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13 गुना मुनाफा कमाते हैं RANCHI के निजी अस्पताल

राजीव पांडेय रांची : निजी अस्पताल मरीजों से सर्जिकल आइटम के लिए मनमाना पैसा वसूलते हैं.अस्पताल सर्जिकल आइटम बनानेवाली कंपनियों से रेट कॉन्ट्रैक्ट करते हैं. इस कारण उन्हें मामूली कीमत में सर्जिकल आइटम मिल जाते हैं. इसके बाद अस्पताल मरीजों से इनके एमआरपी दिखा कर पैसे वसूलते हैं. सर्जिकल आइटम पर लिखे एमआरपी उसकी वास्तविक […]

राजीव पांडेय
रांची : निजी अस्पताल मरीजों से सर्जिकल आइटम के लिए मनमाना पैसा वसूलते हैं.अस्पताल सर्जिकल आइटम बनानेवाली कंपनियों से रेट कॉन्ट्रैक्ट करते हैं. इस कारण उन्हें मामूली कीमत में सर्जिकल आइटम मिल जाते हैं.
इसके बाद अस्पताल मरीजों से इनके एमआरपी दिखा कर पैसे वसूलते हैं. सर्जिकल आइटम पर लिखे एमआरपी उसकी वास्तविक कीमत से 13 गुना से भी अधिक होता है. इस तरह निजी अस्पताल सिर्फ सर्जिकल आइटम से ही हर माह करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाते हैं. राजधानी रांची में 100 के करीब निजी अस्पताल व क्लिनिक है.
इसमें आधा दर्जन से बड़े अस्पताल भी शामिल हैं. प्रभात खबर ने निजी अस्पतालों से खरीदे गये सर्जिकल आइटम के बिल का मुआयना किया, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. पाया गया कि अस्पताल अपने यहां भरती मरीजों से सर्जिकल आइटम के लिए खुदरा विक्रेताओं से भी अधिक पैसे ले रहे हैं. एक बड़े निजी अस्पताल में आइवी कैनुला के लिए मरीज से 120 रुपये लिये गये, जबकि थोक में इसकी कीमत मात्र नौ रुपये है. वहीं, निजी अस्पतालों को यही आइवी कैनुला सीधे कंपनी से सात से आठ रुपये में मिल जाता है. इस तरह निजी अस्पताल सिर्फ आइवी कैनुला पर करीब 1400 फीसदी तक मुनाफा कमाते हैं. यही नहीं, निजी अस्पताल 18 रुपये के यूरीन बैग के बदले मरीजों से 142 से 150 रुपये तक वसूलते हैं. इस तरह यूरीन बैग पर उन्हें 800 फीसदी तक मुनाफा मिल रहा है. अस्पताल थोक में 11 से 12 रुपये में ग्लब्स खरीदते हैं, जो मरीजों को 300 फीसदी से अधिक मार्जिन पर 47 से 49 रुपये में उपलब्ध कराते हैं.
रिम्स में सरकार मंगाती है सामान : सरकारी अस्पतालों में सर्जिकल सामान सरकार खुद खरीद कर देती है. रिम्स व सदर अस्पताल सहित सभी सरकारी अस्पतालों में सामान मंगाया जाता है. कंपनी से अनुबंध होता है, जिससे यह सस्ता मिलता है.
खेल सर्जिकल आइटम का अनावश्यक मंगाते हैं सामान
निजी अस्पताल कुछ मरीजों से कुछ आइटम अनावश्यक ही मंगाते हैं. हाल ही में एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में डिस्चार्ज हुए मरीज के परिजनों ने बताया कि उनसे 100 ग्लब्स लाने को कहा गया था. अस्पताल प्रबंधन से जब पूछा गया कि इतने ग्लब्स की आवश्यकता क्यों पड़ेगी, तो कहा गया कि लाना तो पड़ेगा. बाद में परिजनों ने ग्लब्स नहीं लाये. मरीज की छुट्टी हो गयी. परिजन ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने दोबारा नहीं मंगाये, यानी वे अनावश्यक सामान मंगा रहे थे.
सीधे कंपनी से मामूली कीमत पर खरीदते हैं सर्जिकल आइटम
सर्जिकल आइटम में कुछ कंपनियों की सप्लाई सस्ती है, जिसमें अच्छी मार्जिन है. घटिया कंपनी भी है. सरकार दवाओं के मूल्य को नियंत्रित करें. अस्पताल तो एमआरपी से ज्यादा नहीं लेते हैं, इसलिए वह कहां से दोषी हैं. दवाओं के भंडारण में अस्पताल का स्पेस भी लगता है. मैनपावर भी लगते हैं.
योगेश गंभीर, एएचपीआइ के संरक्षक

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