रांची : भारतीय रेल में आये दिन चोरी की घटनाएं होती रहती हैं. जिसका सामान खोता है, उसमें बहुत कम लोग ऐसे हैं, जो जीआरपी में शिकायत करते हैं. इसमें से भी गिने-चुने लोगों को उनका सामान मिल पाता है या उसकी कोई जानकारी मिलती है. या यूं कहें कि जीआरपी यात्री को उसके खोये हुए सामान के बारे में कोई जानकारी देती है.
यात्रियों के जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेवारी रेलवे की है. यदि कोई यात्री अपना सामान खोने की शिकायत करता है, तो जीआरपी की जिम्मेवारी है कि वह उसके सामान की खोज करे और चोर को पकड़े. हालांकि, यह व्यवस्था सिर्फ आरक्षित टिकट खरीदनेवालों के लिए है. वह चाहे स्लीपर क्लास हो या एसी.
रेलवे सुरक्षा में तैनात किये गये होमगार्ड
जानकार बताते हैं कि टिकट रिजर्वेशन के समय रेलवे हर यात्री से 2 रुपये सुरक्षा शुल्क लेता है. स्लीपर या एसी कोच में टिकट आरक्षित कराने के साथ ही आप उस कोच में चढ़ने और अपनी आरक्षित सीट पर सोने के हकदार बन जाते हैं. इसके साथ ही आपके जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेवारी रेलवे की हो जाती है.
ट्रेन में यात्रा करते समय यदि आपके सामान की चोरी होती है, तो आप इसकी शिकायत करें. यह रेलवे पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह 6 महीने के अंदर आपका सामान खोज कर दे. यदि वह सामान खोजने में नाकाम रहा, तो यात्री उपभोक्ता फोरम जा सकता है. उपभोक्ता फोरम में मामला पहुंचने पर रेलवे को यात्री को हर्जाना भी देना पड़ सकता है. उपभोक्ता फोरम से संबंधित फॉर्म यात्री से उसी वक्त भरवा लिया जाता है, जब वह चोरी की शिकायत करता है.
रेल सुरक्षा तंत्र की खामियों से हो रहे हैं हादसे
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मुताबिक, रिजर्व कोच में अनधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टीटीइ की जिम्मेदारी है. अगर वह इसमें नाकाम रहता है और रेल यात्री को कोई नुकसान पहुंचता है, तो इसे रेलवे की सेवा में खामी माना जायेगा.
कैसे करें शिकायत, कैसे मिलेगा हर्जाना
ट्रेन में यात्रा के समय मिलनेवाले हर्जाने की जानकारी यात्रियों को नहीं होती. इसलिए चोरी आदि के अधिकांश मामलों की वह शिकायत ही नहीं करते. लेकिन यह बेहद जरूरी है. जानिये, कैसे करें शिकायत, कैसे मिलेगा हर्जाना :
1. ट्रेन में चोरी होने के बाद रिपोर्ट दर्ज करवायें.
2. एफआइआर दर्ज कराते समय पुलिस के पास उपलब्ध उपभोक्ता फोरम का फाॅर्म भी भरें, ताकि आप बाद में रेलवे की सेवा में कमी की शिकायत कर सकें.
3. शिकायत की मूल प्रति पीड़ित के पास होगी, और पुलिस कार्बन कॉपी अपने पास रखेगी. एफआइआर और फाॅर्म ही यात्री का मूल दस्तावेज होगा, जिसके आधार वह केस दर्ज करायेगा.
4. यात्री के खोये हुए सामान को खोजने के लिए जीआरपी को 6 महीने का वक्त देना होगा. इसके बाद ही वह उपभोक्ता फोरम में जा सकेंगे.
5. यह सुविधा सिर्फ स्लीपर और एसी कोच के यात्रियों के लिए है. सामान्य श्रेणी के यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा.