1916 से 1920 तक रांची में नजरबंद थे मौलाना अबुल कलाम, जानें कुछ खास

महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद 1916 से 1920 के बीच लगभग पौने चार साल रांची में रहे. अधिकांश समय वे ब्रिटिश शासन के नजरबंद थे. इस अवधि में उन्होंने रांची में अंजुमन इस्लामिया और मदरसा इस्लामिया की स्थापना की. मदरसा इस्लामिया मौलाना द्वारा बनायी गयी इकलौती इमारत है. इसके निर्माण में हिंदू भाइयों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2017 11:44 AM

महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद 1916 से 1920 के बीच लगभग पौने चार साल रांची में रहे. अधिकांश समय वे ब्रिटिश शासन के नजरबंद थे. इस अवधि में उन्होंने रांची में अंजुमन इस्लामिया और मदरसा इस्लामिया की स्थापना की. मदरसा इस्लामिया मौलाना द्वारा बनायी गयी इकलौती इमारत है. इसके निर्माण में हिंदू भाइयों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इस इमारत का 2017 में 100 वर्ष का सफर पूरा हो रहा है.

!!डॉ शाहनवाज कुरैशी!!

देश के पहले शिक्षा मंत्री, विद्वान, प्रखर वक्ता, तेज-तर्रार पत्रकार और हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक मौलाना अबुल कलाम आजाद का रांची से विशेष जुड़ाव रहा है. मौलाना आजाद ने रांची की जनता को मदरसा इस्लामिया और अंजुमन इस्लामिया के रूप में दो अनमोल धरोहर दिये. 1917 में स्थापित मदरसा इस्लामिया और अंजुमन इस्लामिया का यह शताब्दी वर्ष है.

मक्का में जन्में मौलाना आजाद के पिता मोहम्मद खैरुद्दीन एक बड़े धार्मिक विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता थे. मक्का में नहरे जुबैदा की मरम्मत के लिए उन्होंने अवामी चंदा एकत्रित करने में प्रमुख भूमिका निभायी. बाद में वे सपरिवार कोलकाता चले आये. अपने समाचार पत्र अलहिलाल और अलबलाग में मौलाना आजाद ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आवाज बुलंद कर भारतीयों के बीच राष्ट्रीयता की अलख जगायी. हुकूमत के लिए खतरा मानते हुए बंगाल सरकार ने डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट-1915 की धारा-3 (ए) के तहत उन्हें बंगाल की सीमा से बाहर जाने का निर्देश दिया.

पंजाब और उत्तरप्रदेश की सरकारों ने भी उन्हें अपने यहां आने से रोक दिया था. इस परिस्थिति में 05 अप्रैल 1916 को मौलाना आजाद रांची आ गये. मौलाना आजाद के रांची आगमन पर पुस्तक लिख चुके डॉ जमशेद कमर के अनुसार मौलाना इससे पूर्व दो बार रांची आ चुके थे.

डिप्टी पाड़ा व मोरहाबादी में ठहरे
वरिष्ठ पत्रकार खुर्शीद परवेज सिद्दीकी के अनुसार रांची आने पर उन्होंने वर्तमान कचहरी चौक के समीप डिप्टी पाड़ा स्थित डाक बंगला को अपना ठिकाना बनाया. कुछ ही दिनों बाद वे मौलवी अब्दुल करीम के मोरहाबादी स्थित पीस कॉटेज नामक बंगला में चले गये, जो इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल के पद से रिटायर्ड हुए थे. यही मौलवी अब्दुल करीम बाद में अंजुमन इस्लामिया के पहले सदर बनाये गये. बाद में मौलाना बाद में मदरसा इस्लामिया बिल्डिंग के पीछे अपर बाजार में अग्रवाल की कोठी में चले गये. मदरसा के करीब स्थित पुलिस स्टेशन में उन्हें रोज हाजिरी देनी पड़ती थी. वहां से मदरसा, जामा मस्जिद और पुलिस स्टेशन तीनों नजदीक था.

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