फिक्की रिसर्च एंड एनेलेसिस सेंटर की रिपोर्ट, पैक्ड पोषाहार सबकी पसंद, पर पैकेजिंग व वितरण में खामियां

रांची: आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटनेवाले पैकेट बंद पोषाहार का लाभुकों पर प्रभाव, गुणवत्ता व वितरण संबंधी सर्वे हुआ था. समाज कल्याण निदेशालय ने टेंडर के आधार पर फिक्की रिसर्च एंड एनेलेसिस सेंटर (एफआरएसी) को इस सर्वे का काम दिया था, जिस पर करीब अाठ लाख रुपये खर्च हुए थे. करीब छह माह पहले आयी इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2017 8:13 AM
रांची: आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटनेवाले पैकेट बंद पोषाहार का लाभुकों पर प्रभाव, गुणवत्ता व वितरण संबंधी सर्वे हुआ था. समाज कल्याण निदेशालय ने टेंडर के आधार पर फिक्की रिसर्च एंड एनेलेसिस सेंटर (एफआरएसी) को इस सर्वे का काम दिया था, जिस पर करीब अाठ लाख रुपये खर्च हुए थे. करीब छह माह पहले आयी इस सर्वे रिपोर्ट में पोषाहार को लाभुकों के लिए बेहतर प्रभाववाला बताया गया है.

पोषाहार का प्रभाव लाभुकों की ऊंचाई, वजन, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) तथा बच्चों के मामले में उनकी बायें हाथ के ऊपरी बांंह की परिधि (घेरा) के माप के आधार पर जाना गया. बांह की माप मिडिल अपर अार्म सरकमफिरेंस (एमयूएसी) टेप से ली जाती है. राज्य के सभी जिलों में कम से कम 500 बच्चों (छह माह से तीन वर्ष तक के) तथा 500 गर्भवती व धात्री महिलाअों पर दो माह के अॉबजर्वेशन के साथ किये गये इस सैंपल सर्वे में पाया गया कि पोषाहार के सेवन से बच्चों तथा महिलाअों का वजन बढ़ रहा था.

हालांकि दो माह का समय ऊंचाई में वृद्धि संबंधी जानकारी के लिए कम है, पर वजन के आधार पर इसे भी सकारात्मक पाया गया. गौरतलब है कि राज्य के कुल 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों पर माताओं, बच्चों व धात्री महिलाओं को तैयार पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है. बच्चों को पंजिरी तथा गर्भवती व धात्री महिलाअों को फोर्टिफाइड न्यूट्रो उपमा उपलब्ध कराया जाता है.

अाम तौर पर सबकी पसंद : सर्वे में पसंद से संबंधित सवाल पर 75 फीसदी बच्चों की प्रतिक्रिया थी कि पंजिरी उन्हें पसंद है. वहीं 80 फीसदी गर्भवती व धात्री महिलाअों को उपमा पसंद था. रिपोर्ट में कहा गया है कि एेसा कोई खाद्य नहीं, जो सौ फीसदी लोगों को पसंद हो. भोजन या खाद्य तथा स्वाद के मामले में भिन्नता होनी ही है. इस अाधार पर 75-80 फीसदी को बड़ा आंकड़ा तथा पोषाहार को आमतौर पर सबकी पसंद माना गया है.
कई जिलों में पोषाहार का वितरण सामान्य नहीं
रिपोर्ट में कहीं-कहीं पैकेजिंग मैटेरियल के लीक होने की बात कही गयी है, जिसे बेहतर करने की जरूरत है. खास कर गढ़वा, गिरिडीह, खूंटी व देवघर जिले में यह शिकायत मिली थी. उसी तरह गढ़वा, चतरा, बोकारो व प. सिंहभूम में पोषाहार का वितरण सामान्य नहीं पाया गया. राज्य भर में ऐसे 15 फीसदी केस मिले थे. समाज कल्याण निदेशालय व विभाग की अोर से इस शिकायत को दुरुस्त करने को कहा गया था. पर अब भी पोषाहार के असामान्य वितरण की शिकायत मिल रही है.
लाभुकों को अलग-अलग पैकेट
बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं के लिए पैकेट बंद पोषाहार क्रमश: नारंगी, गुलाबी व हरे रंग के पैकेट में वितरित होता है. इसमें क्रमश: 750 तथा 900-900 ग्राम पंजिरी तथा फोर्टिफाइड न्यूट्रो उपमा होता है. लाभुक बच्चों को हर रोज 125 ग्राम तथा गर्भवती व धात्री महिलाओं को 150-150 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम 24 दिनों के लिए हर माह चार-चार पैकेट उपलब्ध कराया जाता है.
किशोरियों को भी मिले पोषाहार : रिपोर्ट में इस बात की अनुशंसा की गयी है कि किशोरी को भी पोषाहार योजना से जोड़ा जाये. इस तर्क के साथ कि किशोरावस्था में शरीर को सबसे अधिक पोषण की जरूरत होती है तथा पोषाहार व शारीरिक विकास एक दूसरे से जुड़े हैं, इस बात की अनुशंसा की गयी है.

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