ये खतरनाक है: हर दिन 43 टन प्लास्टिक का कचरा पैदा कर रहे रांचीवासी

प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग से होनेवाले नुकसान के बारे में अमूमन सभी लोग वाकिफ हैं. इसके बावजूद दैनिक जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर अलग-अलग तरीके से प्लास्टिक और पॉलिथीन इस्तेमाल हो रहा है. इसे रोकने के लिए कानून भी बना है, लेकिन इसका पालन कराने की जिम्मेदारी जिनके पास है, वे भी लापरवाह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 14, 2017 7:32 AM
प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग से होनेवाले नुकसान के बारे में अमूमन सभी लोग वाकिफ हैं. इसके बावजूद दैनिक जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर अलग-अलग तरीके से प्लास्टिक और पॉलिथीन इस्तेमाल हो रहा है. इसे रोकने के लिए कानून भी बना है, लेकिन इसका पालन कराने की जिम्मेदारी जिनके पास है, वे भी लापरवाह बने हुए हैं. एकाध जगहों पर छापेमारी कर या विज्ञापन प्रसारित कर सरकार भी अपने कर्तव्य का निर्वहन कर देती है.
रांची : राजधानी रांची में हर रोज करीब 540 टन ठोस कचरा (सॉलिड वेस्ट) निकलता है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने देश के 60 शहरों में सर्वे किया था. वर्ष 2012 में हुए इस सर्वे में पाया गया था कि शहरों से निकलने वाले कचरे का अाठ से 10 फीसदी तक प्लास्टिक कचरा था. इसी फॉर्मूला के अनुसार अंदाजा लगाया जाये, तो वर्तमान में रांची में हर रोज करीब 40 से 43 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है.

हालांकि, नगर निगम के पास इससे संबंधित अपना कोई वास्तविक या अनुमानित आंकड़ा नहीं है. प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 के अालोक में राज्य सरकार ने 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के उत्पादन व उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, पर झारखंड में इसका इस्तेमाल रुका नहीं है.
छोटी दुकानाें में मिलता है 50 माइक्रोन से कम का पॉलिथीन : ठेला, वेंडर तथा राशन दुकानों सहित मीट-मछली की दुकानों में भी 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलिथीन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से रांची नगर निगम ने इस दिशा में कदम उठाये हैं. प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 कुछ दुकानदारों से जुर्माना भी वसूला गया है. इसी कानून के तहत हैदराबाद के शहरी निकाय ने दुकानदारों से 18 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है. प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 के तहत ही वैसे प्रतिष्ठानों व दुकानों से हर माह चार हजार रुपये वेस्ट मैनेजमेंट फीस ली जाती है, जो अपने ग्राहकों को पॉलिथीन का कैरी बैग देते हैं. नये कानून के तहत प्लास्टिक कचरे को खुले में जलाना भी मना है.
प्लास्टिक की हमारी दुनिया
प्लास्टिक सिर्फ घाटे का सौदा नहीं है. इसने हमारी दुनिया बदल दी है. दरअसल हम प्लास्टिक युग में जी रहे हैं, जिसने हमारा जीवन आरामदेह व खूबसूरत भी बनाया है. प्लास्टिक के बगैर जीना लगभग मुश्किल हो गया है. पर इसे बायो डिग्रेडेबल (जैविक रूप से नष्ट होने वाला) तथा रीसाइकल (फिर से इस्तेमाल के लायक) बना कर हम इस धरती व पर्यावरण की भी खूबसूरती कायम रख सकते हैं. बहरहाल एक खास मोटाई (50 माइक्रोन) वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल करें तथा इसे कचरा न बनायें.
बड़े शहरों में प्रतिदिन निकलनेवाला प्लास्टिक कचरा
दिल्ली में 688 टन
चेन्नई में 429 टन
कोलकाता में 425 टन
मुंबई में 421 टन
बेंगलुरू में 314 टन
समस्त भारत में 15342 टन.
स्रोत : सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड
प्लास्टिक की खपत प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष
यूएसए 109 किलो
यूरोप 65 किलो
चीन 38 किलो
ब्राजील 32 किलो
भारत 11 किलो
कहां कितना प्लास्टिक का उपयोग
पैकेजिंग में 43 फीसदी
संरचना निर्माण में 21 फीसदी
अॉटोमोबाइल में 21 फीसदी
कृषि से संबद्ध चीजों में 16 फीसदी
अन्य चीजों में 18 फीसदी.

फिक्की की रिपोर्ट

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