हुई, तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया.
अाज देश के सबसे विकसित राज्यों में एक राज्य है तमिलनाडु. उस तमिलनाडु की विकास की बुनियाद उस अनपढ़ कामराज ने रखी. उन्होंने कहा कि अाज देश के हर राज्य को कामराज जैसा अनपढ़ मुख्यमंत्री मिल जाये, तो यह देश बहुत आगे बढ़ जायेगा. उन्होंने कहा कि जनता को तय करना है कि हमारा नेता कैसा हो. उन्हें ऐसा नेता चुनना होगा, जो 2025 तक उनकी तकदीर बदल दे.
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