…तो सिर्फ नाम का रह जायेगा चाईबासा से धरती आबा का रिश्ता

!!मनोज कुमार!!चाईबासा : धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की आज जयंती है. देश, झारखंड, आदिवासियों की हक-हुकूक के लिए बिरसा मुंडा की शहादत के सम्मान में पूरा राज्य नतमस्तक है. 1886-88 में चाईबासा के लूथेरान मीडिल स्कूल में बिरसा मुंडा ने तीन साल तक चौथी से सातवीं तक की पढ़ाई की थी. इसी लूथेरान मीडिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2017 12:30 PM

!!मनोज कुमार!!
चाईबासा : धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की आज जयंती है. देश, झारखंड, आदिवासियों की हक-हुकूक के लिए बिरसा मुंडा की शहादत के सम्मान में पूरा राज्य नतमस्तक है. 1886-88 में चाईबासा के लूथेरान मीडिल स्कूल में बिरसा मुंडा ने तीन साल तक चौथी से सातवीं तक की पढ़ाई की थी. इसी लूथेरान मीडिल स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों को टैक्स देने के खिलाफ विद्रोह की आवाज बुलंद की थी. लूथेरान स्कूल से पढ़ाई करने के दौरान ही अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने के कारण बिरसा मुंडा और चाईबासा से गहरा संबंध हो गया. अब जब भी बिरसा मुंडा का जिक्र आता है, चाईबासा का नाम अपने आप ही जुड़ जाता है. मगर, एक मामूली छात्र बिरसा को भगवान बिरसा के रूप में स्थापित करने वाले स्कूल में ही भगवान बिरसा मुंडा उपेक्षित हैं. सरकार, प्रशासनिक अफसर, स्कूल प्रबंधन ने बिरसा मुंडा की उदयस्थली स्कूल में उनकी यादों को संजोकर रखने पर ध्यान नहीं दिया तो, बिरसा मुंडा का चाईबासा से रिश्ता सिर्फ नाम का ही रह जायेगा.

ध्वस्त कर दिया गया है 146 साल पुराना खपरैल भवन. 1868 में लूथेरान पब्लिक स्कूल की स्थापना हुई थी. स्थापना के समय मिट्टी और खपड़ा से बना स्कूल का चार कमरा था. इन्हीं कमरों में भगवान बिरसा मुंडा की पढ़ाई हुई थी. खपड़े से बना मिट्टी का कमरा काफी जर्जर हो गया था. बरसात में बैठना मुश्किल हो गया था. काफी परेशानी होती थी. स्कूल प्रशासन ने डीसी समेत तमाम संबंधित अफसरों को पत्र लिखकर पुराने 146 साल पुराने कमरे को वर्ष 2014-15 में ध्वस्त कर दिया. अब इस स्थान पर नया पक्का का भवन बना दिया गया है. जिस हॉस्टल में रहकर बिरसा मुंडा पढ़ाई करते थे, उस हॉस्टल भवन को अब यूथ सेंटर बना दिया गया है. यहां बच्चों को गीत, संगीत आदि की शिक्षा दी जाती है. यूथ सेंटर का भवन अभी भी खपड़े का ही है.

पूर्व मंत्री जयराम रमेश की पहल का भी नहीं हुआ असर

यूपीए-2 सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे जयराम रमेश ने वर्ष 2012 में बिरसा मुंडा के स्कूल लूथेरान मीडिल स्कूल का दौरा किया था. तब तक स्कूल खपड़े व मिट्टी के कमरे में ही चल रहा था. स्कूल काफी जर्जर हो गया था. स्कूल की स्थिति से स्कूल प्रबंधन ने जयराम रमेश को अवगत कराया. स्कूल निर्माण की मांग रखी. इस पर तत्कालीन मंत्री जयराम रमेश ने तत्कालीन उपायुक्त के श्रीनिवासन को अमल करने का निर्देश दिया था. इसके बाद भी तब से अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई.

चर्च की प्रॉपर्टी कह कर डीसी ने मदद करने से हाथ खड़े कर दिये थे
जयराम रमेश के लूथेरान पब्लिक स्कूल के दौरा के दूसरे दिन ही स्कूल प्रबंधन ने तत्कालीन उपायुक्त के श्रीनिवासन से मुलाकात की. ज्ञापन भी सौंपा. स्कूल प्रबंधन से वार्ता के दौरान डीसी ने बताया था प्रॉपर्टी जीइएल चर्च के नाम से होने के कारण वहां सरकारी राशि नहीं दी जा सकती. इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने स्कूल फंड की राशि से धीरे-धीरे स्कूल का निर्माण कार्य शुरू किया.

अब भी स्कूल में दर्ज हो सकता है बिरसा का नाम
लूथेरान मीडिल स्कूल धार्मिक अल्पसंख्यक मध्य विद्यालय है. इस स्कूल का अब पक्का भवन हो गया है. ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर मिलाकर कुल छह भवन और एक सभागार का निर्माण हुआ है. सभागार का नाम क्या होगा, इस पर अभी चर्चा नहीं हुई है. स्कूल प्रबंधन इस पर फैसला लेगा. बताया जा रहा है कि सभागार किसके नाम पर हो, इसके लिए मार्टिन लूथर, फादर गॉसनर तथा बिरसा मुंडा का नाम इसके लिए प्रबंधन समिति के समक्ष रखा जायेगा. प्रबंधन समिति में तय नाम के अनुसार सभागार का नामकरण होगा. सरकार या प्रशासन चाहे तो, अपने स्तर से पहल कर कम से कम सभागार का नाम बिरसा मुंडा के नाम पर करवा कर उस स्कूल में उनकी याद को जिंदा रख सकता है.

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