अनुकंपा नौकरी और संडे ओटी पर मामला फंसा

रांची : कोयला कर्मियों के वेतन व सुविधाओं संबंधित मुद्दों पर आखिरकार गुरुवार को भी फैसला नहीं हो सका. गुरुवार को ड्राफ्ट कमेटी की अनुशंसा के बाद संडे ओटी और अनुकंपा आधारित नौकरी देने के मामले पर बात अटक गयी. इस कारण समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सका. गुरुवार को कोलकाता में कोल इंडिया के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 1, 2017 10:38 AM

रांची : कोयला कर्मियों के वेतन व सुविधाओं संबंधित मुद्दों पर आखिरकार गुरुवार को भी फैसला नहीं हो सका. गुरुवार को ड्राफ्ट कमेटी की अनुशंसा के बाद संडे ओटी और अनुकंपा आधारित नौकरी देने के मामले पर बात अटक गयी. इस कारण समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सका.

गुरुवार को कोलकाता में कोल इंडिया के चेयरमैन के रिटायरमेंट से पहले जेबीसीसीआइ-10 की बैठक रखी गयी थी. इसमें प्रबंधन ने रविवार को छुट्टी देने से मना कर दिया. प्रबंधन इसको स्टैगर्ड होलीडे मानना चाहता है. इससे रविवार के दिन काम करने वाले कर्मियों को ओवर टाइम नहीं देना होगा. इसका यूनियन के सदस्यों ने विरोध किया. कहा कि यह माइंस एक्ट का उल्लंघन होगा. इससे मानना संभव नहीं है. इसके साथ ही प्रबंधन ने मृतक कोयलाकर्मियों के परिजनों को नौकरी देने से इनकार कर दिया. प्रबंधन का कहना था कि केवल काम के दौरान होने वाली मौत की स्थिति में ही नौकरी देना संभव है. इसे भी मानने से यूनियन के सदस्यों ने इनकार कर दिया.
अब इन सब मुद्दों को सलटाने के लिए एपेक्स जेसीसी की बैठक 18 और 19 सितंबर को बुलायी गयी है. 18 को बैठक में लंबित मुद्दों पर विचार किया जायेगा. जबकि 19 सितंबर को कोयलाकर्मियों के बोनस के मुद्दे पर विचार किया जायेगा. एटक नेता लखन लाल महतो व एचएमएस नेता राजेश कुमार सिंह ने बताया कि प्रबंधन के साथ शाम करीब 6.30 बजे वार्ता शुरू हुई, जो सवा नौ बजे तक चली लेकिन समझौता नहीं बन सका. अब अगली बैठक में इन मुद्दों पर विचार किया जायेगा.
चेयरमैन को दी गयी विदाई
कोल इंडिया के चेयरमैन और तेलंगाना कैडर के आइएएस एस भट्टाचार्या गुरुवार को सेवानिवृत्त हो गये. मजदूर यूनियनों और सभी अनुषंगी कंपनियों के अधिकारियों ने उनको विदाई दी. उनके कार्यकाल में किये गये कार्यों को याद किया.
एमजीबी पर हो चुकी है सहमति
पूर्व में दिल्ली में हुई बैठक में 20 फीसदी मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) और चार फीसदी विशेष भत्ता देने पर सहमति बन चुकी है. ड्राफ्ट कमेटी ने इससे संबंधित प्रारूप जो यूनियनों को दिया है. उस पर यूनियन और प्रबंधन दोनों सहमत हैं.

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