ये हाल है रिम्स का, डॉक्टर ने लौटा दिये “4800 के सर्जिकल आइटम दोबारा अपनी पसंद की दुकान से “7614 में मंगाये
सर्जिकल अाइटम की खरीद-बिक्री में चल रहे मुनाफे के खेल से संबंधित खबरें प्रकाशित करने के बाद कई लोग ‘प्रभात खबर’ को अपनी पीड़ा बता रहे हैं. ई-मेल और फोन के माध्यम से अपने साथ हुई घटनाओं की जानकारी दे रहे हैं. ऐसी ही एक घटना राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स से जुड़ी […]
सर्जिकल अाइटम की खरीद-बिक्री में चल रहे मुनाफे के खेल से संबंधित खबरें प्रकाशित करने के बाद कई लोग ‘प्रभात खबर’ को अपनी पीड़ा बता रहे हैं. ई-मेल और फोन के माध्यम से अपने साथ हुई घटनाओं की जानकारी दे रहे हैं. ऐसी ही एक घटना राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स से जुड़ी है. यहां किडनी स्टोन का ओपन ऑपरेशन कराने पहुंची महिला मरीज के परिजनों से डॉक्टर ने कमीशन की लालच में अपनी पसंद की दवा दुकान से सर्जिकल आइटम खरीदने को विवश किया.
रांची : बोकारो के पिंडराजोरा की निवासी सुनीता कुमारी को किडनी में पथरी की शिकायत थी. इसके ऑपरेशन के लिए करीब दो महीने पहले वह रिम्स के यूरोलॉजी विभाग में भर्ती हुई थीं. डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए उनके परिजन से कुछ आवश्यक सर्जिकल आइटम मंगवाये. लिस्ट दिया गया और सामान लाने को कहा गया. मरीज के परिजन एक खुदरा दवा दुकान से सर्जिकल आइटम खरीद कर ले आये.
इनमें बैंडेज, यूरीन बैग, कैनुला और ग्लब्स सहित अन्य चीजें शामिल थीं. इनकी कीमत करीब 4800 रुपये की थी. मरीज उस समय ऑपरेशन थियेटर में थी. सर्जिकल आइटम के कार्टून को देखकर एक डॉक्टर और नर्स ने परिजन को फटकार लगायी. कहा : अापको बालाजी मेडिकल हॉल से सामान लाने को कहा गया था. फिर दूसरी जगह से सामान क्यों खरीदकर लाये? जहां से कहा गया है, उसी दुकान से सामान लेकर आओ. मरीज के परिजन दौड़ते-भागते दवा दुकान पर पहुंचे और कहा कि सामान लौटा लीजिये, डॉक्टर मना कर रहे हैं. दवा दुकानदार ने कहा कि आखिर दवा में क्या दिक्कत है, जो डॉक्टर लौटा रहे हैं. लौटा रहे है, तो पैसा नहीं देंगे. काफी मिन्नत के बाद दुकानदार ने दवा वापस ले ली, लेकिन पैसे देने के लिए अगले दिन बुलाया गया. जब परिजन बालाजी सर्जिकल गये, तो वहां उसी सामान के लिए मरीज को 7612 रुपये देने पड़े.
थोक में यही सामान मिलता 1500 रुपये के अंदर : मरीज के परिजन ने जो सामान खरीद कर यूरोलॉजी विभाग में दिया, अगर वही सर्जिकल आइटम थोक विक्रेता के यहां से खरीदा गया होता, तो वह 1500 रुपये में मिल जाता. लेकिन, थोक में लाने पर डॉक्टर उस सामान को स्वीकार ही नहीं करते.
कई डॉक्टरों ने सेट कर रखी है अपनी-अपनी दुकान : रिम्स के कई डॉक्टरों की दवा दुकानों से सेटिंग है. वह मरीजों को उसी दवा दुकान से दवा व सर्जिकल आइटम लाने को कहते हैं. मनचाही दवा दुकानों से दवा नहीं लाने पर परिजनों की फजीहत की जाती है.