रांची : झारखंड की राजधानी रांचीस्थित चुटिया के भाजपा नेता के बेटे और रिश्तेदारों के अपहरण में जिस चंदन सोनार गिरोह का नाम सामने आया है, वह बेहद शातिर अपराधी है. बिहार और झारखंड में अपहरण उद्योग चलाताहै. इसके बारे में बताया जाता है कि जब तक फिरौती न वसूल कर ले, शिकार को छोड़ता नहीं. भले ही इसमें कितना ही वक्त क्यों न लग जाये.
बिहार और झारखंड पुलिस की नाक में दम कर देनेवाला चंदन हाजीपुर का रहनेवाला है. सूरत के हीरा व्यापारी के बेटे सोहैल हिंगोरा समेत कई लोगों का अपहरण कर उससे करोड़ों की फिरौती वसूल चुका है. अपहरण की वारदात को अंजाम देने के लिए चंदन स्थानीय लड़कों का इस्तेमाल करता है. जहां भी अपहरण करना होता है, वहां के स्थानीय लड़कों को अपने गिरोह में शामिल करता है.
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मदन सिंह के बेटे और दो रिश्तेदारों के अपहरण के लिए भी उसने यही प्रक्रिया अपनायी. सबसे पहले अपने शागिर्द राकेश की मदद से चुटिया स्थित अमरावती कॉलोनी में रहनेवाले अतुल, विकास, रॉकी समेत छह युवकों कोअपने गिरोह से जोड़ा. शिवम औरउसकेदो रिश्तेदारों के अपहरण में इन सभी का इस्तेमाल किया गया. इन्हीं युवकों ने अपहर्ताओं को सिम कार्ड उपलब्ध कराया.
इतना ही नहीं, आपराधिक छविवाले कई नेताओं से भी इसकी पहचान है, जिनकी मदद से यह गिरोह अपहरण उद्योग को सफलतापूर्वक संचालित करता है. कांग्रेस नेता अशोक सुंडी और आजसू नेता केसरी गुप्ता उसे ऐसे ही मददगार हैं. अशोक सुंडी वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव लड़ चुका है, जबकि केसरी गुप्ता रामगढ़ जिला कमेटी का उपाध्यक्ष रह चुका है. उसकी आपराधिक गतिविधियों के चलते ही उसे कमेटी से निकाल दिया गया.
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झारखंड में चंदन सोनार का पहला शिकार गोमिया के व्यवसायी महावीर जैन बने थे. गिरोह ने 2008 में महावीर जैन काअपहरण किया था.इसके बाद रांची के जेवर व्यवसायी परेश मुखर्जी और लव भाटिया के अपहरण में भी उसकी संलिप्तता सामने आयी. वर्ष 2010 में चंदन पटना पुलिस के हत्थे चढ़ा, लेकिन वर्ष 2013 में जमानत पर छूटने के बाद वह फरार हो गया. रांची के चुटिया इलाके में आज भी उसके कई गुर्गे सक्रिय हैं.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि गुजरात के हीरा कारोबारी के बेटे सुहैल हिंगोरा को भीचंदनगिरोह ने फिरौती लेने के बाद ही छोड़ा था. दक्षिण गुजरात के उद्यमी हनीफ हिंगोरा के बेटे सुहैल को वर्ष 2013 के अक्तूबर मेंकेंद्रशासित प्रदेश दमन से अगवा किया गया था. करोड़ों की फिरौती चुका कर नवंबर के अंतिम सप्ताह में सुहैल के परिवार ने उसे मुक्त करवाया था. बेटे की रिहाई के काफी दिनों बाद हनीफ ने स्वीकार किया था कि उन्होंने सुहैल की रिहाई के लिए फिरौती की रकम चुकायी थी.