19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

RANCHI : 3% की दर से आबादी, 10% बढ़ रही गाड़ियां, रोड पर नौ लाख वाहन, पार्किंग की व्यवस्था सिर्फ 2000 वाहनों के लिए

राजधानी रांची की सड़कें जाम से जूझ रही हैं. सरकार, प्रशासन, पुलिस और ट्रैफिक पुलिस एक साथ मिल कर इस समस्या का समाधान ढूंढ़ रहे हैं. हालांकि, कामयाबी नहीं मिल रही है. अंतरराष्ट्रीय संस्था इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (आइटीडीपी) की रिपोर्ट बताती है कि रांची की आबादी हर साल तीन प्रतिशत की दर […]

राजधानी रांची की सड़कें जाम से जूझ रही हैं. सरकार, प्रशासन, पुलिस और ट्रैफिक पुलिस एक साथ मिल कर इस समस्या का समाधान ढूंढ़ रहे हैं. हालांकि, कामयाबी नहीं मिल रही है. अंतरराष्ट्रीय संस्था इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (आइटीडीपी) की रिपोर्ट बताती है कि रांची की आबादी हर साल तीन प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जबकि वाहनों की संख्या हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ जाती है. इधर, जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के अनुसार रांची जिले में पिछले नौ वर्षाें में छह लाख से अधिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. जबकि, मौजूदा समय में रांची में नौ लाख से भी ज्यादा गाड़ियां (दोपहिया और चारपहिया) होने का अनुमान है. वहीं, शहर में करीब 2000 वाहनों की पार्किंग की ही व्यवस्था है. ये आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए कोई ठोस और दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है. प्रस्तुत है सुनील चौधरी और उत्तम महतो की रिपोर्ट.
रांची: नगर विकास विभाग ने राजधानी रांची की यातायात व्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्था इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी(आइटीडीपी) से एक रिपोर्ट तैयार करायी थी. संस्था ने फरवरी 2017 में अपनी रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट में इस बात के संकेत दिये गये थे कि जिस तेजी से राजधानी पर आबादी और वाहनों का दबाव बढ़ रहा है, वह भविष्य के लिए चिंताजनक है. राजधानी की ट्रैफिक का अध्ययन करने वाली संस्था आइटीडीपी का मूल सिद्धांत है ‘सड़क पर पहला अधिकार पैदल चलनेवालों का है.’ लेकिन पूरी रांची में लोगों के पैदल चलने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. सड़क के किनारे कोई पेडेस्ट्रियन वाॅक-वे नहीं बना है. एक ही सड़क पर वाहन भी चलते हैं और लोग भी. किसी के लिए अलग-अलग लेन नहीं है. आइटीडीपी द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट में यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए कई सुझाव भी दिये गये थे.
36 प्रतिशत लोग पैदल चलते हैं राजधानी में
आइटीडीपी की रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में 44 प्रतिशत लोग पैदल, साइकिल या रिक्शा से चलते हैं. इनमें से 36 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो केवल पैदल चलते हैं. सर्वे के अनुसार पांच प्रतिशत लोग कार का इस्तेमाल करते हैं. 30 प्रतिशत लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अॉटो से चलते हैं. लगभग 20 प्रतिशत लोग बाइक से चलते हैं. रांची की 90 प्रतिशत महिलाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करती हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं : कट बंद करना समाधान नहीं
आइटीडीपी के राजेंद्र कुमार कहते हैं कि रांची में ऐसा देखा जा रहा है कि जो लोग कार से चलते हैं, उनकी सुविधा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. जबकि ऐसे लोगों की संख्या केवल पांच फीसदी है. पैदल या साइकिल से चलनेवाले 44 प्रतिशत लोगों के बारे में कभी कुछ नहीं सोचा जाता है. जो कट बंद किये गये हैं, वह भी कार वालों के ध्यान में रखते हुए किये गये हैं. सवाल तो यह है कि पैदल चलनेवाले किधर से जायेंगे. इंडियन रोड कांग्रेस(आइआरसी) के अनुसार हर 150 से 200 मीटर की दूरी पर पैदल चलने वालों के लिए क्राॅस होना चाहिए. कट बंद कर देना समस्या का समाधान नहीं है. इससे ट्रैफिक कंजेशन और बढ़ेगा. शहर की पूरी सड़कों को नये सिरे से डिजाइन करने की जरूरत है. जिसमें फुटपाथ हो, बस, कार और बाइक के लिए अलग-अलग लेन हो. पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम ज्यादा से ज्यादा हो. जहां भी कट हैं वहां गोलंबर बनाकर समस्या को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार रांची नगर निगम क्षेत्र में 900 पब्लिक बसें होनी चाहिए, जबकि यहां केवल 91 पब्लिक बस ही चल रही हैं. इसका असर यह होता है कि लोग अपने निजी वाहन कार या बाइक का इस्तेमाल करते हैं और सड़क पर ट्रैफिक लोड बढ़ता जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें