मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि कॉलेज की छात्राएं जो दूर-दूर से आती हैं, उनके लिए जल्द ही बस सेवा बहाल की जायेगी. उन्होंने इसके लिए समयबद्ध योजना तैयार कर जनवरी से बस सेवा शुरू करने का निर्देश दिया. बस ऑनर्स के सुझावों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सबकी सहभागिता से राज्य हित में निर्णय लेती हैं. श्री दास मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे.
रांची : मुख्यमंत्री ने 16 दिसंबर को प्रोजेक्ट भवन में सभी बस और ट्रक आॅनर्स की बैठक बुलाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि शहर हो या गांव या हाइवे की सड़क सभी वाहन दिन में भी अपनी लाइट जला कर परिचालन करें. इससे सड़क दुर्घटना में कमी आयेगी. उन्होंने कहा कि जनवरी से सीधे फाइन करें तथा इसे कड़ाई से लागू करायें.
श्री दास ने कहा कि एक वर्ष में झारखंड में सड़क दुर्घटना पर नियंत्रण लाया जाये. सड़क दुर्घटना में देश के महत्वपूर्ण मानव संसाधन की क्षति होती है. हमें इन्हें बचाना होगा. महत्वपूर्ण राजमार्गों पर जहां दुर्घटना की संभावना रहती है, वहां ट्रामा सेंटर बनाये जायें. उन्होंने कहा कि दुर्घटना सबसे अहम कारण हेलमेट का उपयोग न होना, शराब पीकर ड्राइविंग तथा ओवर स्पीड है. ट्रैफिक कानून का कड़ाई से पालन हो. बाइक चलाने वाले तथा पीछे बैठने वाले को हेलमेट लगाना ही होगा. इसे कड़ाई से लागू करें. हाइवे पर पेट्रोलिंग करने वाले ब्रेथ एनालाइजर का उपयोग कर जांच करें. बस और ट्रक ऑनर एसोसिएशन भी चालकों के बीच जागरूकता फैलायें. उन्हें शराब से दूर करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि हाइवे पेट्रोलिंग और शहर की ट्रैफिक प्रभारी यह सुनिश्चित करें कि कोई भी वाहन ओवर स्पीड न चले. कड़े कानून का डर सबमें होना चाहिए. श्री रघुवर दास ने कहा कि एक्सीडेंट होते ही हाइवे पेट्रोलिंग से लेकर एंबुलेंस तुरंत पहुंचे. सूचना देने वाले को एक बेहतर नागरिक मानना चाहिए. दुर्घटना में घायलों का अस्पताल में बिना किसी पूछताछ के इलाज तुरंत शुरू हो.
राजमार्गों में प्रत्येक 50 किमी पर उपलब्ध रहे एंबुलेंस
मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी से कहा कि वे आइएमए के साथ बैठक करें और उन्हें अवगत करायें कि चिकित्सक ऐसी स्थिति में सबसे पहले इलाज करेंगे. सभी जिलों के सिविल सर्जन दिसंबर माह में प्रत्येक अस्पताल के सामने सूचना पट्ट पर सबसे पहले इलाज की सूचना प्रदर्शित करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में सजग, समयबद्ध, संवेदनशील, सख्त और त्वरित कार्रवाई की जरूरत है. इस कार्य में वैसे नागरिक जो सामाजिक सेवा में रुचि रखते हों, उनकी मदद ली जानी चाहिए. महत्वपूर्ण राजमार्गों पर प्रत्येक 50 किलोमीटर पर एक 108 एंबुलेंस सेवा रहे, जिससे तत्काल दुर्घटना स्थल पर पहुंचा जा सके.
गांवों को शहरों से जोड़ने के लिए दें अधिक से अधिक परमिट
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र से जोड़ने के लिए अधिक से अधिक परमिट देने का निर्देश दिया. कहा कि जो नागरिक बस चलाना चाहते हैं, उन्हें स्टार्टअप योजना के तहत शीघ्र बैंक से ऋण मुहैया कराया जाये. हाइवे पर टेंपो या छोटी गाड़ी के बदले केवल बस चले. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सुरक्षित स्वस्थ और स्वच्छ झारखंड बनाना है.
बैठक में ये अधिकारी थे उपस्थित
बैठक में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, विकास आयुक्त अमित खरे, अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, प्रधान सचिव गृह एसकेजी रहाटे, एडीजी अनिल पाल्टा, एडीजी आरके मल्लिक, आइजी अरुण कुमार सिंह, इंजीनियर इन चीफ रास बिहारी सिंह, मुख्य अभियंता मदन कुमार, बस आनर्स के प्रतिनिधि तथा राज्य सड़क सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे.
रांची : कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा है कि प्रमंडलवार बजट संगोष्ठी पॉलिटिकल स्टंट है. सरकार संगोष्ठी कर अपने निराशाजनक प्रदर्शन पर पर्दा डाल रही है. सरकार के कई विभाग विकास मद की राशि खर्च कर पाने में फिसड्डी रह गये हैं. राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य हासिल करने में पिछड़ रहे है़ं ऐसे में सरकार के व्यय की गुणवत्ता पर एजी की रिपोर्ट में आपत्ति रहे, तो सरकार को संवेदनशील होना चाहिए़
डॉ अजय ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कृषि विभाग अपने योजना मद की 1096 करोड़ रुपये की राशि में अक्टूबर माह तक मात्र 137 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया है़ कल्याण विभाग 3.5 प्रतिशत राशि तथा समाज कल्याण अपने योजना मद का 10 प्रतिशत राशि अगस्त माह तक खर्च कर पाया है. यह सरकार के कामकाज का एक निराशाजनक प्रदर्शन है. कांग्रेस नेता ने कहा कि बजट पेश करते समय जेंडर बजट की बात करके रघुवर सरकार श्रेय लेने की होड़ में लगी रहती है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है़ वित्तीय वर्ष 2015–16 में ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’, किशोर एवं महिला स्किल डेवलपमेंट, नारी उत्थान कोष और विधवा कल्याण जैसे कार्यक्रमों के पैसे खर्च करने में सरकार विफल रही है़ ऐसे में उसे सरकारी खजाने को दिखावे के कार्यक्रम पर खर्च करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह जाता है़
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कैग रिपोर्ट यह बताती है कि सरकार का राजकोषीय दायित्व भी अनुशासित सीमा में नहीं है़ यह 14वें वित्त आयोग की अनुशंसित सीमा को पार कर गया है. सोशल सेक्टर में व्यय के मामले में सामान्य श्रेणी के अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड क्यों पीछे रह गया, इस पर सरकार को सोचना होगा़ विकासात्मक और पूंजीगत व्यय की प्राथमिकता के साथ-साथ शिक्षा एवं स्वास्थ्य के व्यय के आकार को भी प्राथमिकता देना होगा, तभी राज्य का अपेक्षित विकास हो पायेगा़