उग्रवादियों ने 16 अक्तूबर 2016 की देर रात घटना को अंजाम दिया था. विस्फोट की घटना में दो रेल स्लीपर चकनाचूर हो गये थे. विस्फोट इतना जबरदस्त था कि लोगों ने इसकी आवाज दो किलो मीटर दूर तक सुनी थी. घटना के ठीक पहले एक मालगाड़ी कोयला लेकर अप लाइन से जा रही थी. इसी बीच पोल संख्या 158/13 के निकट मालगाड़ी का ब्रेक जाम हो गया और कोयला लदी मालगाड़ी रुक गयी. हालांकि इस दौरान विस्फोट की घटना की बात स्पष्ट नहीं हो पायी थी. बाद में मालगाड़ी को रवाना कर दिया गया था.
घटना की जानकारी दूसरे दिन सुबह में पुलिस को मिली. इसके बाद पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर मामले की जांच शुरू की. विस्फोटक के बाद घटना की जिम्मेवारी पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने ली थी, लेकिन घटना को अंजाम किसके निर्देश पर और किन लोगों ने दिया था, तब यह पुलिस के लिए स्पष्ट नहीं हो पाया था. इसके अलावा रेलवे विभाग के अधिकारियों के लिए भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि घटना को अंजाम देनेवाले कौन हैं. इसलिए मामले में देव नारायण राम की लिखित शिकायत के आधार पर अज्ञात उग्रवादियों के खिलाफ रेलवे पटरी को विस्फोट कर क्षतिग्रस्त करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था.