Jharkhand के कोयला चोरों पर चला सुप्रीम कोर्ट का चाबुक, खदान मालिकों पर लगाया 4800 करोड़ रुपये का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्वीकृत क्षमता से अधिक खनन अवैध घोषित सुनील चौधरी रांची : सुप्रीम कोर्ट के कॉमन काॅज आदेश के बाद खान विभाग ने अब तक विभिन्न खदान संचालकों पर 4800 करोड़ से अधिक की पेनाल्टी लगायी है. चाईबासा स्थित खदानों की गणना कर 2706 करोड़ की पेनाल्टी लगायी है. सेल […]
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्वीकृत क्षमता से अधिक खनन अवैध घोषित
सुनील चौधरी
रांची : सुप्रीम कोर्ट के कॉमन काॅज आदेश के बाद खान विभाग ने अब तक विभिन्न खदान संचालकों पर 4800 करोड़ से अधिक की पेनाल्टी लगायी है. चाईबासा स्थित खदानों की गणना कर 2706 करोड़ की पेनाल्टी लगायी है. सेल की सिर्फ चार माइंस पर ही लगभग 1328 करोड़ की पेनाल्टी लगायी गयी है.
चतरा स्थित सीसीएल की कोयला खदानों पर 886 करोड़, हजारीबाग स्थित कोयला खदानों पर 620 करोड़ और गुमला व लोहरदगा स्थित बॉक्साइट खदानों पर 290 करोड़ की पेनाल्टी लगायी गयी है.
खदान संचालकों को अलग-अलग नोटिस जारी कर राशि भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2001 से लेकर अब तक हुई खुदाई का आंकड़ा जुटाया जा रहा है.
जिसमें खनन व डिस्पैच का आंकड़ा शामिल है. जहां भी पर्यावरण स्वीकृति से अधिक खनन हुआ है, उसे अवैध घोषित कर निकाले गये खनिज के मूल्य के साथ पेनाल्टी लगायी जा रही है. खान विभाग के सूत्रों ने बताया कि हर जिले में अभी प्रत्येक खदान के खनिजों की गणना चल रही है. सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल की कोयला खदानों से लेकर हिंडाल्को की बॉक्साइट खदान, चाईबासा स्थित लौह अयस्क खदानों व लाइम स्टोन से लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की पेनाल्टी मिलने का अनुमान है.
खान विभाग को 20 हजार करोड़ मिलने का अनुमान
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
दो अगस्त को कॉमन काॅज बनाम भारत सरकार और प्रफुल्ल सामांत्रा बनाम भारत के केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था. इसमें पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र (इसी) में स्वीकृत खनिज उत्पादन मात्रा से अधिक उत्पादन के मामले में एमएमडीआर एक्ट 1957 की धारा 21(5) के तहत उल्लंघन की स्थिति में क्षतिपूर्ति राशि वसूलने का निर्देश दिया गया है.