प्रभारी चला रहे हैं लॉ यूनिवर्सिटी, आंदोलन पर छात्र

चार दिनों से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र आंदोल पर है. कल कॉलेज कैंपस तक पुलिस आंदोलन को रोकने के लिए पहुंच गयी. आज प्रभात खबर डॉट कॉम ने छात्रों से लाइव बातचीत की. इस बातचीत में कई चीजें सामने आयी. छात्रों का विरोध इसे लेकर भी है कि विश्वविद्यालय में एक भी कर्मचारी ऐसा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2017 6:05 PM

चार दिनों से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र आंदोल पर है. कल कॉलेज कैंपस तक पुलिस आंदोलन को रोकने के लिए पहुंच गयी. आज प्रभात खबर डॉट कॉम ने छात्रों से लाइव बातचीत की. इस बातचीत में कई चीजें सामने आयी. छात्रों का विरोध इसे लेकर भी है कि विश्वविद्यालय में एक भी कर्मचारी ऐसा नहीं जो स्थायी है. सभी कर्मचारी, प्रोफेसर अनुबंध पर हैं. प्रभात खबर फेसबुक लाइव में छात्रों ने कहा, ऐसे प्रोफेसर होने चाहिए जो इस काबिल हों कि हमें पढ़ा सकें. लॉ युनिवर्सिटी रांची के छात्र इस बार बैकफुट पर जाने के मूड में नहीं हैं, छात्रों का साफ कहना है कि हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन का घूंट पिलाकर आंदोलन को शांत कराया जाता है पर हालात जस के तस रहते हैं. नेशनल युनिवर्सिटी फॉर स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ के जो मानक है, जो सुविधाएं दूसरे लॉ युनिवर्सिटीज के छात्रों को मिल रही है वो सु‌विधाएं यहां नहीं है.

छात्रों का कहना है कि अगर उन्हें अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है, तो वे राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे विश्वविद्यालय के छात्रों से कैसे मुकाबला करेंगे. आंदोलनरत छात्र इस बात पर जोर देते हैं कि पूरे यूनिवर्सिटी में सब कुछ प्रभार पर चल रहा है, जितने भी प्रोफेसर या लेक्चर्रस है सभी अनुबंध पर हैं, वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार जैसे पद भी प्रभार पर चल रहें है, छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी को बिलकुल लावारिश हालत में छोड़ दिया गया है. छात्र चांसलर से सभी मुद्दों पर बात करना चाहते है.
छात्रो ने फेसबुक लाइव बातचीत में कहा, हम वीसी को हटाने की मांग नहीं कर रहें है, युनिवर्सिटी की समस्याओं का स्थायी समाधान चाहिए. हम अपनी बात कहां पर रखें जो उनकी बात सुने क्योंकि सब तो प्रभार पर हैं. वीसी बात करने को तैयार नहीं है और आंदोलन करने पर करियर खराब करने की धमकी दे रहे हैं. छात्रों ने कल की घटना का जिक्र करते हुए कहा, हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. हम सभी लॉ पढ़ रहे हैं कानून के दायरे को समझते हैं इसके बावजूद आंदोलन पर बैठे छात्रों के टेंट पुलिस उखाड़ कर ले गयी.
प्रशासन का भय दिखाकर आंदोलन को दबाने का प्रयास किया गया. छात्र कहते हैं की अगर चांसलर आकर उनसे बात करे और कहे की आंदोलन गलत हो रहा है. आंदोलन को गलत ठहराने की सही वजह बता सके, तो वो आंदोलन से पीछे हट जायेंगे. छात्रों का कहना है की कोई जिम्मेदार व्यक्ति आकर उनसे बात करें और उनकी समस्याओं को सुने तो वे आंदोलन क्यों करेंगे. युनिवर्सिटी कैंपस में वाई-फाई की सुविधा सही तरीके से नहीं मिल रही है, छात्रों को किसी भी प्रकार का आयोजन करने के लिए साउंट सिस्टम से लेकर प्रोजेक्टर तक बाहर से मंगाना पड़ता है. सात साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक एक ढंग का ऑडिटॉरियम नहीं बना है.
छात्रों के आंदोलन के बाद युनिवर्सिटी की ओर से असिस्टेंट रजिस्ट्रार (इन चार्ज) एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया गया है जिसमे वाइस चांसलर के उपलब्धियों को गिनाया गया है. छात्रों का कहना है कि प्रेस विज्ञप्ति में जो बाते लिखी गयी है उससे छात्रों के आंदोलन का कोई सरोकार नहीं है. छात्र कहते हैं हम फिल्टर के लिए इतना बड़ा आंदोलन क्यों करेंगे. छोटी बातों की तरफ इशारा करके वीसी बड़े मुद्दों को छिपाना चाहते हैं. इन आंदोल के बीच सवाल उन छात्रों के भविष्य का है जो सुनहरे सपने लेकर घर से दूर पढ़ने आये थे.

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