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वर्षों से अटकी नीतियों पर सीएम ने लिया फैसला, आगे बढ़ाया काम

रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने त्वरित फैसले लेकर वर्षों से अटकी कई नीतियों को अमली जामा पहनाया. नीतियां बनायीं और योजनाओं को आगे बढ़ाया. पिछले 16-17 वर्षों में स्थानीय नीति और नियोजन नीति अटकी थी. रोजगार के सृजन में परेशानी हो रही थी. स्थानीय लोगों की मांग थी कि राज्य की नौकरियों में हिस्सेदारी मिले. […]

रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने त्वरित फैसले लेकर वर्षों से अटकी कई नीतियों को अमली जामा पहनाया. नीतियां बनायीं और योजनाओं को आगे बढ़ाया. पिछले 16-17 वर्षों में स्थानीय नीति और नियोजन नीति अटकी थी. रोजगार के सृजन में परेशानी हो रही थी. स्थानीय लोगों की मांग थी कि राज्य की नौकरियों में हिस्सेदारी मिले.

राज्य में रघुवर दास की सरकार बनते ही स्थानीय नीति बनाने की दिशा में काम आगे बढ़ा. रायसुमारी हुई, पक्ष-विपक्ष की राय ली गयी, इसके बाद सरकार ने स्थानीय नीति तैयार की. इसके बाद सरकार ने 2017 को रोजगार वर्ष बनाने की घोषणा की. नियुक्तियां भी शुरू कर दी गयीं. सरकार के पास पिछले ढाई वर्षों में 16 लाख लोगों को रोजगार का लेखा-जोखा है. राज्य में निवेशकों के माध्यम से 31 हजार युवाओं को रोजगार देने की बात कही गयी. साथ ही सरकार के स्तर पर हजारों लोगों का नियोजन हुआ. सरकार आपके द्वार और योजना बनाओ अभियान ने शासन की साख बढ़ायी है. सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री लोगों की पीड़ा सुन रहे हैं. जाति, आय और आवास प्रमाण पत्र लोगाें के घर जा कर खुद मुख्यमंत्री बनवा रहे हैं. सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम अब तक चतरा, लातेहार, चाईबासा, गोड्डा और सिमडेगा में आयोजित किया जा चुका है.

विकास दर में दूसरे स्थान पर पहुंचा राज्य
झारखंड का विकास दर देश के राज्यों में दूसरे स्थान पर पहुंच गया. देश के टाॅप सात राज्यों में शामिल रहा. मुख्यमंत्री ने दूरदर्शी तरीके से योजनाओं को धरातल पर उतारा. पंचायत से लेकर महिला सशक्तीकरण के लिए बेहतर पहल हुए. एक रुपये में महिलाओं को जमीन-मकान का निबंधन कराने का ऐतिहासिक फैसला करने वाला पहला राज्य बना. समाज के उपेक्षित वर्ग, आदिवासियों और अनुसूचित जातियों के लिए योजनाएं धरातल पर उतरी.
योजनाएं नहीं थोप रही है सरकार
राज्य में योजनाएं खुद लोग बना रहे हैं. सरकार योजनाएं नहीं थोप रही है. योजना बनाओ अभियान को देश भर सरहाना मिली. लोगों की चौपाल सज रही है और योजना बन रही है. मुख्यमंत्री की सजगता का परिणाम है कि राज्य श्रम सुधार में नंबर वन राज्य बन गया है. श्रम के जटिल कानूनों से निजात मिल रही है. कामगारों और निवेशकों के हित के लिए सुधार हुए हैं. न्यूनत मजदूरी 178 से बढ़ा कर 222 कर दी गयी है. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान 27 से बढ़ कर 68 हो गये हैं. विश्व बैंक की रैंकिंग में झारखंड 29 से पहले स्थान पर आ गये है.

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