रांची/नयी दिल्ली: झारखंड समेत देश के कई प्रांतों में आतंकी गतिविधियां फैलाने, खास समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के खिलाफ भड़काकर हिंसा फैलाने और लोगों का धर्मांतरण कराने जैसी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में केरल के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को देश में प्रतिबंधित किया जा सकता है. उसके खिलाफ विध्वंसक गतिविधियों में कथित तौर पर संलिप्त होने के आरोप हैं और समूह पर आतंकवाद निरोधक कानून के तहत प्रतिबंध लगाया जा सकता है. हालांकि, संगठन ने इन अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों से इन्कार किया है.
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जल्द ही इस संगठन को बैन करने की औपचारिक घोषणा की जा सकती है. पिछले दिनों एक समाचार संस्था ने एक स्टिंग किया था, जिसमें पीएफआई के सदस्यों ने स्वीकार किया था कि उन्हें खाड़ी देशों से हवाला के जरिये पैसे मिलते हैं. इस पैसे से वे भारत में धर्मांतरण की फैक्ट्री चलाते हैं. यानी पैसे के दम पर बड़े पैमाने पर भारत में लोगों का धर्म परिवर्तन कराने के लिए खाड़ी देशों से उन्हें धन मुहैया कराया जाता है.
स्टिंग ऑपरेशन के अगले ही दिन बुधवार को केरल की पुलिस ने 6 पीएफआई सदस्यों को धर दबोचा, जो कथित तौर पर वर्तमान दौर में दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से जुड़ने जा रहे थे. पुलिस ने बताया कि ये सभी 6 लोग पीएफआई के सक्रिय सदस्य थे और नकली पासपोर्ट बनवाकर भारत से भागने की फिराक में थे.
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भारत सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पीएफआई के खिलाफ यह कार्रवाई राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को जमा कीगयी एक रिपोर्ट के बाद की जा रही है.रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संगठन आतंकी गतिविधियों में शामिल है. इनमें आतंकी शिविरों का संचालन और बम बनाना जैसी गतिविधियां शामिल हैं.
साथ ही अधिकारी ने बताया कि गैर कानूनी गतिविधियां (बचाव) अधिनियम (यूएपीए) के तहत समूह पर प्रतिबंध लगाना बिलकुल उचित है. हालांकि, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता पीएफआई के खिलाफ संभावित कार्रवाई के संबंध में जानकारी देने में टाल-मटोल करते रहे और कहा कि मंत्रालय किसी व्यक्तिगत संस्थान पर कार्रवाई करने से पहले किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करना चाहेगा.
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एनआईए ने जिन मामलों में पीएफआई की संलिप्तता बतायी है, उनमें केरल के इदुक्की जिले के प्राध्यापक का हाथ काटना और कन्नूर में प्रशिक्षण शिविर आयोजित करना शामिल है, जहां से एजेंसी ने कथित तौर पर तलवार, देशी बम और आईईडी बनाने वाली सामग्री जब्त की थी. साथ ही एनआईए ने इस संबंध में बेंगलुरु में संघ के नेता रुद्रेश की हत्या और दक्षिण भारत में आंतकी हमलों को अंजाम देने की कथित योजना का भी जिक्र किया है.
एनआईए ने व्यापक जांच के बाद पीएफआई के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की है. इससे पहले, पीएफआई के राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य पी कोया ने एनआईए के दावों का खंडन किया था और कहा था कि अगर जांच हुई होती, तो एजेंसी संगठन की गतिविधियां जानने के लिए संपर्क जरूर करती, जो कि एजेंसी ने कभी नहीं किया.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि झारखंड के पाकुड़ जिला प्रशासन और वहां की पुलिस ने भी पीएफआई के संबंध में ऐसी ही एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. पुलिस और प्रशासन ने झारखंड सरकार से अनुरोध किया है कि इस संगठन को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया जाये, क्योंकि यह समाज और राज्य दोनों के लिए खतरा बनता जा रहा है.