दुर्गा पूजा के बाद क्या है जलाशयों की स्थिति, दुर्गंध- गंदगी का अंबार
रांची : राजधानी रांची के जलाशयों की हालत इतनी खराब है कि वहां बैठ कर ठंडी हवा का आनंद लेना, तो दूर उन इलाकों से गुजरना मुश्किल है. दुर्गंध इतनी तेज है कि जो लोग भी इन इलाकों से गुजरते हैं नाक भौ सिकोड़ लेते हैं. इन जलाशयों की हालत दुर्गा पूजा के बाद और […]
रांची : राजधानी रांची के जलाशयों की हालत इतनी खराब है कि वहां बैठ कर ठंडी हवा का आनंद लेना, तो दूर उन इलाकों से गुजरना मुश्किल है. दुर्गंध इतनी तेज है कि जो लोग भी इन इलाकों से गुजरते हैं नाक भौ सिकोड़ लेते हैं. इन जलाशयों की हालत दुर्गा पूजा के बाद और खराब हो गयी है.
आसपास के इलाकों में कचड़ा बढ़ गया है. दुर्गा पूजा की धूमधाम खत्म हुई. अब दिवाली और छठ की तैयारी शुरू है. दुर्गा पूजा के बाजार में धनतेरश को लेकर नया जोश है. त्योहार के मोड से हम निकल नहीं पाये हैं इन जलाशयों की चिंता कौन करे. राजधानी रांची में कई से जलाशय हैं जहां प्रतिमाओं का विसर्जन होता है लेकिन मुख्य रूप से लाइन तालाब, बड़ा तालाब , हटिया डैम, धुर्वा डैम, कांके डैम सहित कई जलाशय हैं.
प्रभात खबर की टीम ने आज दो तालाबों का रुख किया. लाइन तालाब ( चडरी तालाब) में निगम कर्मचारी काम कर रहे हैं. कुछ प्रतिमाओं के बेस को बाहर निकाल कर रखा गया तो कुछ अभी भी पानी में तैर रहे हैं. इस तालाब से कई लोगों का जीवन जुड़ा है. आसपास रहने वाले लोग कपड़े धो रहे थे कुछ बच्चे नहा रहे थे. किनारे पर बैठे कुछ मछुआरे मछली पकड़ रहे थे. दुर्गंध इतनी ज्यादा है आपका और मेरा यहां खड़े रहना मुश्किल है.
यहां के हालात दिखाने के बाद हम रांची के बड़ा तालाब पहुंचे. यहां गहरे पानी में प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया है. यहां से प्रतिमाओं को निकालने में ज्यादा परेशानी का सामना करना होगा क्योंकि यहां लाइन तालाब की तरह किनारे नहीं है जहां प्रतिमाओं को निकाल कर रख लिया जाए और बाद में इसे उठाया जाए. प्रतिमाएं गहरे पानी में डूबी है. जगह- जगह पानी से बांस बाहर निकला है.
इसी तालाब में विवेकानंद की विशाल प्रतिमा लगनी है. हमने देखा कि कैसे अभी वहां काम चल रहा है. तालाब के किनारे खड़े एक सज्जन से बात की तो उन्होंने कहा, उम्मीद नहीं कि अब यहां कुछ बदलने वाला है. किसे समझायें और कैसे अगर मना करेंगे तो उनकी धार्मिक भावनाओं को ढेस पहुंचेगा लेकिन इस किसी को कुछ सोचना तो चाहिए.