ये कैसा आॅनलाइन है : र्इ-स्टांप के लिए रांची के लोगों को लगाना पड़ रहा है डाकघर का चक्कर, लगी है लंबी कतार
रांची : झारखंड सरकार ने कचहरी में स्टांप पेपर्स की कालाबाजारी रोकने के लिए इसकी आॅनलाइन बिक्री के लिए करीब आठ महीने पहले ही रांची के दो डाकघरों आैर तीन बैंकों को स्टेक होल्डर बनाकर र्इ-स्टांप की बिक्री करने के लिए अधिकृत किया था. विडंबना यह है कि सरकार के इस कदम के बावजूद र्इ-स्टांप […]
रांची : झारखंड सरकार ने कचहरी में स्टांप पेपर्स की कालाबाजारी रोकने के लिए इसकी आॅनलाइन बिक्री के लिए करीब आठ महीने पहले ही रांची के दो डाकघरों आैर तीन बैंकों को स्टेक होल्डर बनाकर र्इ-स्टांप की बिक्री करने के लिए अधिकृत किया था. विडंबना यह है कि सरकार के इस कदम के बावजूद र्इ-स्टांप पाने के लिए यहां के लोगों को डाकघरों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. आलम यह कि झारखंड की राजधानी रांची के निवासियों को र्इ-स्टांप पाने के लिए रातू रोड स्थित उप-डाकघर आैर डाेरंडा के डाकघरों का दो-दो, चार-चार दिन तक चक्कर लगा रहे हैं. यहां आने वाले लोगों का यही कहना है कि यह कैसा आॅनलाइन सिस्टम है.
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र्इ-स्टांप के लिए कतार में खड़ा लोगों का कहना है कि यह कैसा आॅनलाइन सिस्टम है. आम तौर पर किसी सामान की बिक्री आॅनलाइन होने पर हाथ के हाथ लोगाें को सामान उपलब्ध हो जाता है. उनका कहना है कि सरकारी कार्यालयों आैर बैंकों में भी आॅनलाइन भुगतान अथवा लेन-देन करने में कोर्इ परेशानी नहीं होती आैर न ही लोगों को लेन-देन करने के लिए बैंकों अथवा किसी अन्य सरकारी कार्यालयों का दोबारा चक्कर लगाना पड़ता है. लेकिन, यहां तो एक र्इ-स्टांप हासिल करने के लिए लोगों को दो-दो, चार-चार दिन तक परेशान होना पड़ रहा है.
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रातू रोड स्थित उप-डाकघर में र्इ-स्टांप हासिल करने के लिए कतार में खड़ी एक महिला सविता टाेपनों ने बताया कि वह रांची के निजी अस्पताल में काम करती हैं आैर उनकी नाइट ड्यूटी है. वह बीते दो दिनों से र्इ-स्टांप हासिल करने के लिए रोजाना सुबह 10 बजे आ रही हैं, लेकिन दोपहर 12 बजे तक भी उनकी बारी नहीं आ रही. उनका कहना है कि स्टांप पेपर के लिए उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति तब है, जब डाकघर को आॅनलाइन स्टांप पेपर जारी करना है.
इसी डाकघर में र्इ-स्टांप के लिए लाइन में खड़े अपर बाजार निवासी अजय कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने बीते दो दिनों के दौरान कचहरी के स्टांप वेंडरों के पास से स्टांप पेपर लेने की कोशिश की, लेकिन बुधवार से ही कचहरी में इसकी किल्लत बनी हुर्इ है. उन्होंने कहा कि वह गुरुवार को भी इस उप-डाकघर में र्इ-स्टांप का आवेदन जमा कराने के लिए आये थे, लेकिन लंबी कतार होने की वजह से उनका आवेदन जमा नहीं हो सका था. शुक्रवार को भी वे सुबह से ही लाइन में खड़े हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि रातू रोड स्थित उप-डाकघर आने के पहले उन्होंने डोरंडा स्थित डाकघर से र्इ-स्टांप हासिल करने की कोशिश की. इसके लिए जब वे वहां आवेदन जमा करने गये, तो वहां के कर्मचारियों ने उनका आवेदन लेने से यह कहते हुए मना कर दिया कि इस डाकघर के कंप्यूटर का सर्रवर ही डाउन है. गौरतलब है कि डोरंडा डाकघर में र्इ-स्टांप के लिए आवेदन जमा कराने वालों को बीते चार दिनों से कभी लिंक नहीं होने, तो कभी सर्रवर डाउन होने की बात बताकर टरका दिया जा रहा है.
बता दें कि आम उपभोक्ताआें की शिकायत पर इस साल के अप्रैल महीने में रांची के पूर्व एसडीआे भाेर सिंह यादव ने तथाकथित तौर पर स्टांप पेपर की हो रही कालाबाजारी के खिलाफ कचहरी स्थित वेंडरों की दुकानों पर छापेमारी की थी. उनकी इस छापेमारी के बाद ज्यादातर वेंडरों की लाइसेंस रद्द कर दी गयी थी. इसके साथ ही, इस छापेमारी के बाद झारखंड की रघुवरदास सरकार ने स्टांप पेपर्स की उपलब्धता बनाये रखने के लिए डाकघर आैर यहां के तीन बैंकों को स्टेक होल्डर बनाकर र्इ-स्टांप की आॅनलाइन बिक्री के लिए अधिकृत किया था.
विडंबना यह है कि सरकार की आेर से स्टांप पेपर को सुलभ बनाने के लिए र्इ-स्टांप की आॅनलाइन बिक्री के लिए उठाये गये इस कदम के बाद भी जरूरतमंदों को दर-ब-दर भटकना पड़ रहा है. कचहरी में स्टांप पेपर बेचने वाले वेंडरों का कहना है कि सरकार ने स्टांप पेपर की आॅनलाइन बिक्री शुरू करने के बाद उनकी आपूर्ति को कम कर दिया है. अब उन्हें पहले की तरह स्टांप पेपर उपलब्ध नहीं कराये जाते.
उनका पक्ष है कि उन पर हमेशा कालाबाजारी का आरोप लगता है, लेकिन सवाल यह है कि जब ट्रेजरी की आेर से समुचित संख्या में स्टांप पेपर उपलब्ध ही नहीं कराया जायेगा, तो वह जरूरतमंदों को उपलब्ध कहां से करायेंगे. इन वेंडरों का भी कहना है कि जब सरकार ने र्इ-स्टांप के लिए आॅनलाइन बिक्री शुरू की है, तो आखिर यह कैसा आॅनलाइन है, जब लोगों को लंबी कतार ही लगानी पड़ रही है?
गौरतलब है कि रांची में स्टांप पेपर की किल्लत को लेकर जिले के उपायुक्त मनोज कुमार ने वेंडरों की एक बैठक भी बुलायी है, जिसमें डीआर्इजी को भी शामिल करने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि इस बैठक में वेंडरों की समस्या, स्टांप पेपर की ट्रेजरी से सुलभता आैर उसकी बिक्री पर बात की जायेगी.