रांची : झारखंड की धरती को हॉकी की नर्सरी कहा जाता है. घोर अभावों के बावजूद यहां से बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी तैयार होते रहे हैं. इसी झारखंड में क्रिकेटर भी तैयार हो रहे हैं. आमतौर पर डिवीजन और स्टेट लेवल से ऊपर हमारे झारखंड के खिलाड़ी नहीं जा पाते थे. लेकिन, महेंद्र सिंह धौनी का बल्ला जब बोला, तो झारखंड और रांची की गूंज पूरी दुनिया तक फैल गयी.
जमशेदपुर के सौरभ तिवारी ने टीम इंडिया में जगह बनायी, लेकिन अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाये. लंबेअरसे तक झारखंड का कोई खिलाड़ी टीम इंडिया में शामिल नहीं हो पाया था. अब कांके और चाईबासा जैसे पिछड़े इलाके के दो लड़कों ने एक साथ टीम इंडिया में जगह बनायी है. दो महीने बाद ही न्यूजीलैंड में अंडर-19 वर्ल्ड कप मैच के दौरान इन दो फिरकी गेंदबाजों का जादू लोग देख पायेंगे.
अंडर-19 विश्वकप क्रिकेट टीम की घोषणा, कांके में घर-घर दूध बेचते हैं पिता बेटा पंकज यादव खेलेगा वर्ल्ड कप
राजधानी रांची से सटे कांके में घर-घर जाकर दूध बेचने वाले के बेटे पंकज ने अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में अपनी जगह पक्की की है, तो नक्सलवाद प्रभावित चाईबासा के अनुकूल रॉय ने भी अपनी जगह बनायी है. पंकज यादव दायें हाथ से गेंदबाजी करते हैं, तो अनुकूल रॉय बायें हाथ के स्पिन गेंदबाज हैं. दोनों ने पिछले दो साल से लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जिसकी वजह से चयनकर्ता उन्हें टीम में शामिल करने के लिए मजबूर हुए. खासकर पंकज ने.
रांची के लेग स्पिनर पंकज यादव ने. रांची जिला क्रिकेट लीग की बी डिवीजन की टीम बीएयू (बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी) ब्लास्टर्स के लिए खेलने वाले पंकज यादव दो साल से नेशनल क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) कैंप के रेगुलर सदस्य हैं. इस साल पहली बार उन्हें झारखंड अंडर-19 टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला. यहां उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खिंचा.
रांची को नहीं मिल रही ठंड से निजात, शाम होते ही बढ़ जाती है ठंड, कांके में पारा 6 डिग्री
ऐसा बहुत कम होता है कि रांची की बी डिवीजन टीम से सीधे किसी को इंडिया अंडर-19 टीम में जगह मिल जाये. लेकिन, प्रतिभा हो, तो कुछ भी हो सकता है. पंकज की प्रतिभा ने इसे साबित कर दिया है. पंकज ने चैलेंजर ट्रॉफी में इंडिया ग्रीन की तरफ से तीन मैच खेले और उसमें नौ विकेट हासिल किये. इतना ही नहीं, अंडर-16 बी डिवीजन के एक सीजन में भी पंकज ने प्रभावशाली गेंदबाजी की और 42 विकेट लेकर लेकर चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा.
पंकज के कोचयुक्तिनाथ झा को पंकज की क्षमता पर पूरा भरोसा है. उनका कहना है कि यह तो पंकज की सफलता की शुरुआत है. जल्दी ही वह टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की करेगा. श्री झा कहते हैं कि पंकज में क्रिकेट के प्रति एक जुनून है. ऐसा खिलाड़ी कामयाबी की ऊंचाईयों तक पहुंचकर ही रहेगा. वह दिन में कम से कम 7 घंटे प्रैक्टिस करता था. एक विकेट लगाकर प्रैक्टिस करता और हर गेंद से विकेट गिराने की कोशिश करता था.