जादूगोड़ा का भाटिन गांव है स्वच्छता की मिसाल, सड़कें चकाचक, जलजमाव भी नहीं

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर जादूगोड़ा क्षेत्र का आदिवासी बहुल भाटिन गांव (रासी टोला) स्वच्छता की मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव की आबादी करीब 1500 है. गांव में पानी निकासी के लिए न नाली है, न आवागमन के लिए पीसीसी पथ. गांव में कच्ची सड़क है. बावजूद इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2017 7:41 AM
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर जादूगोड़ा क्षेत्र का आदिवासी बहुल भाटिन गांव (रासी टोला) स्वच्छता की मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव की आबादी करीब 1500 है. गांव में पानी निकासी के लिए न नाली है, न आवागमन के लिए पीसीसी पथ. गांव में कच्ची सड़क है. बावजूद इसके गांव की गलियों में कूड़ा-कचरा व जलजमाव तो दूर एक कंकड़ पत्थर तक इधर-उधर दिखाई नहीं देता है. यह संभव हो पाया है ग्रामीणों की इच्छा शक्ति एवं संयुक्त प्रयास से.
गांव की सफाई में महिलाओं की अहम भूमिका : भाटिन गांव के माझी बाबा(ग्रामप्रधान) दुला मुर्मू बताते हैं कि गांव स्वच्छ रखने में महिलाओं की अहम भूमिका होती है. महिलाएं सुबह उठ कर सबसे पहले हाथ में झाड़ू लेकर घर-आंगन व गली की सफाई करती हैं. उसके बाद गोबर लगाती हैं. यह दैनिक कार्य है. गांव को स्वच्छ व सुंदर बनाने का श्रेय महिलाओं को ही जाता है. हालांकि उनका सहयोग परिवार के सभी सदस्य भी करते हैं.
घर-आंगन के कूड़ा-कर्कट को एकत्रित कर बनाते हैं खाद : गांव में घर से निकलनेवाले कचरे को यहां-वहां नहीं फेंका जाता है, बल्कि उसके लिए हर परिवार के अपने खेत या फिर बागान में एक सुनिश्चित जगह होती है, जहां गड्ढा बना होता है. मवेशियों के गोबर आदि भी उसी गड्डे में फेंके जाते हैं. यह कचरा कुछ दिनों में जैविक खाद बन जाता है. जिसे कृषि कार्य से पूर्व खेतों में डाला जाता है. इस तरह घर-आंगन का कूड़ा-कर्कट व गोबर आदि फायदेमंद साबित हो जाते हैं.
हर महीने होता है ग्रामसभा का चुनाव : गांव में पारंपरिक ग्रामसभा का चुनाव वर्ष में एक बार माघ महीने में होता है. वहीं, भाटिन गांव में ग्राम के संचालन के लिए बनी पारंपरिक कमेटी का चयन हर महीने होता है. सबको गांव के संचालन का मौका मिले. इस लिहाज से हर महीने चार लोगों का जोग माझी (माझी बाबा के सहयोगी) के रूप में चयन होता है. गांव में वे एक महीने तक सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों का संचालन करते हैं. माझी बाबा को सहयोग करते हैं. गांव में पूजा-पाठ हो या सफाई, हर तरह का काम तत्परता से करते हैं.

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