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…जब गांधीजी ने खून से दिया था ऑटोग्राफ, पाकिस्तान में आज भी लोकप्रिय है गांधी की आत्मकथा

रांची के सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हुसैन कासिम कच्छी इन दिनों कराची दौरे में हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने गांधी से जुड़ी कई कहानियों को साझा किया है. विभाजन के इतने दिनों बाद आज भी गांधीजी की लोकप्रियता पाकिस्तान में बरकरार है. उनसे जुड़े तमाम किस्से और कहानियां पाकिस्तान के फिजाओं में तैर […]

रांची के सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हुसैन कासिम कच्छी इन दिनों कराची दौरे में हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने गांधी से जुड़ी कई कहानियों को साझा किया है. विभाजन के इतने दिनों बाद आज भी गांधीजी की लोकप्रियता पाकिस्तान में बरकरार है. उनसे जुड़े तमाम किस्से और कहानियां पाकिस्तान के फिजाओं में तैर रही है. हुसैन कासिम कच्छी लिखते हैं. आज उर्दू बाजार आया, तो एक बुक स्टोर में शेल्फ पर महात्मा गांधी की पुस्तक सत्य के प्रयोग का उर्दू एडिशन देख हैरान हुआ, और खुश भी. खुशी इस बात की आज भी गांधीजी शिद्दत के साथ याद किये जाते हैं. दुकानदार ने बताया कि गांधी यहाँ भी पढ़े जाते हैं. इस किताब के कई संस्करण उर्दू में पाकिस्तान में आ चुके हैं.

जब गांधीजी ने खून से दिया था ऑटोग्राफ
महात्मा गांधी जब पहली बार राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस से शिरकत कर समुद्री जहाज से हिंदुस्तान लौट रहे थे, तो उसी जहाज़ में सवार बेगम अतिया फैजी ने गांधी जी से ऑटो ग्राफ़ की गुज़ारिश की. महात्मा के हां का इशारा पाते ही, बेगम फैजी ने अपनी आलपिन गांधी जी की उंगली में चुभो दी. और गांधी जी ने उसी उंगली के खून से अतिया के ऑटो ग्राफ बुक में दस्तखत कर दिये.

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