जमीन-फ्लैट के 15 करोड़ देकर भी फंसे 550 लोग

रांची: झारखंड राज्य आवास बोर्ड से लॉटरी द्वारा आवंटित जमीन और फ्लैट को लेकर अब भी करीब 550 लोग फंसे हुए हैं. छह साल हो गये हैं, लेकिन अब तक उन्हें जमीन व फ्लैट पर पूरी तरह कब्जा नहीं मिला है. यानी उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है. हालांकि, लॉटरी के बाद लोगों ने तय राशि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2017 2:56 AM
रांची: झारखंड राज्य आवास बोर्ड से लॉटरी द्वारा आवंटित जमीन और फ्लैट को लेकर अब भी करीब 550 लोग फंसे हुए हैं. छह साल हो गये हैं, लेकिन अब तक उन्हें जमीन व फ्लैट पर पूरी तरह कब्जा नहीं मिला है. यानी उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है. हालांकि, लॉटरी के बाद लोगों ने तय राशि की किस्त बोर्ड के पास जमा कर दी थी. कुछ लोगों ने तो एक मुश्त पूरी राशि भी जमा कर दी है. इनमें से कुछ लोगों ने तो बैंक से ऋण लेकर भी पैसा जमा किया है. लोगों ने करीब 15 करोड़ रुपये बोर्ड के पास जमा कर रखे हैं.
क्या है मामला : आवास बोर्ड ने 2011 में हरमू, अरगोड़ा, बरियातू इलाके की जमीन व फ्लैट का आवंटन लॉटरी के माध्यम से किया था. इस तरह लोगों ने एग्रीमेंट मनी सहित अन्य राशि जमा की. कई लोगों ने जमीन पर चहारदीवारी कर ली. कुछ लोगों ने मकान भी बनाया. वहीं जिन्हें फ्लैट मिले, उन्होंने उसे दुरुस्त करा कर रहना भी शुरू कर दिया, लेकिन बाद में आवास विभाग ने लॉटरी से आवंटन पर सवाल उठाया और अनियमितता बरतने का आरोप लगाया. साथ ही आवंटन निरस्त करने करने का आदेश दिया.

इस तरह लॉटरी द्वारा आवंटन को निरस्त कर दिया गया. इसके खिलाफ आवंटियों की अोर से उच्च न्यायालय में अपील की गयी. न्यायालय ने 2015 में आदेश दिया कि यह नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है. न्यायालय ने कहा कि आवंटन के चार साल बाद निरस्त करना सही नहीं है. निरस्त करने के पहले आवंटियों से उनका पक्ष भी लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. न्यायालय के इस आदेश के बाद बोर्ड ने आवंटियों को नोटिस किया है और उनसे उनका पक्ष मांगा. कई आवंटियों ने तो जवाब दिया है, लेकिन यह मामला आज भी लटका हुआ है.

आवंटन रद्द की सूचना से उड़े हैं होश : उच्च न्यायालय के आदेश को दो साल हो गये हैं. कई लोगों के जवाब दिये भी लंबे समय हो गये हैं, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है. इधर, कई लोगों को विभिन्न माध्यमों से यह सूचना मिली कि आवंटन आदेश रद्द हो सकता है, इसके बाद से उनके होश उड़े हुए हैं. लोगों का कहना है कि छह साल से उनका जीवन भर की कमाई फंसा हुआ है. बैंकों से ऋण लेकर भी राशि जमा की गयी थी. आज तक बैंकों को ब्याज दे रहे हैं.

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