Environment Protection News : प्राकृतिक विरासतों को सहेजा जायेगा, 15 जिलों के 106 स्थल चिह्नित

झारखंड जैव विविधता पर्षद ने जीव-जंतुओं के लिए पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित बनाने की पहल की है. राज्य के 15 जिलों में 106 जैव विविधता विरासत स्थल (बीएचएस) चिह्नित किये गये हैं. यह ऐसे क्षेत्र हैं, जहां प्राकृतिक, अर्द्ध-प्राकृतिक और जीव-जंतु व वनस्पति के लिए मानव निर्मित आवास उपलब्ध हैं. वहीं, एक ही जगह पर कई जीवन रूपों का लगातार विकास हो रहा है. रांची में ऐसे चार बीएचएस चिह्नित किये गये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2024 12:16 AM

अभिषेक रॉय (रांची). झारखंड जैव विविधता पर्षद ने जीव-जंतुओं के लिए पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित बनाने की पहल की है. राज्य के 15 जिलों में 106 जैव विविधता विरासत स्थल (बीएचएस) चिह्नित किये गये हैं. यह ऐसे क्षेत्र हैं, जहां प्राकृतिक, अर्द्ध-प्राकृतिक और जीव-जंतु व वनस्पति के लिए मानव निर्मित आवास उपलब्ध हैं. वहीं, एक ही जगह पर कई जीवन रूपों का लगातार विकास हो रहा है. रांची में ऐसे चार बीएचएस चिह्नित किये गये हैं. इनमें अनगड़ा प्रखंड के चतरा गांव स्थित चतरा वन पर्यटक स्थल, डुंगरी टोली (बूढ़ा महादेव), ढेलुवाखुवा (घसियारा) और सरना स्थल शामिल हैं. सर्वाधिक बीएचएस पलामू में 26, साहिबगंज में 17, गिरिडीह में 14, चतरा में 12, सरायकेला व देवघर में 10-10 चिह्नित किये गये हैं. वहीं, बोकारो, धनबाद, गढ़वा, लातेहार, दुमका, गोड्डा और पाकुड़ में एक-एक स्थल चुने गये हैं.

90 दिनों से पहले पूरा हुआ काम

पर्षद के सदस्य सचिव सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि सितंबर 2024 में पर्षद ने ग्रामसभा, बायो डायवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटी और डिविजनल फॉरेस्ट अफसरों के साथ मिलकर 90 दिनों के अंदर लगभग 100 बीएचएस को चिह्नित करने का लक्ष्य रखा था. टीम ने समय रहते काम पूरा किया. बीएचएस बायो डायवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय ‘कमिंग मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 2022’ लक्ष्य को ध्यान में रख आगे बढ़ रही है. इसके तहत 2030 तक अपने क्षेत्र के 30 फीसदी हिस्से को संरक्षित करने का संकल्प लिया गया है. बीएचएस के जरिये आनेवाले दिनों में प्रकृति और जीव-जंतुओं का पुनर्वास होगा. जल्द ही राज्य सरकार को बीएचएस की सूची भेजी जायेगी. स्वीकृति मिलने पर चिह्नित स्थलों को विकसित किया जायेगा. बायो डायवर्सिटी हेरिटेज साइट मैनेजमेंट कमेटी इसके लिए एक्शन प्लान बनायेगी और इन्हें विकसित करेगी.

बीएचएस स्थानीय रोजगार को बढ़ावा

पर्षद के तकनीकी पदाधिकारी हरिशंकर लाल ने कहा कि राज्य के स्थानीय वनस्पति व जीव-जंतुओं से लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है. विरासत स्थलों के जरिये प्राकृतिक संपदाओं से रोजगार के अवसर सृजित किये जायेंगे. मसलन-दुमका के मैसामुंगेर और गिरिडीह के लुपी जंगल, बारजो व बेदपुर में खासतौर पर साल से हाेनेवाले रेशम के कीड़े (सरिहान कीड़ा), जिसका वैज्ञानिक नाम सेरिहान रेकोरेस है, विलुप्ति के कगार पर है. बीएचएस के विकसित होने पर इस कीड़े का संरक्षण और पुनर्वास कराया जायेगा, जिससे रोजगार संभावना बढ़ेगी.

यह हैं राज्य के खास विरासत स्थल

बोकारो : लुगु पहाड़

धनबाद : लुकैया जंगलगिरिडीह : पारसनाथ पहाड़, पोखरिया जंगल, कमलासिंघा, खोलाखा चेरखिया पहरी, खंडोली पहाड़ व खंडोली डैम, बेदपुर जंगल, डोबी पहाड़, मोरतामारनी पहाड़, लेटगोड़ी पहाड़, लुप्पी जंगल और बांसजोर जंगल

हजारीबाग : कनहरी पहाड़, छड्वा डैम, चंडरी चट्टान, भेलवारा जंगलचतरा : तमासिन जलाशय

सरायकेला : चिलुक, पदमपुर, टिपिक पानी, गजुडीह, ईटाकुदर, बुंडू, रायडीह और मोसोडीह

पलामू : कुदरानाथ, सोंस पहाड़ी – डेम व जंगल, कुंदरी पलाश बगान, नावाडीह पहाड़

लातेहार : बसिया जलप्रपातदुमका : मैसामुंगेर

देवघर : बुदेश्वरी पहाड़ृ और त्रिकुट पहाड़

साहिबगंज : जीवन झारना देव स्थल, जाहेर स्थान, पूर्वी उधवा, पश्चिमी उधवा

गोड्डा : पहाड़िया समाज का धार्मिक स्थल जाहेर थान

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version