झारखंड विधानसभा में सरकार की फजीहत, विपक्ष के संशोधन को सत्ता पक्ष के विधायकों का समर्थन मिला

रांची : झारखंड विधानसभा में आज उस समय सरकार की भारी फजीहत हुई जब झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक 2017 में विपक्ष द्वारा लाये गये संशोधनों को सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी समर्थन दिया और स्वयं नेता सदन मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रयास के बावजूद यह विधेयक पारित नहीं हो सका. इसे मजबूरी में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2017 8:40 PM

रांची : झारखंड विधानसभा में आज उस समय सरकार की भारी फजीहत हुई जब झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक 2017 में विपक्ष द्वारा लाये गये संशोधनों को सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी समर्थन दिया और स्वयं नेता सदन मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रयास के बावजूद यह विधेयक पारित नहीं हो सका. इसे मजबूरी में विचारार्थ प्रवर समिति को भेजना पड़ा.विधानसभा में आज स्थानीयता की नीति और भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित हुई.

इसके बाद वर्तमान वित्तीय वर्ष की द्वितीय अनुपूरक बजट मांगें एवं अन्य विधायी कार्य दोपहर बाद तीन बजे सदन के सामने हंगामे के बीच ही पेश किये गये. सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष की द्वितीय अनुपूरक मांगों पर चर्चा करायी और सदन ने हंगामे के बीच अनुपूरक मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लेकिन सरकार की उस समय भारी फजीहत हो गयी जब सदन में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक 2017 में विपक्ष द्वारा लाये गये संशोधनों को सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी समर्थन दे दिया. सरकार को इस स्थिति से उबारने के लिए विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव ने प्रस्तावित संशोधन विधेयक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक बादल पत्रलेख द्वारा लाये गये संशोधनों को चार बार पढा लेकिन हर बार सत्तापक्ष के अनेक विधायकों ने इनका समर्थन किया.

विशेष कर झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक 2017 के तहत जिलास्तर पर बनने वाली समिति में स्थानीय विधायकों को भी जगह देने के मामले में सत्ता पक्ष के विधायक भी विपक्ष के साथ हो लिए. झामुमो के बादल पत्रलेख के इस विधेयक को सम्यक विचारार्थ प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव को पहले ही ध्वनिमत से खारिज कर चुकी विधानसभा को आखिरकार इस संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को ही भेजना पडा जिससे सरकार और विशेष कर मानव संसाधन मंत्री नीरा यादव की भारी फजीहत हुई.

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