ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार ठोस कदम उठाये

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया. सभी संबंधित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2017 8:24 AM

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया. सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय बनाकर पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करने को कहा. खंडपीठ ने सरकार के शपथ पत्र को देखते हुए पूछा कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर गांव स्तर पर चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी बनायी गयी है. वह कमेटी किस प्रकार काम करेगी, इसकी विस्तृत जानकारी दी जाये.

खंडपीठ ने मौखिक से कहा कि ग्रासरूट स्तर पर गांवों में बच्चों की सुरक्षा के लिए पहल की जाये. झारखंड में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए आदिवासी लोगों को और जागरूक करने की जरूरत है. इस कार्य में संबंधित विभाग, स्वैच्छिक संस्थाएं व शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं. झालसा व डालसा के पीएलवी के माध्यम से नालसा की सात योजनाअों के विषय में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी 2018 की तिथि निर्धारित की.

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों की रिकवरी को लेकर राज्य सरकार व नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में अंतर है. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि 23 चिल्ड्रेन होम बनाये गये हैं. 15 चिल्ड्रेन होम चालू होने की स्थिति में हैं. शेष आठ पर कार्य शीघ्र शुरू हो जायेगा. पुलिस की ओर से ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है. बच्चों की सुरक्षा के लिए गांव स्तर पर कमेटी बनायी गयी है. लगभग 22,000 कमेटी बनायी गयी है. कमेटी के अध्यक्ष ग्राम प्रधान व नाै सदस्य होंगे. ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों के पुनर्वास पर भी कार्य चल रहा है. कल्याण विभाग में बाल संरक्षण इकाइयां बनायी गयी है. यह भी कहा गया कि वर्ष 2016 में तस्करी के पीड़ित 2,675 बच्चों को बरामद किया गया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बचपन बचाअो आंदोलन की अोर से जनहित याचिका दायर की गयी है.

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