VIDEO : छठ घाट की सफाई का निरीक्षण करने पहुंची मेयर, लोगों ने पानी में आग लगाकर दिखायी स्थिति
रांची : राजधानी में छठ महापर्व को लेकर नगर निगम और स्थानीय लोग तालाबों की सफाई में जुटे हुए हैं. राजधानी के अधिकतर तालाबों की स्थिति काफी बदतर है. ऐसे में स्थानीय लोगों की मदद से नगर निगम के सफाइकर्मी तालाबों और छठ घाट की सफाई में लगे हुए हैं. कुछ तालाबों की स्थिति इतनी […]
रांची : राजधानी में छठ महापर्व को लेकर नगर निगम और स्थानीय लोग तालाबों की सफाई में जुटे हुए हैं. राजधानी के अधिकतर तालाबों की स्थिति काफी बदतर है. ऐसे में स्थानीय लोगों की मदद से नगर निगम के सफाइकर्मी तालाबों और छठ घाट की सफाई में लगे हुए हैं. कुछ तालाबों की स्थिति इतनी खराब है कि उसकी सफाई संभव नहीं लगती. ऐसा ही एक तालाब है चुटिया का पावर हाउस तालाब.
छठ महापर्व के लिए नदी, तालाब और घाटों की सफाई का जायजा लेने मेयर आशा लकड़ा ने आज विभिन्न जगहों का दौरा किया. मेयर जब पावर हाउस तालाब पहुंची तो स्थानीय लोगों ने बताया कि तालाब में तेल है, ऐसे में यहां स्नान करने से भी लोग कतराते हैं. जब मेयर को तालाब में तेल होने की बात पर विश्वास नहीं हुआ, तब स्थानीय लोगों ने माचिस जलाकर दिखाया. जैसे ही माचिस की तिल्ली तालाब में फेंकी गयी, तालाब के पानी के उपर तैरते तेल में आग लग गयी. तालाब का एक किनारा धूं-धूं कर जलने लगा. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
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— Prabhat Khabar (@prabhatkhabar) October 15, 2017
हालांकि मेयर ने इस घटना के बाद भी आश्वासन दिया है कि किसी भी प्रकार से इस तालाब के पानी की सफाई करवायी जायेगी. अगर तालाब की अच्छी तरह सफाई हो पायेगी तभी यहां पूजा करना संभव हो पायेगा. स्थानीय लोगों ने मेयर को बताया कि तालाब के बगल में ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग यूनिट है, जिससे प्रतिदिन तेल निकालकर तालाब में बहा दिया जाता है. इसकी वजह से इस तालाब का अस्तित्व खतरे में है. मेयर ने ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग यूनिट को तत्काल बंद करने का निर्देश दिया है.
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तालाब में कहां से आता है तेल
आपको बता दें कि तालाब के बगल में ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग वर्कशाप है, जहां प्रत्येक दिन 10-12 बिजली के छोटे-बड़े ट्रांसफार्मरों की मरम्मत होती है. इन ट्रांसफार्मरों से निकलने वाले पुराने तेल को तालाब में ही बहा दिया जाता है. तालाब से अजीब किस्म की दुर्गंध भी आते रहती है. स्थानीय लोग तालाब का पानी किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं करते हैं. तेल की वजह से तालाब में जीवों का भी नामों निशान नहीं है. लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की है, लेकिन फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.