एक्सआइएसएस: कल की दुनिया विषय पर सेमिनार में मंसूर हुसैन खान ने कहा, पैसा अवधारणा है और ऊर्जा वास्तविकता

रांची: कयामत से कयामत तक, जो जीता वही सिकंदर व जोश जैसी फिल्मों के निर्माता -निर्देशक व पर्यावरणविद मंसूर हुसैन खान ने कहा कि सिर्फ बढ़ने के लिए बढ़ते जाना कैंसर सेल की भी विशेषता है़ आर्थिक विकास की इस अवधारणा को लेकर चलना खतरनाक होगा़ विकास का वर्तमान मॉडल इन मान्यताओं पर टिका है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2017 8:15 AM
रांची: कयामत से कयामत तक, जो जीता वही सिकंदर व जोश जैसी फिल्मों के निर्माता -निर्देशक व पर्यावरणविद मंसूर हुसैन खान ने कहा कि सिर्फ बढ़ने के लिए बढ़ते जाना कैंसर सेल की भी विशेषता है़ आर्थिक विकास की इस अवधारणा को लेकर चलना खतरनाक होगा़ विकास का वर्तमान मॉडल इन मान्यताओं पर टिका है कि अर्थव्यवस्थाएं लगातार तेजी से बढ़ सकती हैं, कि दुनिया को पैसा चला रहा है और हमारे पास अपरिमित ऊर्जा व अन्य प्राकृतिक संसाधन है़ं.

हमारे लिए पैसा व ऊर्जा, पूंजी व संसाधन और अवधारणाएं व वास्तविकता के बीच के अंतर को समझना जरूरी है़ वे एक्सआइएसएस में आयोजित ‘कल की दुनिया’ विषयक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे़


मंसूर हुसैन खान ने कहा कि तेल व ऊर्जा के अन्य संसाधन तेजी से समाप्त हो रहे है़ं सतत विकास आज दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बन चुका है़ लेकिन यह असंभव है और बीमारी भी़ असंभव इसलिए क्योंकि इसके लिए असीमित ऊर्जा व संसाधन चाहिए, वहीं बीमारी इसलिए है क्योंकि हम जिस चीज के पीछे दौड़ेंगे अंतत: वही सबको समाप्त कर देगा़ पैसा दिमाग की अवधारणा है और कृत्रिम तरीके से बढ़ता है, वहीं ऊर्जा वास्तविकता है़ पैसा और ऊर्जा अलग है़ं हमें इकोनॉमिक्स के नजरिये से नहीं एनर्जेटिक्स के नजरिये से देखने की जरूरत है़ मंसूर हुसैन खान ने पर्यावरण पर आधारित पुस्तक ‘द थर्ड कर्व- द एंड ऑफ ग्रोथ’ भी लिखी है़.
विकास का अर्थ बढ़ोतरी, बराबरी व सामाजिक न्याय: आंध्र प्रदेश से आये ‘टिकाऊ व समतावादी समाज की जरूरत’ विषय के प्रखर वक्ता सागर धारा ने कहा कि हमें सीमाओं को समाप्त करने व शहरों को संकुचित करने की आवश्यकता है़ यातायात के निजी साधनों को समाप्त करना, जीवाश्म ईंधन को सुरक्षित रखना और उत्सर्जन के स्तर का ध्यान रखना जरूरी है़ विकास का अर्थ बढ़ोतरी, बराबरी और सामाजिक न्याय होना चाहिए़ पूरी दुनिया में दिनोंदिन संसाधनों के लिए संघर्ष बढ़ रहा है़ ऊर्जा की कमी के कारण पहले भी माया और पोलीनिशयन सभ्यताएं नष्ट हो चुकी है़ं हमारी अर्थव्यवस्था भी अगले 50 सालों में ध्वस्त हो सकती है़.
धरती को मां मानते हैं, पर इसके दोहन- शोषण में पीछे नहीं : एक्सआइएसएस के निदेशक फादर एलेक्स एक्का ने कहा कि मनुष्य धरती को मां की तरह मानता है, पर इसके दोहन, शोषण में पीछे नहीं रहता़ भारत भूषण चौधरी ने कहा कि रिन्यूबल एनर्जी पर ध्यान देने की जरूरत है़ पीपी वर्मा ने भी विचार रखे़ कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो संजय बसु मल्लिक ने की़ फिल्म ‘फास्टर.. फास्टर..’ का प्रदर्शन भी हुआ़

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