विधानसभा में अवैध नियुक्ति-प्रोन्नति का मामला, आयोग ने आरोपियों को पक्ष रखने का दिया अंतिम मौका
रांची: विधानसभा में अवैध नियुक्ति और प्रोन्नति मामले की जांच अंतिम चरण में है. मामले की जांच कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य आयोग ने अवैध नियुक्त-प्रोन्नति मामले में फंसे कर्मी और अधिकारियों को अंतिम मौका दिया है. आयोग ने पहले चरण में 19 पदों पर अवैध रूप से बहाल किये गये कर्मियों को पत्र भेज […]
रांची: विधानसभा में अवैध नियुक्ति और प्रोन्नति मामले की जांच अंतिम चरण में है. मामले की जांच कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य आयोग ने अवैध नियुक्त-प्रोन्नति मामले में फंसे कर्मी और अधिकारियों को अंतिम मौका दिया है. आयोग ने पहले चरण में 19 पदों पर अवैध रूप से बहाल किये गये कर्मियों को पत्र भेज कर पक्ष रखने को कहा हैं.
अवैध नियुक्तियों के मामले में करीब 500 लोगों को आयोग की ओर से पत्र भेजा जा रहा है. पत्र में कहा गया कि वे अवैध नियुक्ति से संबंधित आरोप को लेकर अपनी ओर से कोई साक्ष्य या जवाब देना चाहते हैं, तो दें. इसके लिए आरोपियों को 15 दिन का समय दिया गया है. इस समयावधि में उन्हें आयोग को अपना पक्ष भेज देना है. आयोग की ओर से गलत तरीके से प्रोन्नत हुए कर्मियों और अधिकारियों से भी पक्ष मांगा जायेगा.
यह है मामला
पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के कार्यकाल में विभिन्न पदों पर नियुक्तियां हुई थीं. दोनों ही स्पीकर के कार्यकाल में गलत तरीके से सैकड़ों लोग बहाल किये गये थे. राज्यपाल द्वारा पदों की स्वीकृति नहीं रहने के बावजूद भी बहाली की गयी. तत्कालीन राज्यपाल के निर्देश के बाद जांच आयोग का गठन किया गया था. सबसे पहले पूर्व न्यायमूर्ति लोकनाथ प्रसाद और उसके बाद न्यायमूर्ति विक्रमादित्य आयोग को जांच का जिम्मा दिया गया.
25 दिसंबर को खत्म हो रहा है आयोग का कार्यकाल
विक्रमादित्य आयोग को सरकार ने छह माह का अवधि विस्तार दिया था. आयोग का कार्यकाल 25 दिसंबर को खत्म हो रहा है. आयोग की ओर से भी जांच की गति तेज की गयी है. विपरrत परिस्थितियों और संसाधन के अभाव के बावजूद आयोग ने जांच कार्य को प्रभावित नही होने दिया. आयोग ने सभी तथ्यों की बारीकी से जांच की है. नियुक्ति-प्रोन्नति मामले में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आयी हैं.