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फूड एनिमल पर 2633 टन एंटीबायोटिक का हुआ इस्तेमाल

रांची : पॉल्ट्री व सूकर सहित अन्य फूड एनिमल पर सर्वाधिक एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करनेवाला भारत दुनिया का चौथा देश है. ऐसा पॉल्ट्री व अन्य फूड एनिमल का तेजी से शारीरिक विकास करने तथा कुछ हद तक बीमरियों से बचाव के लिए होता है. पर यह इस्तेमाल अनियंत्रित व अंधाधुंध है. वर्ष 2013 में भारत […]

रांची : पॉल्ट्री व सूकर सहित अन्य फूड एनिमल पर सर्वाधिक एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करनेवाला भारत दुनिया का चौथा देश है. ऐसा पॉल्ट्री व अन्य फूड एनिमल का तेजी से शारीरिक विकास करने तथा कुछ हद तक बीमरियों से बचाव के लिए होता है. पर यह इस्तेमाल अनियंत्रित व अंधाधुंध है. वर्ष 2013 में भारत ने 2633 टन एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया है. चीन दुनिया में सबसे अधिक एंटीबायोटिक इस्तेमाल करने वाला देश है.
वर्ष 2013 में यहां फूड एनिमल पर 78200 टन एंटीबायोटिक खपा दिया गया. वहीं, दुनिया भर में इस वर्ष 1.30 लाख टन एंटीबायोटिक का इस्तेमाल हुआ. इतनी बड़ी मात्रा में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल इंसान के लिए खतरनाक साबित हो रहा है, जो इन फूड एनिमल के मीट का इस्तेमाल खाने के लिए करते हैं. मीट में मौजूद एंटीबायोटिक के असर से मानव शरीर में एंटीबायोटिक रोधक क्षमता (एंटीबायोटिक रेसिसटेंस पावर) बढ़ रही है. यह इसलिए खतरनाक है कि यह क्षमता बढ़ जाने से किसी बीमारी के वक्त खाये जानेवाले एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है.
ये निष्कर्ष सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी, नयी दिल्ली के रिपोर्ट के हैं, जो 28 सितंबर को जारी हुए हैं. संस्था का मानना है कि एंटीबायोटिक का इस्तेमाल रणनीति बना कर कम करना होगा. इसके लिए एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर नियंत्रण लगाना, एनिमल फूड पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने पर 50 फीसदी यूजर फीस लगाना तथा प्रति व्यक्ति मीट की खपत में कमी लाने जैसे उपाय शामिल हैं.

दरअसल झारखंड सहित देश के कई राज्यों के पॉल्ट्री सेक्टर में एंटीबायोटिक के अधिक इस्तेमाल संबंधी रिपोर्ट संस्था ने पहले ही दी है. पंजाब के दो तिहाई पॉल्ट्री में अब भी एंटीबायोटिक का खूब इस्तेमाल हो रहा है.

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