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गुमला में धर्मांतरण पर रघुवर ने फिर दागे तीर, रमन सिंह के साथ मंच साझा करने के क्या हैं मायने?

हम गरीब जरूर हैं, लेकिन हमारा धर्म बिकाऊ नहीं है, धर्म से प्रेम करिए, अपनी संस्कृति से प्रेम करिए : रघुवर दास झारखंड की धरती पर एेसा लग रहा है, जैसे छत्तीसगढ़ में हूं : डॉ रमन सिंह रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास शनिवार को अंतरराज्यीय जन सांस्कृतिक समागम समारोह-सह-कार्तिक उरांव जतरा में […]

हम गरीब जरूर हैं, लेकिन हमारा धर्म बिकाऊ नहीं है, धर्म से प्रेम करिए, अपनी संस्कृति से प्रेम करिए : रघुवर दास


झारखंड की धरती पर एेसा लग रहा है, जैसे छत्तीसगढ़ में हूं : डॉ रमन सिंह

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास शनिवार को अंतरराज्यीय जन सांस्कृतिक समागम समारोह-सह-कार्तिक उरांव जतरा में शामिल होने शनिवार को गुमला पहुंचे. एक महीने से भी कम समय में रघुवर दास का यह दूसरा गुमला दौरा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास की राजनीति में गुमला का खास महत्व है और इसके प्रतिकात्मक मायने हैं, जिसके जरिये वे अपने राजनीतिक लक्ष्य और अपने पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एजेंडेको लेकर आगे बढ़ रहे हैं. वहां पहुंच कर वे हमेशा बड़े राजनीतिक संदेश देते रहे हैं. उनके साथ इस आयोजन में उनके मित्र व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह खास मेहमान थे. छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे गुमला जिले में रमन सिंह की उपस्थिति एक सामान्य बात नहीं है. इसके दूरगामी मायने हैं. डॉ सिंह ने यहां कहा भी कि वे झारखंड की धरती पर खड़ा होकर ऐसा महसूस कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में ही हैं.

रघुवर दास ने आज गुमला में एक बार फिर धर्मांतरण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कार्तिक उरांव जी ने आदिवासियों को जागरूक करने के लिए काम किया है, जैसे डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने पिछड़े समाज को आगे बढ़ाने का काम किया. उन्होंने कहा कि हम गरीब जरूर हैं, लेकिन हमारा धर्म बिकाऊ नहीं है. धर्म से प्रेम करिए, अपनी संस्कृति से प्रेम करिए.

उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य गरीब, आदिवासी, दलितों के जीवन में बदलाव लाना है. उन्होंने कहा कि भाजपा विभाजन की राजनीति नहीं विकास की राजनीति करती है. रघुवर दास ने कहा कि सरकार सबके लिए है, लेकिन जबरदस्ती या लोभ देकर धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं दी जा सकती है. हम गरीबों के शोषण को रोकने के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ विधेयक लेकर आये. इस दौरान मुख्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अादिवासियों के उत्थान के लिए किये कार्यों का उल्लेख किया.

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गुमला में ही किया था धर्मांतरण बिल लाने का एलान

गुमला में ही इस साल 15 जून को पहली बार मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एलान किया था कि उनकी सरकार धर्मांतरण के खिलाफ विधेयक लेकर आयेगी. रघुवर सरकार ने ऐसा किया भी और धर्मांतरण रोकने के लिए कठोर कानून बनाया, जिसके तहत अनुसूचित जाति-जनजाति का धर्मांतरण कराने पर चार साल की सजाकाप्रावधान है और नाबालिग का धर्मांतरण अवैध घोषित किया गया है. साथ ही स्वेच्छा से धर्मांतरण करनेवालों को जिलाधिकारी को इसकी सूचना देनाअनिवार्य किया गया है. इसी तरह पिछले महीने 23 अक्तूबर को जब रघुवर दास गुमला पहुंचे थे, तो उन्होंने कहा था कि अब कोई किसी का जबरन धर्मांतरण नहीं करा सकता है. उन्होंने कहा था कि धर्मांतरण कानून सभी पर लागू है और इससे किसी को पीड़ा नहीं होनी चाहिए.

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डॉ रमन की उपस्थिति के मायने

छत्तीसगढ़ और झारखंड पड़ाेसी राज्य हैं और इन दोनोंराज्यों में काफी समानताएं हैं. दोनों वन आच्छादित व जनजातीय बहुल राज्य हैं, जहां गरीबी है, पिछड़ापन है, लेकिन विकास की संभावनाएं हैं. दोनों का उदय एक साथ हुआ और कई पैमानों पर छत्तीसगढ़ आगे बढ़ गया है. एक मायने में दोनों अलग हैं. झारखंड में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ है, जबकि छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो सका. छत्तीसगढ़ के दिवंगत भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव ने धर्मांतरण के खिलाफ बड़ा अभियान चला रखा था. जूदेव के उस काम की आज भी संघ परिवार के संगठन में तारीफ होती है. ऐसे में डॉ रमन सिंह का गुमला आने के प्रतिकात्मक मायने हैं. आज के आयोजन में अंतरराज्यीय शब्दभी जोड़ा गया, जिसकेसंकेत हैं जनजातीय सांस्कृतिक विरासत के राज्य से सीमा से बाहर विस्तृत संदर्भ में प्रस्तुत करना और इसका समायोजन करना.


भरपूर विकास हर समस्या की असली समाधान

धर्मांतरण उस तबके में अधिक होता है, जहां गरीबी-पिछड़ापन होता है. इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता. धर्मांतरण में संपन्नता की स्थिति में स्वेच्छा से धर्मांतरण का प्रतिशत कम ही होता है. मुख्यमंत्री रघुवर दास इसलिए वैसे जिलों पर विशेष फोकस कर रहे हैं, जहां ऐसे खतरे अधिक हैंऔर इस पर उनके स्वर बड़े कड़े व ठोस हैं. उन्होंने आज बताया कि अनुसूचित जनजाति के लिए बजट में 18, 028 करोड़ रुपये का प्रावधान है. गुमला में स्कील सेंटर सहित विकास के कई कार्य किये जा रहे हैं. कार्तिक उरांव विश्वविद्यालय की स्थापना की बात भी हुई है. विधायक शिवशंकर उरांव ने समारोह में एक बड़ा प्रस्ताव रखा. उन्होंने कार्तिक उरांव विश्वविद्यालय बनाने की बात कही है और कहा है कि इसका शिलान्यास 2020 तक करायेंगे. इसके लिए उन्होंने सभी पक्षों से सहयोग मांगा है. समाजसेवी पद्मश्री अशोक भगत ने भी कहा कि मांझा टोली में विश्वविद्यालय बन सकता है और आदिवासी के नाम पर राजनीति करनेवालों से सावधान रहना होगा. यानी संदेश साफ है कि संघ-भाजपा के एजेंडे को रघुवर-रमन मिल कर आगे बढ़ायेंगे.

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