पुरानी किताब से ही पढ़ेंगे छात्र
रांची: शैक्षणिक सत्र 2014-15 एक अप्रैल से शुरू हो गया. किताब छपाई के लिए अभी तक टेंडर फाइनल नहीं होने से राज्य के कक्षा एक से आठ तक के लगभग 50 लाख विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिल पायी हैं. नयी किताबें उपलब्ध होने तक विद्यार्थियों को पुरानी किताबों से पढ़ाने का निर्णय लिया गया है. […]
रांची: शैक्षणिक सत्र 2014-15 एक अप्रैल से शुरू हो गया. किताब छपाई के लिए अभी तक टेंडर फाइनल नहीं होने से राज्य के कक्षा एक से आठ तक के लगभग 50 लाख विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिल पायी हैं. नयी किताबें उपलब्ध होने तक विद्यार्थियों को पुरानी किताबों से पढ़ाने का निर्णय लिया गया है.
इसके लिए जिलों के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पुरानी किताबों का बुक बैंक बनाया गया है. रांची के जिला शिक्षा अधीक्षक जयंत मिश्र के निर्देश पर सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में बच्चों से पुरानी किताबें जमा करने को कहा गया है. अधिकांश बच्चों ने अपनी पुरानी किताबें जमा भी कर दी है. जिन्होंने किताबें नहीं जमा की है, उनको भी जल्द जमा करने को कहा गया है. विद्यार्थियों को पुरानी किताबें वितरित करने के लिए कहा गया है. कई स्कूलों में बच्चों को किताबें दी गयीं. सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा गया है.
कक्षा एक -दो की स्थिति खराब : कक्षा एक व दो में सबसे कम किताबें जमा हुई हैं. अधिकांश किताबें फट गयी हैं. कुछ किताबें जमा करने योग्य नहीं हैं. इसके फलस्वरूप कक्षा एक व दो में विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिल पायेंगी.
80 फीसदी बच्चों के पास ही किताब
वर्ष 2013-14 में जिन बच्चों को किताबें दी गयी थीं, उनमें से लगभग 80 फीसदी बच्चे ही बच्चे किताब जमा करने की स्थिति में हैं. स्कूल के प्रधानाध्यापकों ने बताया कि लगभग 80 फीसदी बच्चे ही किताब लौटा रहे हैं. कुछ बच्चों ने किताबें गुम हो जाने की सूचना दी है. कुछ बच्चों की किताबें फट गयी हैं, इसलिए वे जमा करने से कतरा रहे हैं.
अगस्त से पहले किताब नहीं
वर्ष 2014-15 में किताब की छपाई के लिए अब तक टेंडर फाइनल नहीं हुआ है. जनवरी में निविदा आमंत्रित की गयी थी.16 प्रकाशकों ने टेंडर में भाग लिया था, जिनमें से 15अयोग्य पाये गये. उसके बाद टेंडर को रद्द कर दिया गया. अब नये सिरे से टेंडर की तैयारी की जा रही है. टेंडर फाइनल होने में कम से एक माह का समय लगेगा. वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद किताब छपाई के लिए प्रकाशकों को कम से कम 90 दिन समय दिया जायेगा. ऐसे में बच्चों को अगस्त से पहले किताबें नहीं मिल पायेंगी.