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रांची के हाल पर छलका सीपी सिंह का दर्द, बोले – कट बंद करने की सलाह मुझसे नहीं ली गयी

रांची के विधायक व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह का कहना है कि ट्रैफिक दुरुस्त करने के लिए कट बंद करने से पहले उनसे सलाह नहीं ली गयी. पता नहीं, मुख्यमंत्री को किसने यह सलाह दी कि कट बंद करने से ट्रैफिक दुरुस्त हो जायेगा. उन्होंने माना कि अचानक कट बंद कर दिये जाने से […]

रांची के विधायक व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह का कहना है कि ट्रैफिक दुरुस्त करने के लिए कट बंद करने से पहले उनसे सलाह नहीं ली गयी. पता नहीं, मुख्यमंत्री को किसने यह सलाह दी कि कट बंद करने से ट्रैफिक दुरुस्त हो जायेगा. उन्होंने माना कि अचानक कट बंद कर दिये जाने से जनता में आक्रोश है. मंत्री का मानना है कि अधिकारी अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं निभाते, जिसके कारण मुख्यमंत्री को ट्रैफिक जैसे मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ता है. मंत्री ने कहा कि कट बंद करने के पूर्व जहां भी जाम लगता है ,पहले उसका अध्ययन किया जाना चाहिए. मंत्री सीपी सिंह ने रांची में ट्रैफिक को लेकर प्रभात खबर के वरीय संवाददाता सुनील चौधरी के साथ लंबी बातचीत की, यहां हम उसके अंश प्रकाशित कर रहे हैं.
राजधानी रांची में ट्रैफिक जाम की वजह आपकी नजरों में क्या है, समाधान कैसे होगा?
सबसे पहले हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि रांची पहले राजधानी नहीं थी. अब राजधानी हो गयी है. राजधानी होने के कारण राज्य के प्रत्येक जिले से लोग यहां आते हैं. इस कारण गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है. पर सड़कें हमारी वहीं की वहीं हैं. आज बैंक भी उदारता दिखा रहे हैं लोन देने में. गाड़ियां बढ़ती जा रही हैं. पर सवाल यह है कि जगह कहां है पार्किंग के लिए? लोग सड़क के किनारे गाड़ियां लगा रहे हैं. गलियों में भी गाड़ियां लगा रहे हैं. स्कूल बसें भी साइड में खड़ा कर लाेग रात में चले जाते हैं. सिविक सेंस की भी कमी है. कोई व्यक्ति एक मिनट भी इंतजार करने के लिए तैयार नहीं. सब आगे जाना चाहता है. एक और कारण है सड़क के किनारे बिजली और टेलीफोन के पोल. अब अंडरग्राउंड वायरिंग हो रही है.

ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए एक पूरा प्रशासनिक महकमा होता है. फिर ऐसी क्या वजह हुई कि खुद मुख्यमंत्री को सड़क पर उतर कर ट्रैफिक की समस्या सुलझाने के लिए आगे आना पड़ रहा है. क्या प्रशासनिक महकमा काम नहीं कर रहा है?
स्वाभाविक है. मुख्यमंत्री राज्य के मुखिया हैं. समाचार वह भी पढ़ते हैं. चैनल देखते हैं. रांची में यह बात सही है कि ट्रैफिक की समस्या है. पर ऐसा नहीं है कि केवल रांची में ही है. थोड़ा ज्यादा ही हैबोक कर दिया गया है. ट्रैफिक जाम से हम इनकार नहीं कर सकते. स्वाभाविक है, मुख्यमंत्री हैं, तो वह कारण जानना चाहते हैं. कट बंद कर देने से ट्रैफिक समस्या का समाधान हो जायेगा, किसने उन्हें यह सलाह दी, मुझे नहीं पता. उन्होंने कट बंद करने का आदेश दिया. आनन-फानन में अधिकारियों ने कट बंद कर दिया.
मेरा यह कहना है आइटीडीपी एक संस्था है. ट्रैफिक पर यह नि:शुल्क सेवा देती है. आइटीडीपी की सेवा ली जानी चाहिए. मैं नहीं जानता कि किन अधिकारियों ने कट बंद करने की सलाह दी. पर कट बंद करने के पहले अधिकारियों को सप्ताह या 15 दिन उन स्थलों का अध्ययन करना चाहिए था. जैसे कि एनएचएआइ जब कोई हाइवे बनाती है, तो पहले सर्वे करती है कि सड़क से कितने वाहन गुजरते हैं. पर रांची शहर के अंदर हम प्रयोग अचानक करते हैं. रांची को प्रयोगशाला बना दिया गया है. बिना कोई जानकारी या अध्ययन के ही यहां प्रयोग कर दिया जाता है, जिससे जनता परेशान होती है. प्रयोग करने से पहले एक-एक बिंदु पर विचार करना चाहिए. जनता पर अचानक बोझ डाल दीजिएगा, तो बर्दाश्त नहीं करेगी. इससे जनता में आक्रोश पनपता है और विपक्षी दल इसका नाजायज फायदा उठाते हैं. कुल मिला कर यह कहूंगा कि अभी भी समय है. अधिकारी और गहन अध्ययन करें. मुख्यमंत्री ने कट बंद करने का आदेश आखिर क्यों दिया, उन्हें क्यों यह जरूरत पड़ी, यह यक्ष प्रश्न है. जिसका जो काम है, उसे करना चाहिए. ट्रैफिक व्यवस्था कैसे सुधरे, इसके लिए ट्रैफिक महकमा देखनेवालों को विचार करना चाहिए. नगर निगम के अधिकारियों की जहां जरूरत होगी, वे भी रहेंगे. पर अचानक ऐसा कुछ कर देने पर समस्या और बढ़ेगी.
हरमू रोड समेत कई सड़कों के कट बंद कर दिये गये, लोग परेशान हो रहे हैं. आप शहर के विधायक भी हैं और शहरी विकास मंत्री भी. जनता को राहत देने के लिए क्या आपकी कोई जवाबदेही नहीं बनती?
एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं ट्रैफिक विभाग नहीं देखता. लोग यह समझते हैं कि विधायक या नगर विकास मंत्री हर मर्ज की दवा हैं. विभाग अलग-अलग है. ट्रैफिक व्यवस्था गृह विभाग देखता है. पर यहां पानी न आने पर भी लोग नगर विकास मंत्री को फोन करते हैं, मानों मंत्री मशीन पर बैठे हैं और पानी चालू हो जायेगा, जबकि यह पीएचइडी का काम है. हमें भी बात करनी होती है. मुख्यमंत्री जी व्यवस्था में सुधार चाहते हैं. हो भी रहा है. पर इतने दिनों की जो सड़ी-गली व्यवस्था थी, लोगों की अपेक्षा ज्यादा है. लोग रातों रात काम चाहते हैं.
रात में अधिकारी भी ट्रैफिक व्यवस्था देखने निकल रहे हैं, तमाम कोशिश के बाद हल नहीं निकल रहा है क्यों?
मैं इस बारे में ज्यादा नहीं कहना चाहता…. ट्रैफिक पीक अावर में देखना होगा न कि रात में. रातू रोड में सुबह नौ से 11 बजे तक और शाम को चार बजे के बाद. हमलोग क्षेत्र में घूमते हैं, तो देखते हैं. अधिकारी इस चीज को देखें कि जाम कहां लगता है, किस कारण से लगता है. रातू रोड में सुबह में लेबर के कारण जाम लगता है. मैंने मुख्यमंत्री से बात की है. उन्होंने अलग से लेबर बाजार बनाने की बात कही है. अधिकारियों को भी चाहिए कि जिस समय जाम लगता है, उस वक्त अलर्ट रहें. गलत साइड से लोगों को आने न दें. अधिकारी पहले ट्रैफिक लाइट को ठीक करें. रातू रोड में भी ट्रैफिक लाइट ठीक हो. केवल वीआइपी के लिए यहां पीली बत्ती जला कर छोड़ दिया जाता है. कहा जाता है कि वीआइपी रूट है. मैं तो ट्रैफिक लाइट पर रुकता हूं. लाइट को अपना काम करने दें. उससे छेड़छाड़ न हो. हरमू रोड में कट बंद हो गया है, गाड़ीखाना चौक में दोनों ओर स्कूल है. बच्चे डिवाइडर फांदते हैं. कभी भी कुछ हो सकता है. मजदूरों को परेशानी हो रही है. अधिकारियों को देखना होगा कि सड़क की दूसरी ओर कितनी बड़ी आबादी निवास करती है.

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