राज्यपाल से मिला आदिवासी मंच का प्रतिनिधिमंडल, ज्ञापन सौंपा, पेसा के अनुरूप नियमावली बनाने का निर्देश ठंडे बस्ते में

रांची: आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने राज्यपाल से विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव की शिकायत की है. मंच की ओर से कहा गया कि विस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार के निर्देश को ठंडे बस्ते में डाल रखा है़ केंद्र सरकार ने पेसा अधिनियम के आलोक में नियमावाली बनाने का निर्देश दिया था. पिछले साल चार व पांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2017 7:25 AM
रांची: आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने राज्यपाल से विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव की शिकायत की है. मंच की ओर से कहा गया कि विस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार के निर्देश को ठंडे बस्ते में डाल रखा है़ केंद्र सरकार ने पेसा अधिनियम के आलोक में नियमावाली बनाने का निर्देश दिया था. पिछले साल चार व पांच फरवरी को केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने दिल्ली में केंद्रीय कानून पंचायतों के उपबंध अनुसूचित क्षेत्राें में विस्तार अधिनियम-1996 पर एक कार्यशाला आयोजित की थी.

इसके आलोक में 16 जून 2016 को केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव को निर्देशित किया कि पेसा पर नियमावली बनायें. पंचायती राज कमेटी के अध्यक्ष, विधायक दीपक बिरुवा ने विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव से इस बाबत अनुशंसा की थी, पर विस अध्यक्ष ने इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया़ यहां तक कि राज्यपाल को भी इस महत्वपूर्ण विषय की सूचना नहीं दी गयी़.

ज्ञापन में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 243 एम (1) और 243 जेडसी के तहत अनुसूचित क्षेत्राें में क्रमश: पंचायती राज व्यवस्था और नगरपालिकाओं के गठन पर संवैधानिक रोक है़ संविधान के अनुच्छेद 243 एम 4 (बी) और 243 जेडसी (3) के तहत सिर्फ संसद को अधिकार है कि अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत व्यवस्था व नगरपालिका की स्थापना के लिए अपवादों व उपांतरों के साथ विशेष कानून का निर्माण करे़ पर संसद ने आज तक अनुच्छेद 243 जेडसी के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में नगरपालिकाओं की स्थापना के लिए कोई भी कानून नहीं बनाया है़ संसदीय कानून के बिना ही राज्य सरकार ने असंवैधानिक रूप से अनुसूचित क्षेत्रों के शहरी क्षेत्रों में नगर परिषद/नगर पालिका और नगर निगम की स्थापना कर दी़ वहीं, झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 और इसके संशोधित अधिनियमों में पेसा-1996 की धारा 4 (ए) और 4 (बी) का उल्लंघन है़.

अनुसूचित क्षेत्रों में जिला स्तर पर गठित की जानेवाली स्वशासी जिला परिषद द्वारा ही नगर निगम/नगरपालिका/नगर परिषद के कार्यों को संचालित किया जाना है़ अधिनियम 1996 की शीर्ष धाराओं का अनुपालन भी उपर्युक्त दोनों स्तरों पर गठित स्वशासी जिला परिषद/क्षेत्रीय परिषद और विशेष ग्राम सभा के द्वारा ही संचालित किया जाना है़ इस अधिनियम की धारा पांच के अनुसार अधिनियम 1996 के प्रावधानों को संशोधित करने की समय सीमा राष्ट्रपति की सहमति से 24 दिसंबर 1996 के एक साल के बाद समाप्त हो चुकी है़ इनमें अब किसी प्रकार का संशोधन नहीं किया जा सकता़ प्रतिनिधिमंडल में वाल्टर कंडुलना, पुतुल सुजाना सिंह, प्रभाकर कुजूर व जी तिग्गा शामिल थे़.

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