रांची : पिछले कई महीनों से एक, दो, पांच और दस के सिक्कों के लेन-देन को लेकर हो रही परेशानी के बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें रेलवे रिजर्वेशन काउंटर पर काउंटर कलर्क और एक ग्राहक के बीच काफी सिक्कों को लेकर गर्मागर्म बहस हो रही है. सरकार और स्वयं रिजर्व बैंक ने कई बार ये बयान दिया है कि सिक्के अभी भी चलन में हैं, किसी भी प्रकार के सिक्के बंद नहीं हुए हैं.
इसके बावजूद थोक और खुदरा दुकानदार सिक्के लेने से इनकार करते आपको कहीं भी नजर आ जायेंगे. आलम यह है कि बैंकों में भी ग्राहकों से सिक्के नहीं लिये जा रहे हैं. इस वीडियो में आप देख सकेंगे कि किस प्रकार एक रेलवे कर्मचारी रिजर्वेशन काउंटर पर सिक्के लेने से इनकार कर रहा है. वह ग्राहक से काफी अभद्रता से बात कर रहा है.
इस वीडियो को केंद्र सरकार को भी देखनी चाहिए, साथ ही रिजर्व बैंक भी इस समस्या से निदान का कोई उपाय निकाले. आये दिन अखबारों में कई ऐसी खबरें छप रही है, जिसमें सिक्कों को लेकर दुकानदार और ग्राहकों के बीच झगड़े हो रहे हैं. ये स्थिति किसी एक राज्य की नहीं है, देशभर में ऐसा ही आलम है.
रेलवे रिजर्वेशन काउंटर पर कलर्क ने किया सिक्के लेने से इनकार, की अभद्रता pic.twitter.com/ccdm00Cs3M
— Prabhat Khabar (@prabhatkhabar) October 4, 2017
विशेषज्ञों का मानना है कि नोटबंदी के बाद बाजार में इतनी संख्या में सिक्के आ गये हैं कि अब उन्हें प्रचलन में रखना मुश्किल हो रहा है. आए दिन हाट बाजारों में सिक्के के लेन-देन को लेकर व्यवसायी और ग्राहकों के बीच तू-तू मैं-मैं स्वभाविक सा हो गया है. नोटबंदी के बाद से बाजार में अचानक एक, दो, पांच और दस के सिक्कों की बाढ़ सी आ गयी है, जिसके चलते खासकर व्यवसायियों को इसलिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि आम ग्राहक किसी भी सामान की खरीदारी पर खुदरा पैसा यानि सिक्के ही थमाते हैं. वहीं व्यवसायी जब किसी ग्राहक को सिक्के देते हैं तो ग्राहक सिक्के लेने से साफ इंकार कर देते है़ं
ऐसे में व्यवसायियों के गल्ला में सिक्कों की भरमार हो गयी है. एक किराना गल्ला व्यवसायी दस हजार रुपयों के सिक्के को दिखाते हुए कहा कि बाजार में पिछले दो तीन माह से एकाएक सिक्कों की बढ़ोतरी से इसके लेन देन को लेकर परेशानी हो रही है. ग्राहक सिक्के नहीं लेना चाह रहे है़ं ऐसे में हमें इन सिक्कों को मजबूरी में ऐसे धंधेबाजों को पंद्रह बीस दिनों के लिए यूं ही दे देना पड़ता है जो सिक्कों के बदले पुनः नोट लाकर हमें देते हैं.