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झारखंड : अब शनिवार को अवकाश में भी हाइकोर्ट में सुनवाई

रांची : झारखंड हाइकोर्ट प्रत्येक शनिवार को अवकाश के दाैरान भी मामलों की सुनवाई करेगा. यह पहल नाै सितंबर से शुरू की जा रही है. पहले शनिवार को तीन बेंच का गठन किया गया है. उक्त बेंच में वर्षों से लंबित क्रिमिनल अपील मामलों की सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस अॉफ इंडिया (सीजेआइ) दीपक मिश्रा के […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट प्रत्येक शनिवार को अवकाश के दाैरान भी मामलों की सुनवाई करेगा. यह पहल नाै सितंबर से शुरू की जा रही है. पहले शनिवार को तीन बेंच का गठन किया गया है. उक्त बेंच में वर्षों से लंबित क्रिमिनल अपील मामलों की सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस अॉफ इंडिया (सीजेआइ) दीपक मिश्रा के निर्देश को झारखंड हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने गंभीरता से लेते हुए इसे नाै सितंबर से ही शुरू करने का फैसला किया है. इसके लिए लगभग 1100 पुराने अपील के लंबित मामलों को चिह्नित किया गया है. सुनवाई के लिए अधिवक्ताअों से भी सहयोग देने को कहा गया है.
सीजेआइ ने सभी राज्यों के हाइकोर्ट को निर्देश दिया है कि लंबित मामलों को देखते हुए अवकाश के दाैरान भी मामलों की सुनवाई करें. उक्त बातें हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अंबुज नाथ ने कही. वे शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
मालूम हो कि शनिवार को हाइकोर्ट में अवकाश रहता है. श्री नाथ ने आगे कहा कि नक्सल मामलों के साथ-साथ सांसदों व विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई का स्टेटस प्रतिमाह लिया जाता है. मासिक समीक्षा की जाती है. जिलों में टास्क फोर्स भी बनाया गया है. वीडियो काफ्रेंसिंग कोर्ट भी शुरू किया गया है. यह रांची, जमशेदपुर व धनबाद में शुरू की गयी है. इस कोर्ट से पुलिस, जेल, फोरेंसिक लेबोरेटरी आदि जुड़ा रहेगा. यह व्यवस्था सभी जिलों में शुरू होनी है.
सीजेआइ ने सभी राज्यों के हाइकोर्ट को दिया है निर्देश
जमशेदपुर में ई-समन व ई-वारंट की सुविधा
रजिस्ट्रार जनरल अंबुज नाथ ने बताया कि अगस्त महीने से जमशेदपुर की पुलिस को सीधे ई-समन व ई-वारंट भेजा जा रहा है. इसकी तामिला रिपोर्ट भी मिल रही है. झारखंड में यह सुविधा पहली बार शुरू की गयी है. आनेवाले दिनों में इसका विस्तार राज्य के सभी जिलों में भी किया जाना है. साथ ही पुलिस की वेबसाइट भी बन गयी है. लिंक मिलने पर यह सुविधा शुरू हो जायेगी.
गवाही देने दूसरे जिलों में नहीं जाना हाेगा
श्री पटेल के निर्देश के बाद हाइकोर्ट द्वारा आदेश जारी किया गया है किन्यायिक अधिकारी अब किसी मामले में गवाही देने दूसरे जिलों में नहीं जायेंगे. गवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग से की जायेगी. इस व्यवस्था से अधिकारी अपने पदस्थापन जिला में रह कर गवाही दर्ज कराने के अलावा मामलों की सुनवाई कर सकेंगे. साथ ही सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ेगा.
500 गंभीर मामले चिह्नित, फास्ट ट्रैक बेसिस पर होगी सुनवाई
राज्य सरकार की पहल पर हाइकोर्ट ने स्थानीय विधि-व्यवस्था को प्रभावित करनेवाले 500 गंभीर मामलों को चिह्नित किया है, जिनकी सुनवाई फास्ट ट्रैक बेसिस पर होगी. फिलहाल चिह्नित मामलों में से 153 मुकदमों की सूची हाइकोर्ट को मिल गयी है. संबंधित जिलों के प्रधान न्यायाधीशों को फास्ट ट्रैक बेसिस पर मामलों की सुनवाई करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही डीजीपी को भी निर्देश दिया गया है कि वह पुलिस गवाहों का बयान दर्ज कराना सुनिश्चित करेंगे.
इसकी समीक्षा साप्ताहिक व मासिक आधार पर की जायेगी. उल्लेखनीय है कि विगत माह में हाइकोर्ट के न्यायाधीशों व सरकार के आला अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें गृह सचिव, डीजीपी ने लंबित गंभीर मामलों को चिह्नित कर उसकी त्वरित सुनवाई करने का आग्रह किया था.

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