VIDEO : बंधु तिर्की की सरकार को चुनौती, हिम्मत है तो रोक लो, दूंगा काली गाय की बलि

रांची : झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के केंद्रीय महासचिव बंधु तिर्की ने झारखंड सरकार को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि वह गाय की बलि देंगे. अगर सरकार उन्हें ऐसा करने से रोक सकती है, तो रोककरदिखाये. उन्होंने कहा कि बलि के लिए सब कुछ निश्चित कर लिया गया है. 17 फरवरी, 2018 को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2017 10:40 AM

रांची : झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के केंद्रीय महासचिव बंधु तिर्की ने झारखंड सरकार को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि वह गाय की बलि देंगे. अगर सरकार उन्हें ऐसा करने से रोक सकती है, तो रोककरदिखाये. उन्होंने कहा कि बलि के लिए सब कुछ निश्चित कर लिया गया है. 17 फरवरी, 2018 को रांची जिला के रातू प्रखंड में स्थित बनोदरा बोंगाबुरू टोंगरी गांव में सुबह 11 बजे वह काली गाय की बलि देंगे. झाविमो के प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत में बंधु ने सरकार को यह चुनौती दी . उनका यह वीडियो भी वायरल हो गया है.

उन्होंने कहा कि आदिवासियों में हर खूट यानी एक पीढ़ी के बाद पत्थलगड़ी की परंपरा है. जहां पत्थलगड़ी होती है, वहां काली गाय की बलि दी जाती है. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. कोई भी कानून परंपरा और संस्कृति को रोक नहीं सकता. वह 17 फरवरी को बलि देने जा रहे हैं. सरकार में हिम्मत है, तो उन्हें रोक कर दिखाये. उन्होंने कहा कि बचपन में भी उन्होंने एक बार गाय की बलि दी थी. तब वह पांचवीं में पढ़ते थे. फरवरी में वह दूसरी बार काली गाय की बलि देंगे.

चाकुलिया में आज से शुरू हो जायेगा ‘आनंदलोक’, 20 रुपये में मिलेगा चश्मा, 75 हजार में होगी बाईपास सर्जरी

बंधु तिर्की ने सरकार पर पत्थलगड़ी पर अखबारों में गलत विज्ञापन और शहरों में होर्डिंग्स लगाकर लोगों को भ्रमित करने का आरोप लगाया. कहा कि सरकार और उसके पदाधिकारियों को आदिवासी संस्कृति और परंपरा की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार समाचार पत्रों में विज्ञापन देने और होर्डिंग्स लगवाने से पहले आदिवासी संस्कृति के बारे में जानकारी जुटा ले. उसके बाद ही इसे प्रचारित-प्रसारित करे.

झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार संविधान की बात तो करती है, लेकिन पांचवीं अनुसूची के बारे में बात नहीं करती. पत्थलगड़ी पांचवीं अनुसूची का एक हिस्सा है. आदिवासी जहां रहते हैं, वो अपने मौजा की सीमा पर पत्थलगड़ी करते हैं. जब किसी आदिवासी का शव दफनाया जाता है, तो वहां पत्थलगड़ी होती है. इस प्रक्रिया को दोसीमान कहा जाता है.

डीडीसी के घर जाना सीपी सिंह को पड़ेगा महंगा! मंत्री के खिलाफ एकजुट हो रही है आईएएस की लॉबी

उन्होंने कहा कि पत्थलगड़ी का विरोध आदिवासियों का विरोध है. झारखंड में आदिवासियों का विरोध कभी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सरकार अगर अपने विज्ञापन और होर्डिंग्स वापस नहीं लेती है, तो आदिवासी सड़क पर उतरेंगे और सरकार को सबक सिखायेंगे.

Next Article

Exit mobile version