करगली व स्वांग वाशरी में हटाये गये 92 कर्मी
रांची : सीसीएल के स्वांग और करगली वाशरी से 92 कर्मियों को हटा दिया गया है. इसमें स्वांग से 61 तथा करगली के 31 कर्मी शामिल हैं. धनबाद स्थित ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद 324 कर्मियों को हटाने का आदेश दिया गया है. इसमें पूर्व में ही 182 की नियुक्ति पर रोक लगा दी गयी […]
रांची : सीसीएल के स्वांग और करगली वाशरी से 92 कर्मियों को हटा दिया गया है. इसमें स्वांग से 61 तथा करगली के 31 कर्मी शामिल हैं. धनबाद स्थित ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद 324 कर्मियों को हटाने का आदेश दिया गया है. इसमें पूर्व में ही 182 की नियुक्ति पर रोक लगा दी गयी थी. करगली में 66 लोगों को नियुक्त किया गया था. इसमें 32 को पूर्व में ही हटा दिया था.
शेष को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया है. स्वांग में 68 कर्मियों में छह को पूर्व में हटा दिया गया था. इसमें कुछ कर्मियों की मौत हो गयी है. शेष को हटाने का आदेश जारी किया गया है. औद्योगिक ट्रिब्यूनल ने गलत ढंग से नियुक्त कर्मियों को हटाने का आदेश दिया था. झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन की एक याचिका पर सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल ने यह आदेश दिया था.
कैसे पकड़ में आया मामला
सीसीएल में 1980 में कुछ कर्मी स्लरी का काम करने आये थे. करीब 1992 में कर्मियों ने स्थायीकरण के लिए ट्रिब्यूनल में केस कर दिया. 1996 में ट्रिब्यूनल ने इस मामले में मजदूरों के पक्ष में फैसला दे दिया. अदालत की पूरी प्रक्रिया के बाद कर्मियों को नौकरी देने के लिए यूनियन के प्रतिनिधि और प्रबंधन के सदस्यों ने मिलकर मेमोरेंडम ऑफ सेटलमेंट तैयार किया. फिर यूनियन प्रतिनिधि और प्रबंधन ने मिलकर कर्मियों का सत्यापन किया. इसमें पूर्व से काम कर रहे कर्मियों के स्थान पर दूसरे मजदूरों को नौकरी दिला दी गयी. मजदूरों ने इसकी जानकारी झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के मुमताज आलम को की. उन्होंने पूरे मामले की जांच के बाद 2010 में ट्रिब्यूनल में इसकी शिकायत कर दी. इसकी जांच प्रबंधन ने करायी. जांच के क्रम में सीसीएल प्रबंधन ने पाया कि कई फर्जी लोग नौकरी कर रहे हैं. इसकी पुष्टि होने के बाद ट्रिब्यूनल ने सभी लोगों को नोटिस देकर नौकरी से हटाने का आदेश दिया है.
सीसीएल में 1980 में कुछ कर्मी स्लरी का काम करने आये थे. करीब 1992 में कर्मियों ने स्थायीकरण के लिए ट्रिब्यूनल में केस कर दिया. 1996 में ट्रिब्यूनल ने इस मामले में मजदूरों के पक्ष में फैसला दे दिया. अदालत की पूरी प्रक्रिया के बाद कर्मियों को नौकरी देने के लिए यूनियन के प्रतिनिधि और प्रबंधन के सदस्यों ने मिलकर मेमोरेंडम ऑफ सेटलमेंट तैयार किया. फिर यूनियन प्रतिनिधि और प्रबंधन ने मिलकर कर्मियों का सत्यापन किया. इसमें पूर्व से काम कर रहे कर्मियों के स्थान पर दूसरे मजदूरों को नौकरी दिला दी गयी. मजदूरों ने इसकी जानकारी झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के मुमताज आलम को की. उन्होंने पूरे मामले की जांच के बाद 2010 में ट्रिब्यूनल में इसकी शिकायत कर दी. इसकी जांच प्रबंधन ने करायी. जांच के क्रम में सीसीएल प्रबंधन ने पाया कि कई फर्जी लोग नौकरी कर रहे हैं. इसकी पुष्टि होने के बाद ट्रिब्यूनल ने सभी लोगों को नोटिस देकर नौकरी से हटाने का आदेश दिया है.
सभी दोषियों पर हो कार्रवाई
द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन महासचिव सनत मुखर्जी ने पूरे मामले में दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है.उन्होंने कहा है कि एक बड़ी साजिश के तहत गलत लोगों को नौकरी दी गयी थी. इस साजिश में शामिल अधिकारी व अन्य लोगों पर भी कार्रवाई चाहिए. एक स्वतंत्र एजेंसी से पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.