31 लाख टन आयरन ओर गायब

रांचीः गुआ में रेलवे की जमीन पर जमा किया गया 81 रैक लौह अयस्क गायब हो गया है. रेल अधिकारी रहस्यमय ढंग से लौह अयस्क के गायब होने की जांच कराने और पीकेएस नामक एक्सपोर्ट हाउस से बतौर किराया 937.29 करोड़ रुपये की वसूली करना चाह रहे हैं. इससे संबंधित फाइल पिछले सात साल से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2014 4:30 AM

रांचीः गुआ में रेलवे की जमीन पर जमा किया गया 81 रैक लौह अयस्क गायब हो गया है. रेल अधिकारी रहस्यमय ढंग से लौह अयस्क के गायब होने की जांच कराने और पीकेएस नामक एक्सपोर्ट हाउस से बतौर किराया 937.29 करोड़ रुपये की वसूली करना चाह रहे हैं.

इससे संबंधित फाइल पिछले सात साल से इधर-उधर घूम रही है. इस बीच सीबीआइ द्वारा इस सिलसिले में रेलवे से जानकारी मांगे जाने के बाद रेल अधिकारियों ने इस मामले में कानूनी राय मांगी है. दूसरी तरफ पीकेएस ने रेलवे की जमीन पर लौह अयस्क जमा करने और किराया देने से इनकार कर दिया है. मेसर्स पीकेएस को व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन देने के उद्देश्य से रेलवे के तीन अधिकारियों ने गुआ स्टेशन के पास 16 जनवरी 2007 को सर्वेक्षण किया. इसमें पाया गया कि रेलवे की 20557 वर्ग मीटर जमीन पर अनाधिकृत रूप से लौह अयस्क जमा किया गया है. लौह अयस्क की मात्र 31.28 लाख टन आंकी गयी. यह माल 81 रैक में भरे जाने के लायक थी.

सर्वेक्षण दल ने 22 जनवरी को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसके बाद चक्रधरपुर के क्षेत्रीय रेल प्रबंधक (डीआरएम) को यह निर्देश दिया गया कि वह रेल की जमीन पर अनाधिकृत रूप से जमा लौह अयस्क के लिए किराया (स्टेकिंग चाजर्) वसूले. इस बीच रेलवे की निगरानी टीम ने भी गुआ स्टेशन के पास रेलवे की जमीन पर अनाधिकृत रूप से 31.28 लाख टन लौह अयस्क जमा करने की रिपोर्ट दी. रेलवे के तत्कालीन चीफ जेनरल मैनेजर एमएल अप्पा राव ने मेसर्स पीकेएस से किराया वसूलने का निर्देश दिया. उन्होंने वसूली के लिए 31 मार्च 2007 तक की समय सीमा निर्धारित की.

पीकेएस के स्थानीय प्रतिनिधि द्वारा बिल लेने से इनकार करने के बाद इसे कंपनी के कोलकाता स्थित कार्यालय को भेजा गया. पीकेएस ने रेलवे की जमीन पर किसी तरह का लौह अयस्क जमा करने से इनकार कर दिया. वर्ष 2009 में रेलवे के स्थानीय अधिकारियों की ओर से यह तर्क पेश किया गया कि लौह अयस्क रेलवे लाइन के करीब निजी व्यक्ति की जमीन पर जमा किया गया था. इसके लिए उसे कुछ रकम दी गयी थी. स्थानीय अधिकारियों के इस तर्क के बाद जमीन के मामले की जांच करायी गयी.

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