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लापरवाही: रिम्स में जरूरत के मुताबिक नहीं है मैनपावर, कैसे सुधरेगी व्यवस्था, 3000 मरीजों पर सिर्फ 444 नर्सें

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स पर 365 दिन, 24 घंटे करीब 3000 मरीजों के इलाज का दबाव रहता है. जबकि, अाधे से अधिक कर्मचारियों पर मरीजों को परामर्श देने, देखभाल करने, सफाई करने और सुरक्षा का जिम्मा रहता है. रिम्स में जितना मैन पावर चाहिए, उतना नहीं है. डॉक्टर से लेकर नर्स […]

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स पर 365 दिन, 24 घंटे करीब 3000 मरीजों के इलाज का दबाव रहता है. जबकि, अाधे से अधिक कर्मचारियों पर मरीजों को परामर्श देने, देखभाल करने, सफाई करने और सुरक्षा का जिम्मा रहता है. रिम्स में जितना मैन पावर चाहिए, उतना नहीं है. डॉक्टर से लेकर नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ तक की संख्या कम है. जाहिर है कि ऐसे में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पायेगी.
रिम्स में करीब 3000 मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी यहां की 444 नर्सों पर है. यह नर्स तीन शिफ्ट में सेवा देती हैं. इसमें से एक दर्जन नर्स तो गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, जो खुद इलाज के लिए देश के विभिन्न अस्पताल में भर्ती रहती हैं. ऐसे में अगर राज्य के लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया कराना है, तो मैनपावर को दुरुस्त करना होगा. डॉक्टर, नर्स और पारा मेडिकल कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीअाइ) और नर्सिंग काउंसिल अॉफ इंडिया (आइएनसी) के मापदंड को पूरा करते हुए मैनपावर को भरना होगा.
वहां 45 मरीजों पर दो नर्स : रिम्स में नर्सों की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आइसीयू में जहां एक मरीज पर एक मरीज होना चाहिए, वहां दो नर्स 45 मरीजों की देखभाल करती हैं. यही हाल आइसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट), सीसीयू (क्रिटिकल केयर यूनिट) और ट्रामा जैसे महत्वपूर्ण वार्ड का है, जिसमेें मरीज की देखभाल में दिक्कत होती है.
300 डॉक्टरों पर इलाज और शिक्षण का जिम्मा
रिम्स में वर्तमान में करीब 300 डॉक्टर हैं, जिनपर मरीजों के इलाज और शिक्षण का जिम्मा है. जबकि, रिम्स ने स्वास्थ्य विभाग को 1600 मैन पावर नियुक्त करने की मांग की है. ये नियुक्तियां सुपर स्पेशियलिटी विंग, ट्रामा सेंटर, इमरजेंसी एवं पेईंग वार्ड के लिए की जानी हैं. हालांकि, रिम्स के प्रस्ताव पर विभाग का कहना है कि थोड़ा-थोड़ा कर मैनपावर की मांग की जाये. चरणबद्ध रूप में मैनपावर की कमी दूर की जायेगी.
महत्वपूर्ण वार्ड के लिए अलग से कोई टीम नहीं : डॉक्टर और नर्सों की कमी के कारण रिम्स के महत्वपूर्ण वार्ड में अलग से डॉक्टरों की टीम नहीं है. ट्रामा वार्ड की बात की जाये, तो यहां मेडिकल टीम होना चाहिए, लेकिन नहीं है. मरीज को इमरजेंसी या वार्ड में इलाज कर ट्रामा सेंटर में शिफ्ट कर दिया जाता है.
क्या कहता है नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया
वार्ड जरूरत वर्तमान स्थिति
सामान्य वार्ड एक मरीज पर तीन नर्स 45 मरीज पर एक नर्स
आइसीयू एक मरीज पर एक नर्स 36 मरीज पर एक नर्स
ट्राॅमा एक मरीज पर एक नर्स नौ मरीज पर दो नर्स
डॉक्टर और नर्स सहित अन्य को मिला कर 1600 मैनपावर के लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. इतनी संख्या में भी कर्मचारी मिलते हैं, तो हम मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने में सक्षम हो पायेंगे.
डॉ विवेक कश्यप, अधीक्षक रिम्स

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