सरकार को भ्रमित कर रहे हैं बीएयू वीसी

रांची: कृषि विभाग की सचिव पूजा सिंघल ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पी कौशल पर राज्य सरकार को भ्रमित करने का आरोप लगाया है. विभागीय सचिव ने राजभवन को पत्र लिख कर कुलपति पर कार्रवाई का आग्रह किया है. क्या लगाया गया है आरोप: विभागीय सचिव ने बीएयू केवीके में चल रही नियुक्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2017 7:56 AM
रांची: कृषि विभाग की सचिव पूजा सिंघल ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पी कौशल पर राज्य सरकार को भ्रमित करने का आरोप लगाया है. विभागीय सचिव ने राजभवन को पत्र लिख कर कुलपति पर कार्रवाई का आग्रह किया है.
क्या लगाया गया है आरोप: विभागीय सचिव ने बीएयू केवीके में चल रही नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार को भ्रम में डालने का आरोप लगाया है. सचिव ने लिखा है कि बीएयू में फॉर्म मैनेजर और लैब टेक्निशियन के पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किये गये हैं. इसके लिए शैक्षणिक योग्यता बैचलर डिग्री इन एग्रीक्लचर एंंड अन्य ब्रांच रखी गयी थी. इसके स्थान पर संस्थान ने बिना किसी सूचना के इसकी योग्यता बैचलर इन एग्रीक्लचर कर दी. इसकी जानकारी सरकार को भी नहीं दी गयी. शुद्धि पत्र के कारण संस्थान के पशु चिकित्सा संकाय के विद्यार्थी अयोग्य हो गये. इस कारण पशु चिकित्सा संकाय में विधि व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गयी. कॉलेज को साइन डाइ (अनिश्चितकालीन बंद) तक करना पड़ा. इससे राज्य के समक्ष अशोभनीय स्थिति उत्पन्न हुई. नियुक्ति नहीं होने से केवीके के संचालन पर असर पड़ने की संभावना है.

सचिव ने लिखा है कि आइसीएआर ने इन नियुक्तियों में बैचलर डिग्री इन एग्रीकल्चर के अतिरिक्त अन्य संंबंधित संकायों को भी शामिल किया है. यह जानकारी भी राज्य सरकार ने अपने स्तर से प्राप्त की है. बीएयू ने इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है.
निर्देश के बाद स्थगित कर दी गयी नियुक्ति प्रक्रिया: सचिव ने लिखा है कि मुख्य सचिव की साप्ताहिक समीक्षा बैठक के दौरान लोकहित में केवीके में नियुक्ति एक साल के लिए संविदा पर करने का निर्देश दिया गया था. इसके बावजूद नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित कर दी गयी है. इसके स्थान पर स्थायी नियुक्ति की बात कही जा रही है. कुलपति को पूर्व में भी सरकार ने कई निर्देश व मार्गदर्शन दिये हैं. इसका पालन नहीं हो रहा है. कुलपति स्वयंभू की तरह काम कर रहे हैं. मुख्य सचिव की बैठक में इनका बोलने का तरीका अत्यंत अशोभनीय था. वह उल्टे सरकार पर ही मामले में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हैं.

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