आदिवासियों के हित से जुड़ा है धर्मांतरण बिल

रांची: केंद्रीय सरना समिति (निबंधन संख्या 564) के प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष अजय तिर्की के नेतृत्व में राज्यपाल द्रौपदी मुरमू से मुलाकात कर धर्मांतरण बिल लागू करने की मांग की़ इस बाबत उन्हें ज्ञापन भी सौंपा़ इसमें कहा गया है कि ईसाई धर्म प्रचारक गांव-गांव जाकर भोले- भाले सरना आदिवासियों का धर्मांतरण करते है़ं इसके लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2017 7:58 AM
रांची: केंद्रीय सरना समिति (निबंधन संख्या 564) के प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष अजय तिर्की के नेतृत्व में राज्यपाल द्रौपदी मुरमू से मुलाकात कर धर्मांतरण बिल लागू करने की मांग की़ इस बाबत उन्हें ज्ञापन भी सौंपा़ इसमें कहा गया है कि ईसाई धर्म प्रचारक गांव-गांव जाकर भोले- भाले सरना आदिवासियों का धर्मांतरण करते है़ं इसके लिए उन्हें अच्छा पद-पैसा मिलता है़ .
यह धर्मांतरण लालच देकर या बीमारी और शैतान- भूत से बचाने के नाम पर कराया जाता है़ ईसाई धर्म के अगुवे सरना आदिवासियों के देवी- देवताओं को शैतान या भूत का नाम देते है़ं उनके द्वारा प्रकाशित ‘नेम्हा बाइबल’ में सरना स्थल को ही समाप्त करने की बात कही गयी है़ ‘ट्राइबल मिथ्स’, ‘आदिवासी मिस्सा संग्रह’, ‘आदिवासी धर्म: एक परिचय’, ‘उरांव संस्कृति’, ‘सौम्य व्यक्तित्व की तलाश’ जैसी किताबें इसके उदाहरण है़ं हमारे पवित्र स्थान सिरा सीता की अभद्र तुलना भी नारी शरीर के अंगों से की गयी है़.

दल ने कहा कि पहले इस राज्य में गिने- चुने चर्च थे पर आज हर गांव- मौजा में छोटे- छोटे चर्च का निर्माण हो रहा है़ यह प्रकृति पूजक सरना आदिवासियों को समाप्त करने की साजिश है़ कुछ वर्ष पहले सरना आदिवासियों की छात्रवृत्ति बंद थी पर ईसाई आदिवासी विद्यार्थियों को अल्पसंख्यक के नाम पर छात्रवृत्ति मिल रही थी़ लिहाजा, राज्यपाल इस बिल को लागू कर सरना आदिवासियों का मनोबल बढ़ाये़ं यह राज्य के 74 लाख सरना आदिवासियों के हित की बात है़ प्रतिनिधिमंडल में अगम उरांव, संदीप तिर्की, राजेश टोप्पो, हाबिल तिग्गा,अजय उरांव, विक्की कच्छप, राजदेव पाहन भी शामिल थे़.
धर्मांतरण विधेयक व पेशा एक्ट सख्ती से लागू हो
रांची. वनवासी कल्याण केंद्र के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर धर्म स्वतंत्र विधेयक व पेशा एक्ट को पूर्ण से रूप से लागू करने की मांग की गयी. बताया गया कि वनवासी कल्याण केंद्र झारखंड में वर्ष 1969 से अनुसूचित जनजाति समाज की संस्कृति, परंपरा की सुरक्षा व सर्वांगीण विकास के लिए कार्य कर रहा है. लिहाजा, नियमावली बना कर महाराष्ट्र सरकार की तरह ग्रामसभा को भूमि एवं विकास संबंधित कार्य में अधिकार दिया जाये. साथ ही वन क्षेत्र में बसे गांवों को वन अधिनियम के तहत अगले दो वर्ष की समय सीमा निश्चित कर कुछ वन क्षेत्र में सामूहिक वनाधिकार देने का आग्रह किया गया. प्रतिनिधिमंडल में क्षेत्रीय प्रमुख प्रणय दत्त, प्रदेश उपाध्यक्ष रिझु कच्छप, सचिव मोहन सिंह मुंडा, संगठन मंत्री हिरेंद्र सिन्हा व सत्येंद्र सिंह थे.

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