मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट कार्यशाला में डॉ राकेश ने कहा, तकनीकी जांच से यक्ष्मा रोग की पहचान सरल
इटकी: नयी तकनीकी जांच से यक्ष्मा रोग के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सकता है. इस जांच में बीमारी की पहचान काफी सरल हो गयी है. उक्त बातें स्वास्थ्य विभाग के तकनीकी सलाहकार सह स्टेट आइडीएसपी डॉ राकेश दयाल ने इटकी यक्ष्मा आरोग्यशाला के सभागार में आयोजित एकदिवसीय मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि […]
इटकी: नयी तकनीकी जांच से यक्ष्मा रोग के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सकता है. इस जांच में बीमारी की पहचान काफी सरल हो गयी है. उक्त बातें स्वास्थ्य विभाग के तकनीकी सलाहकार सह स्टेट आइडीएसपी डॉ राकेश दयाल ने इटकी यक्ष्मा आरोग्यशाला के सभागार में आयोजित एकदिवसीय मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बुधवार को कही. कार्यशाला में देश भर के विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षणरत 32 माइक्रोबायोलॉजिस्ट चिकित्सकों ने भाग लिया.
कार्यशाला में नयी दिल्ली सफदरजंग के जेनरल अस्पताल के मुख्य माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ दिप्ती नायर, राज्य यक्ष्मा प्रशिक्षक सह माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ रंजीत प्रसाद, राज्य यक्ष्मा प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक डॉ आरसी सहाय, डब्ल्यूएचओ के डॉ आरआर पाठक, डॉ ए मित्र सहित अन्य ने अपने विचार व्यक्त किये. कार्यशाला का आयोजन माइक्रोकॉन-2017 ने किया.
कार्यशाला के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे चिकित्सकों को देश के पूर्वी जोन के यक्ष्मा जांच प्रयोगशाला (आइआरएल) का भ्रमण कराया गया व जांच की नयी तकनीक, सीबीनेट, एलपीए, लिक्विड कल्चर, एफएम माइक्रोस्कॉपी सहित अन्य सिस्टम से रूबरू कराया गया. कार्यक्रम में कंचन प्रसाद, शिशिर कुमार, अरविंद कुमार, उज्ज्वल प्रसाद, शमीम अंसारी आदि मौजूद थे.