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रांची : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आज यहां दो टूक शब्दों में कहा कि देश की सीमाओं के भीतर देश का विकास हमारा सार्वभौम अधिकार है और उस अधिकार का हम उपयोग करेंगे. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में उत्तरपूर्व के राज्यों में जापान के सहयोग से प्रस्तावित विकास कार्यों पर चीन के हाल के एतराज पर दो टूक कहा, देश की नीति सुषमा जी ने बहुत स्पष्ट कर दी है. हमें अपनी सीमाओं के भीतर देश का विकास करने का सार्वभौम अधिकार है और उस अधिकार का हम उपयोग करेंगे. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तीन दिवसीय दौरे पर झारखंड आये हैं.
उनसे आज संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया कि जापान के प्रधानमंत्री के हाल के दौरे के दौरान आर्थिक सहयोग के जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये उनके तहत उत्तर पूर्वी राज्यों में निवेश को लेकर चीन के एतराज पर भाजपा का क्या रुख है, तो उन्होंने कहा, भारत का रुख बिलकुल साफ है और वह यह है कि हमारी सीमा के भीतर विकास का कार्य करने के लिए हम पूरी तरह स्वतंत्र हैं.
रोहिंग्या पर
इसी प्रकार रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से वापस भेजे जाने के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में शाह ने पलट कर पूछा, क्या रोहिंग्या मुसलमानों पर भारत में अत्याचार हो रहे हैं. उन्होंने कहा, ऐसी स्थिति में भारत की उनके साथ पूरी सहानुभूति है और भारत उनकी हर प्रकार की मदद करेगा लेकिन यह मदद म्यामां की सीमा के भीतर की जायेगी.
रघुवर पर
झारखंड में राज्य सरकार द्वारा हाल में लाये गये धर्म स्वातंत्र्य कानून के ईसाई समुदाय द्वारा किये जा रहे विरोध और राज्य के मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर हटाये जाने की उनकी मांग के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया.
ज्ञातव्य है कि ईसाई पादरियों के एक संगठन ने हाल में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री दास को हटाये जाने की मांग की है.
राज्य विधानसभा से पारित सीएनटी एवं एसपीटी भूमि संशोधन विधेयक को राज्यपाल द्वारा लौटाये जाने से सरकार की हुई किरकिरी के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, किरकिरी नहीं हुई है. लोकतंत्र के भीतर लोगों की भावनाओं का ध्यान रखा जाता है. सरकार सब लोगों से चर्चा करती है.चर्चा होनी भी चाहिए. चर्चा के बाद उचित संशोधित विधेयक फिर विधानसभा में रखा जायेगा. राज्यपाल को बहुत सारी मांगें मिली थीं जिनके साथ राज्यपाल ने इस संशोधन विधेयक को राज्य सरकार को नये सिरे से संशोधित करने के लिए वापस भेजा था. इसमें किसी को क्या आपत्ति होनी चाहिए.