profilePicture

पिछले दो सालों में नशामुक्त, स्वच्छ व विकासशील गांव बने आरा-केरम

रांची: नशामुक्त, खुले में शौच से मुक्त है अोरमांझी प्रखंड की टुंडाहुली पंचायत के आरा और केरम गांव. कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर गांव में इस साल से मछलीपालन की भी शुरुआत हुई है. लोगों की मेहनत तथा सरकार के सहयोग से दो साल में ही इन गांवों की तकदीर बदल गयी है. प्रखंड चौक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2017 8:07 AM
रांची: नशामुक्त, खुले में शौच से मुक्त है अोरमांझी प्रखंड की टुंडाहुली पंचायत के आरा और केरम गांव. कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर गांव में इस साल से मछलीपालन की भी शुरुआत हुई है. लोगों की मेहनत तथा सरकार के सहयोग से दो साल में ही इन गांवों की तकदीर बदल गयी है. प्रखंड चौक से चंदवे जानेवाली सड़क पर कुच्चू से पहले चार किलोमीटर अंदर जाने पर ये गांव मिलते हैं.

आरा में करीब 80 घर हैं तथा केरम में 30 घर. करीब 550 लोग यहां रहते हैं. केरम पूरी तरह जनजातीय (बेदिया) गांव है. वहीं अारा में महतो व कुछ अन्य जातियां भी हैं. सिर्फ दो साल पहले तक ये गांव झारखंड के अधिसंख्य गांवों की तरह ही थे. सार्थक प्रयास ने हालात बदल दिया है. पूरी तरह नशामुक्त दोनों गांव में भरपूर खेती होती है. गत वर्ष मनरेगा के तहत कुल 42 डोभा बनाये गये. इनमें इस वर्ष से मछली पालन हो रहा है.

नशामुक्ति अभियान चला, फिर रालेगन सिद्धि गांव की यात्रा
पहाड़ की तलहटी में बसे इन गांवों के विकास में आइएफएस अधिकारी तथा वर्तमान में मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी की अहम भूमिका है . इस शख्स ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ सरकारी योजनाअों के माध्यम से इन गांवों की तस्वीर बदल दी है. केरम के ग्राम प्रधान रामेश्वर बेदिया ने बताया कि वन आधारित जीविकोपार्जन वाले इस गांव में आज न कोई पेड़ काटे जाते हैं और न ही पत्ते तोड़े जाते हैं. अप्रैल 2014 में गांव में जंगल बचाने के लिए वन रक्षा बंधन कार्यक्रम अायोजित हुआ था. सिद्धार्थ इसमें मुख्य अतिथि थे.

इस कार्यक्रम के कुछ माह बाद वह फिर गांव आये तथा ग्रामीणों के साथ बैठक की. किसी ने कहा कि यहां दो-तीन घर छोड़ हर घर में शराब का सेवन होता है. इसके बाद सबसे पहले गांव में नशामुक्ति अभियान चलाया गया. नौजवानों ने शपथ ली कि वह शराब का सेवन नहीं करेंगे. पर बदलाव की असली बयार तो अन्ना हजारे के गांव रालेगन सिद्धि की यात्रा के बाद ही बही. जनवरी 2017 में आरा व केरम के 35 ग्रामीणों ने रालेगन सिद्धि का भ्रमण किया था. सरकार ने इसकी व्यवस्था की थी. बकौल रामेश्वर इस यात्रा ने हम सबकी आंखें खोल दी. इसी के बाद से इन गांवों में स्वच्छता, नशामुक्ति, बेहतर खेती व श्रमदान ने जोर पकड़ा. आरा व केरम के ग्रामीण हर माह की एक व 14 तारीख को अपने गांव व सड़कों की साफ-सफाई, पौधरोपण, पौधों की देखभाल व अन्य सार्वजनिक काम श्रमदान के जरिये करते हैं.

ड्रिप इरिगेशन आधारित खेती
इसी वर्ष से ड्रिप इरिगेशन आधारित खेती शुरू हुई है. खेतों में टमाटर, शिमला मिर्च व दूसरी सब्जियां लगी है. करीब पांच डिसमिल जमीन पर शिमला मिर्च की खेती से गांव के रामदास महतो को डेढ़ लाख रुपये की आय हुई है. दरअसल इस गांव में बेहतरी के दूसरे उदाहरण भी हैं. सब्सिडी आधारित सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पंप व पैक हाउस (छोटे गोदाम कह लें) भी हैं यहां. ग्रामीण विकास के आजीविका मिशन के सात महिला स्वयं सहायता समूह महिलाअों को आर्थिक ताकत दे रहा है. पूरे गांव में बकरी पालन के कुल 80 शेड है. आगे बढ़ने की मानसिकता व खुशी के साथ ग्रामीणों में वह तहजीब भी है, जो यहां पहुंचे हर शख्स को प्रणाम सर के रूप में सुनायी देती है.

Next Article

Exit mobile version