रांची: लोकसभा चुनाव का सबसे अधिक असर सरकार के कामकाज पर पड़ा है. सरकार की सबसे ऊंची इकाई सचिवालय में काम बिल्कुल नहीं हो रहा है. कामकाज ठप हो गया है. कुछ कर्मचारी-अधिकारी किसी तरह काम खींच रहे हैं.
सबसे दिलचस्प बात है कि मंत्री दफ्तर नहीं आते हैं. अधिकतर मंत्रियों की यही स्थिति है. वहीं डेढ़ दर्जन से अधिक विभागीय सचिव व अन्य अफसर भी चुनावी ड्यूटी में दूसरे राज्य गये हुए हैं. इस तरह विभागों में मंत्री व सचिव दोनों नहीं है. ऐसे में मंत्री व सचिव के स्तर पर होने वाले कार्य ठप पड़े हुए हैं. संचिकाओं का आना-जाना भी कम हो रहा है.
क्या काम हैं ठप
बजट से संबंधित
आवंटन का काम
योजनाओं से संबंधित कार्य
नयी योजनाओं पर निर्णय लेना
प्रोन्नति के कार्य
तबादले की अधिसूचना
रूटीन काम ही हो रहे हैं
सचिवालय में अधिकारियों की कमी से विभागों में केवल रूटीन काम ही हो रहे हैं. वह भी छोटा काम. बड़े मामलो ंकी संचिकाएं पड़ी हुई है. कुछ कोर्ट केस की संचिकाओं का निष्पादन हो रहा है. प्रशाखा पदाधिकारी व सहायक भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.
एक माह से मंत्री नहीं गये दफ्तर
अधिकतर मंत्री एक महीने दफ्तर नहीं गये हैं. उनके दफ्तरों में ताला लटका रहता है. आचार संहिता लगने के बाद से वे लोग अपने-अपने क्षेत्रों में चले गये हैं. चुनाव प्रचार कर रहे हैं. वहीं कुछ मंत्री रांची आते भी हैं, तो दफ्तर नहीं जाते हैं. कुछ संचिकाओं का निबटारा आवासीय कार्यालय से निबटा रहे हैं.
निर्गत शाखा में भी सन्नाटा
सामान्य तौर पर निर्गत व प्राप्ति शाखा में गहमा-गहमी रहती है. पत्रों का आना-जाना लगा रहता है. आदेश, अधिसूचना व संकल्प के पत्र जारी होते रहते हैं. वहीं दूसरे विभागों व जिलों से पत्रों के आने के सिलसिला जारी रहता है. इन दिनों इस शाखा में भी सन्नाटा है. कर्मचारी बताते हैं कि 20-25 फीसदी ही पत्र आ रहे हैं.