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बड़ी संख्या में बच्चों की मौत की अनदेखी नहीं की जा सकती, सरकार ठोस कदम उठाये : झारखंड हाइकोर्ट

एमजीएम में चार माह में 164, रिम्स में 29 दिन में 140 बच्चों की माैत का मामला जमशेदपुर के प्रधान जिला जज की रिपोर्ट पर झारखंड हाइकोर्ट ने लिया संज्ञान रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को जमशेदपुर के प्रधान जिला जज सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के अध्यक्ष की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2017 6:35 AM
एमजीएम में चार माह में 164, रिम्स में 29 दिन में 140 बच्चों की माैत का मामला जमशेदपुर के प्रधान जिला जज की रिपोर्ट पर झारखंड हाइकोर्ट ने लिया संज्ञान
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को जमशेदपुर के प्रधान जिला जज सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के अध्यक्ष की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया.
कोर्ट ने मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव, वित्त सचिव, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं, निदेशक एनआरएचएम, निदेशक रिम्स (रांची), निदेशक एमजीएम जमशेदपुर व निदेशक पीएमसीएच धनबाद को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी किया. राज्य सरकार को दो सप्ताह के अंदर िवस्तृत रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई के लिए 18 सितंबर की तिथि निर्धारित की गयी. मामले की सुनवाई जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ में हुई.
खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है. महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एमजीएम) जमशेदपुर व राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) रांची जैसे विशेषज्ञ अस्पतालों में बड़ी संख्या में बच्चों की माैत होना गंभीर मामला है.
बच्चों की माैत होना दु:खद है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एमजीएम में चार माह में 164, रिम्स में 29 दिन में 140 बच्चों की माैत की अनदेखी कतई नहीं की जा सकती है. बच्चों के इलाज में किसी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए. सरकार इस तरह की व्यवस्था करे, ताकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य पीछे नहीं रह सके. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर विशेषज्ञ मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों की चिकित्सकीय व्यवस्था दुरुस्त की जाये. वेंटिलेटर सहित कई मेडिकल उपकरण काम नहीं कर रहे हैं. यह ज्वलंत व गंभीर मुद्दा है.
यहां मानव संसाधन, मेडिकल जांच उपकरणों के साथ दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये. यह भी कहा कि एनआरएचएम की योजनाअों के तहत गर्भवती महिलाअों को नियमित पाैष्टिक आहार व दवाइयां उपलब्ध कराया जाये, ताकि बच्चे अंडर वेट व कमजोर पैदा नहीं हो सके. कुपोषण को खत्म करने के लिए सरकार ठोस कदम उठाये.
खंडपीठ ने जमशेदपुर के प्रधान जिला जज की रिपोर्ट की एक प्रति महाधिवक्ता को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर होगी. महाधिवक्ता अजीत कुमार ने खंडपीठ को बताया कि बच्चों की माैत मामले की उच्चस्तरीय जांच करायी गयी है. कार्रवाई भी की गयी है.
इस मामले में जो भी कार्रवाई करनी होगी, सरकार करेगी. इलाज की समुचित व्यवस्था के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है. सरकार प्राथमिकता के साथ आम लोगों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है.
उल्लेखनीय है कि बड़ी संख्या में बच्चों की माैत से संबंधित मीडिया में आयी रिपोर्ट पर जमशेदपुर के प्रधान जिला जज सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के अध्यक्ष मनोज प्रसाद ने स्वत: संज्ञान लेते हुए महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के शिशु विभाग के विभिन्न वार्डों का स्थल निरीक्षण किया था.
निरीक्षण के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट हाइकोर्ट को भेजी थी. इसमें कहा गया है कि शिशु वार्ड में बेड कम है. भरती मरीजों की संख्या अधिक है. नर्स सहित मेडिकल स्टॉफ की भी कमी देखी गयी.

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