बिजली बिल की लिखावट मिटने की वजह से नहीं लिया जा रहा भुगतान, एक माह में सफेद हो जा रहा बिजली बिल

रांची: बिजली वितरण निगम लि. उपभोक्ताअों को जो बिजली का बिल दे रहा है, उसकी लिखावट महीने भर में ही गायब हो जा रही है तथा बिल सफेद नजर अाने लगता है. इससे न सिर्फ उपभोक्ता को बिल के रेकॉर्ड रखने में परेशानी हो रही है, बल्कि किसी कारणवश विलंब से बिल का भुगतान भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2017 8:51 AM
रांची: बिजली वितरण निगम लि. उपभोक्ताअों को जो बिजली का बिल दे रहा है, उसकी लिखावट महीने भर में ही गायब हो जा रही है तथा बिल सफेद नजर अाने लगता है. इससे न सिर्फ उपभोक्ता को बिल के रेकॉर्ड रखने में परेशानी हो रही है, बल्कि किसी कारणवश विलंब से बिल का भुगतान भी मुश्किल हो रहा है. भविष्य में कभी बिजली बिल या इसके भुगतान में किसी गड़बड़ी को लेकर निगम व इसके उपभोक्ताअों के बीच किसी विवाद से इनकार नहीं किया जा सकता.
मंगलवार को अनगड़ा प्रखंड के राजाडेरा निवासी सुमित्रा टाटीसिलवे सब स्टेशन बिल जमा करने पहुंची थी. लाइन में लगने के बाद जब उसके भुगतान का नंबर अाया, तो पता चला कि उसके पति रमेश के नाम का यह बिजली बिल सफेद हो चुका है. टीटी नंबर भी गायब हो जाने के कारण उसका बिल लेने से मना किया गया, तो करीब 17 किमी दूर से अकेली आयी सुमित्रा निराश हो गयी. इधर, फैक्स की तरह बिजली बिल की लिखावट गायब हो जाने की समस्या से अवगत अन्य लोगों ने कहा कि बिल तथा इसके भुगतान के रसीद की फोटोकॉपी करा लेनी चाहिए. पर सवाल है कि दूर-दराज के गांव-देहात के लोग फोटोकॉपी कहां से करायेंगे. हर जगह न जेरॉक्स मशीन है अौर न ही बिजली.
40-45 किमी दूर से बिजली बिल जमा करने आते हैं लोग
अनगड़ा प्रखंड के टाटी-सिंगारी सहित दूर-दराज के अन्य इलाके से करीब 40-45 किमी की दूरी तय कर लोग बिजली का बिल जमा करने टाटीसिलवे पहुंचते हैं. उधर गोंदली पोखर के बेरवाड़ी में भी बिल भुगतान के लिए अॉटोमैटिक मशीन लगायी गयी है. पर मुख्य सड़क पुरुलिया रोड से करीब डेढ़ किमी अंदर लगी इस मशीन की जानकारी स्थानीय लोगों को भी नहीं है. इससे संबंधित कोई नोटिस बोर्ड भी नहीं लगाया गया है. दूसरी समस्या भी है. मैनुअल भुगतान बंद कर दिया गया है. इधर कागजी नोट मुड़ा होने, उसपर थोड़ा भी रंग लगा रहने या 100 का पुराना नोट रहने पर मशीन इसे स्वीकार नहीं करता. भले ही एेसे नोट एटीएम से ही निकले हों. ऐसी स्थिति में भुगतान लेने वाले तथा बिजली उपभोक्ताअों के बीच अाये दिन बहस हो रही है. इसका समाधान विशेष परिस्थितियों में मैनुअल भुगतान हो सकता है.
एलइडी बल्ब उपलब्ध नहीं
सरकार ने ऊर्जा संरक्षण व बिजली बचाने के अभियान के नाम पर एलइडी बल्ब की बिक्री शुरू की है. पर करीब तीन माह से किसी सब स्टेशन में यह बल्ब उपलब्ध नहीं है. स्थानीय लोगों सहित दूर-दराज से अाये ग्रामीण विभिन्न सब स्टेशनों में बल्ब मांगते हैं, पर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है. इधर बिजली विभाग के अधिकारी कहते हैं कि एलइडी बल्ब डाकघरों में उपलब्ध है. पर किस डाक घर में इसकी जानकारी नहीं मिलती. दरअसल यह बताने वाला भी कोई नहीं है कि बल्ब कब मिलना शुरू होगा.

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